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भारत का वो नीरज, जिसके लिए कभी वाहिद अली वाहिद लिख गए थे ," फेक जहां तक भाला जाए"

Desk Editor
7 Aug 2021 12:52 PM GMT
भारत का वो नीरज, जिसके लिए कभी वाहिद अली वाहिद लिख गए थे , फेक जहां तक भाला जाए
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तू भी है राणा का वंशज , फेंक जहां तक भाला जाए ..

वाहिद अली वाहिद की एक कविता है जो आज जापान के टोक्यो ओलंपिक-2020 जैवलिन थ्रो में भारत की तरफ से पहला स्वर्ण पदक जीतने पर नीरज चोपड़ा के चरित्र को प्रासंगिक करती है -

कब तक बोझ संभाला जाए

द्वंद्व कहां तक पाला जाए

दूध छीन बच्चों के मुख से

क्यों नागों को पाला जाए

दोनों ओर लिखा हो भारत

सिक्का वही उछाला जाए

तू भी है राणा का वंशज

फेंक जहां तक भाला जाए

नीरज चोपड़ा हरियाणा के पानीपत जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने वजन कम करने के लिए एथलेटिक्स जॉइन की थी। जल्द ही वे एज ग्रुप प्रतियोगिताओं में अच्छा परफॉर्म करने लगे और कई टूर्नामेंट में जीत भी हासिल की।

और अब उन्होंने जैवलिन थ्रो में गोल्ड जीता है। उनका सर्वश्रेष्ठ थ्रो 87.58 मीटर का है। ओलंपिक की व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत को 13 साल बाद दूसरा गोल्ड मिला। बीजिंग ओलंपिक 2008 में पहली बार स्वर्ण पदक जीतने का कारनामा दिग्गज शूटर अभिनव बिंद्रा ने किया था।

भाला फेंक में 23 साल के नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत का यह पहला गोल्ड और कुल सातवां पदक है।

नीरज से पहले अभिनव बिंद्रा भी दिखा चुके हैं कमाल..

13 वर्ष पहले अभिनव बिंद्रा ने मीटर एयर रायफल स्पर्धा में भारत को गोल्ड मेडल दिलाकर इतिहास रचा था। वह 11 अगस्त 2008 को बीजिंग ओलिंपिक खेलों की व्यक्तिगत स्पर्धा में स्‍वर्ण पदक जीतकर व्‍यक्तिगत स्‍वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने थे।

नीरज ने क्वॉलिफिकेशन राउंड के पहले प्रयास में ही 86.65 मीटर के थ्रो के साथ फाइनल के लिए क्वॉलीफाइ कर भारत की पदक की उम्मीदें बढ़ा दी थीं। नीरज ग्रुप-ए में पहले स्थान पर रहे थे, उसके बाद उनसे सोना लाने की संभावना बढ़ गई थी। भारत का एथलेटिक्स में मेडल जीतने का 121 साल का इंतजार खत्म हो गया है। जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने भारत को इस स्पोर्ट्स में गोल्ड मेडल दिलाया है।

नीरज चोपड़ा ने अपनी थ्रोइंग स्किल्स को बेहतर बनाने के लिए जर्मनी के बायो मैकेनिक्स एक्सपर्ट क्लाउस बार्तोनित्ज से ट्रेनिंग ली थी। इसके बाद उनके प्रदर्शन में निरंतरता आई है।


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