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कांग्रेस की जीत में कितना कारगर सिद्ध होगा नया नारा "लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ।"

Shiv Kumar Mishra
21 Oct 2021 1:52 PM GMT
कांग्रेस की जीत में कितना कारगर सिद्ध होगा नया नारा लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ।
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NK Singh

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की प्रियंका गांधी की सक्रियता जिस तरह तेजी से बढ़ती जा रही है, उससे देखकर यह लगता है कि आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर किसी तरह की कोई कमी ना रह जाए। इसके लिए प्रियंका गांधी तिल तक परखने का ध्यान रख रही हैं। नया नारा है "लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ।" और इसी नारे के साथ कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में 40 फ़ीसदी महिला उम्मीदवारों को उतारने का ऐलान किया है। यह सिर्फ कही गई बात नहीं बल्कि पूरी तरह से सुनिश्चित कर दिया गया है। यानी कि कुल 403 विधानसभा सीटों के सापेक्ष 161 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की महिला उम्मीदवार नजर आएंगी । आखिर कांग्रेस का 40 फ़ीसदी महिला उम्मीदवारों को उतारने के पीछे तर्क क्या है?

उत्तर प्रदेश में महिलाओं के अपराध पर अगर नजर डालें तो राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो का एक रिपोर्ट यह बताता है कि उत्तर प्रदेश में 2017 में महिलाओं अपराध के मामलों की संख्या 56011 थी, जबकि 2019 में संख्या बढ़कर 59853 महिला अपराध के मामले दर्ज किए गए थे। कुछेक घटनाओं पर भी नजर डाला जाए तो उत्तर प्रदेश विधानसभा के सामने आग लगाकर आत्मदाह करने की घटनाएं भी बढ़ी हैं। जिससे यह संदेश जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति कानून बिल्कुल अच्छी तरह से काम नहीं कर पा रहा है। महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध से महिलाओं के बीच उपजे असंतोष को प्रियंका गांधी ने बहुत अच्छी तरह से भांप लिया है। इसी नारे और 40 फीसदी की प्रतिबद्धता के साथ उन्होंने महिलाओं को अपने पाले में लाने की कोशिश की शुरुवात की है।

दूसरी बात यह भी हो सकता है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा, सपा और बसपा और अन्य पार्टियां में भी महिला नेत्रियों को कोई खास तवज्जो नही दिया जा रहा हैं। जिसकी वजह से यह लगा है आने वाले चुनाव के ऐन वक्त पहले इन्हीं पार्टियों की नाराज महिला नेत्रीयां कांग्रेस के पाले में जा सकती हैं। उत्तर प्रदेश में इस समय 14.66 करोड़ कुल मतदाता में से महिला वोटरों की संख्या 6.70 करोड़ है और इस समय उत्तर प्रदेश विधानसभा में 403 के सापेक्ष कुल 40 महिला विधायक अपनी हिस्सेदारी रखती हैं।

लखनऊ में प्रियंका गांधी ने जब 40 फ़ीसदी सीटों पर महिलाओं के उतारे जाने का ऐलान किया, तब उसके कुछ समय बाद कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह का बयान आता है, " कांग्रेस का एक अच्छा फैसला है, लेकिन महिलाओं को जिताऊ सीट दी जानी चाहिए ना कि उन्हें बलि का बकरा बनाया जाना चाहिए।" अदिति सिंह का यह बयान काफी मायने रखता है क्योंकि हाल के ही पंचायत चुनाव में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों पर महिलाएं चुनाव तो लड़ी, लेकिन अधिकांश महिलाओं को महज मुखौटा बना करके चुनाव लड़ा गया था।

कांग्रेस में वर्तमान में कोई मजबूत महिला नेता नहीं है। वर्तमान में उसके पास विधानसभा में एकमात्र महिला विधायक है, वह है प्रतापगढ़ के रामपुर खास से विधायक आराधना मिश्र। जो की इस समय कदम-कदम पर प्रियंका गांधी के साथ नजर आ रही है। मजबूत महिला उम्मीदवारों परखने की कोशिश में प्रियंका के साथ आराधना मिश्र की भी भागीदारी निश्चित की गई है। जब प्रियंका गांधी ने 40 प्रतिशत महिला उम्मीदवारों के उतारने का ऐलान किया तो उन्होंने कहा कि "यह निर्णय प्रयागराज, चंदौली, उन्नाव, सोनभद्र, लखनऊ के साथ-साथ उन पीड़ित महिला और आम महिलाओं के लिए है जो न्याय चाहती हैं, जो किसी न किसी रूप में प्रताड़ित हैं और पीड़ित है।" प्रियंका गांधी के बयान से यह आशय निकाला जा सकता है प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश के 40 फ़ीसदी सीटों पर अपराध का शिकार हुई महिलाओं को उम्मीदवार बनाने की कोशिश करेंगी। यह तो आने वाले चुनावों में देखना दिलचस्प होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव में महिला सशक्तिकरण की दिशा में क्या नई इबारत लिखी जाएगी।

जो कांग्रेस की प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में महिला हितों की पैरवी कर रही हैं। हम उन्हीं के पार्टी में महिला जिम्मेदारी की संख्या पर नजर डालते हैं। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष की सूची को अगर देखा जाए तो हरियाणा की कुमारी शैलजा के अलावा आपको किसी भी राज्य के प्रदेशाध्यक्ष के रूप में कोई महिला नजर नहीं आएगी। कुछेक राज्यों में वर्किंग प्रेसिडेंट के रूप में इक्का-दुक्का महिलाएं भी काम कर रही हैं। युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष की बात की जाए तो शायद ही कोई महिला युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष पद को सुशोभित कर रही है। कांग्रेस के चुनाव प्राधिकरण के 5 सदस्यों में से केवल एक मात्र महिला सदस्य को रखा गया है और कांग्रेस की कोर ग्रुप समिति के 7 सदस्यों में से एक भी महिलाएं नहीं है। राज्य स्तर पर प्रियंका गांधी की सोच अगर बहुत अच्छी है तो राष्ट्रीय स्तर पर उनकी सोच इतनी अलग क्यों है?

इस समय देश के तीन राज्यों में कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सरकार चला रही है। पंजाब में महज 2 महिला कैबिनेट में है ,जबकि छत्तीसगढ़ में एक महिला कैबिनेट में हैं और राजस्थान में कोई भी महिला कैबिनेट मंत्री नहीं है। केवल एक महिला को राज्य मंत्री के ओहदे से सम्मानित कर कर राजस्थान में कांग्रेस ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक अच्छी पहल कर ली है। आखिर प्रियंका गांधी ने महज उत्तर प्रदेश में ही 40 फीसद महिला उम्मीदवारों के उतारने का ऐलान क्यों किया है? आने वाले समय में उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पंजाब, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड में भी चुनाव होने वाले हैं। प्रियंका गांधी इन राज्यों पर कोई विशेष ध्यान क्यों नहीं देना चाहती है? क्या प्रियंका गांधी इन राज्यों की महिलाओं के लिए नहीं सोच रही है? अगर प्रियंका गांधी को महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक नई तस्वीर बनानी है, तो वह हर राज्य में भी 40 फ़ीसदी महिला उम्मीदवारों को उतारने का ऐलान करें। जिससे उनके ऊपर राज्यवार पक्षपाती होने का आरोप ना लगे।




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