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फेसबुक बन्द हुआ वो तो सुबह चालू हो गया, लेकिन आपके घरों की बत्ती जाने वाली है वो आसानी से चालू नही होगी
देश भर के पॉवर प्लांट में कोयले की भारी कमी हो गयी है, पिछले दो महीनों में राज्यों के अंतर्गत आने वाले कई पावर प्लांट्स में कोयले की कमी चल रही है. जानकार इसकी वजह मॉनसून के चलते कोयला सप्लाई में आई बाधा, भुगतान में गड़बड़ी और बिजली की बढ़ी हुई मांग को बता रहे हैं.
भास्कर की खबर बता रही हैं कि मध्यप्रदेश के चारों थर्मल पावर प्लांट में सिर्फ 2.67 लाख मीट्रिक टन कोयला बचा है। यह चार दिन ही चल पाएगा, जबकि पिछले साल इन दिनों इन चारो पावर प्लांट में 13 लाख टन कोयला था।
बिजली मामलों के जानकार एवं रिटायर्ड चीफ इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल कहते हैं पिछले 50 साल में यह सबसे गंभीर स्थिति है।
केंद्रीय एजेंसी सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के आंकड़ों के अनुसार देश के 72 थर्मल पावर प्लांट में 8817 मेगावाट बिजली का उत्पादन ठप पड़ चुका है। देश में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। इस वजह से पावर एक्सचेंज में 10000 मेगावाट बिजली की ट्रेडिंग ₹20 प्रति यूनिट के हिसाब से की जा रही है।
जब देश में बिजली की मांग चरम पर थी, तभी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और राजस्थान जैसे चार बड़े राज्यों ने अपने अंतर्गत आने वाली बिजली इकाइयों के कोयला इस्तेमाल के लिए कोल इंडिया को किए जाने वाले भुगतान में चूक भी कर दी. जिसके बाद कोल इंडिया ने इनकी कोयला आपूर्ति कम कर दी. इससे बिजली संकट और गहरा गया है
दरअसल राज्य सरकारों के अंतर्गत आने वाले पावर प्लांट और एनटीपीसी जैसी सरकारी कंपनियों को कोयले की सप्लाई एक समझौते के तहत होती है. इनके साथ कोल इंडिया, फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट (FSA) करता है. इसके बाद कोयले की सप्लाई पहले ही कर दी जाती है और राज्य इसके लिए बाद में भुगतान करते हैं. इन राज्यों ने समय से भुगतान नहीं किया है, जिसके चलते कोल इंडिया ने इनकी सप्लाई रोक दी है."
मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री कह रहे हैं कि कोल इंडिया को बकाया राशि देने के लिए व्यवस्था की जा रही है।
इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया से कोयला आयात में भी समस्या आ रही है चीन के बंदरगाह पर भारत का 20 लाख टन से अधिक ऑस्ट्रेलियाई कोयला महीनों से पड़ा हुआ है।
वैसे यह बात सच है कि बिजली संकट की समस्या हर साल ही सामने आती है लेकिन इस बार यह संकट वाकई में गंभीर रूप अख्तियार कर चुका है