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योगी कैबिनेट में इन तीन नामों ने सबको चौंकाया, क्या है इनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि जाने

सुजीत गुप्ता
25 March 2022 11:26 AM GMT
योगी कैबिनेट में इन तीन नामों ने सबको चौंकाया, क्या है इनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि जाने
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यूपी में एक बार फिर आज से योगी राज शुरू हो गया है। गोरखपुर से रिकॉर्ड मतों से जीते योगी आदित्यनाथ ने दूसरी बार सीएम पद की शपथ ले ली है। योगी आदित्यनाथ यूपी के 33वें मुख्यमंत्री बन गए हैं। योगी के बाद केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक को डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलाई गई। केशव प्रसाद मौर्य पिछली सरकार में भी डिप्टी सीएम रहे हैं, जबकि ब्रजेश पाठक कानून मंत्री। योगी के नए मंत्रिमंडल में 52 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। इसमें से 18 कैबिनेट, 14 राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 20 राज्यमंत्री शामिल हैं। पूरे शपथ ग्रहण समारोह का गवाह लखनऊ स्थित इकाना स्टेडियम गवाह बना है।

योगी कैबिनेट ने इस बार सियासी गलियारे में सबको चौंका दिया है। योगी की टीम में कई ऐसे नाम शामिल हुए हैं, जो हर किसी को हैरान करने वाले हैं। इनमें से कुछ तो ऐसे हैं जो किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। इनके नामों की चर्चा भी कहीं नहीं थी। इनमें दानिश आजाद ने तो भाजपा के कद्दावर मंत्री रहे मोहसिन रजा का पत्ता काट दिया।

जानिए सबको हैरान करने वाले योगी के मंत्रियों के बारे में...

दानिश आजाद- योगी आदित्यनाथ की सरकार में इकलौते मुस्लिम मंत्री बनाए गए हैं। युवा चेहरा और बुलंद आवाज। छह साल तक भाजपा से जुड़े छात्र संगठन यानी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ता रहे। दानिश उन चेहरों में हैं, जो पार्टी के लिए मेहनत करते रहे हैं। 2017 में इसका पहला इनाम भी उन्हें मिला। तब दानिश को उर्दू भाषा समिति का सदस्य बनाया गया था। 2022 के चुनाव से ठीक पहले उन्हें भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा का महामंत्री बनाया गया। दानिश को मोहसिन रजा की जगह मंत्री बनाया जा रहा है।

दानिश के बारे में खास जानकारी

दानिश आजाद अंसारी मूल रूप से बलिया के बसंतपुर के रहने वाले हैं। उम्र 32 साल है।

2006 में लखनऊ यूनिवर्सिटी से बी.कॉम की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद यहीं से मास्टर ऑफ क्वालिटी मैनेजमेंट फिर मास्टर ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की है।

जनवरी 2011 में भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ गए। यहीं से दानिश के आजाद ख्यालात लखनऊ विश्वविद्यालय में गूंजने लगे।

दानिश ने खुलकर एबीवीपी के साथ-साथ भाजपा और आरएसएस के लिए युवाओं के बीच माहौल बनाया। खासतौर पर मुस्लिम युवाओं के बीच।

दानिश 2018 में फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी के सदस्य रहे। बाद में उन्हें उर्दू भाषा समिति का सदस्य बना दिया गया। ये एक तरह से दर्जा प्राप्त मंत्री का पद होता है।

जसवंत सैनी- योगी कैबिनेट में हैरान करने वाला दूसरा नाम जसवंत सैनी का है। जसवंत सैनी उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हैं। सैनी की ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं। उन्होंने 1989 में संघ कार्यकर्ता के रूप में कार्य किया और फिर छात्र राजनीति में आए। पढ़ाई पूरी करने के बाद सियासी सफर पर निकल पड़े। करीब 32 साल के सफर में संगठन के भीतर तमाम उच्च पद हासिल किए। 2009 में एकमात्र चुनाव लोकसभा का लड़ा, लेकिन नहीं जीत पाए।

जसवंत सैनी रामपुर मनिहारान क्षेत्र के गांव आजमपुर के रहने वाले हैं और अब रामपुर मनिहारान में बड़गांव मार्ग पर रहते हैं। यहां उन्होंने शाकंभरी टेंट हाउस के नाम से अपना कारोबार किया हुआ है। वह छह भाइयों में सबसे बड़े हैं तथा दो बहनें भी हैं। रामपुर मनिहारान स्थित महाविद्यालय से उन्होंने ग्रेजुएशन किया तो सहारनपुर स्थित जैन डिग्री कॉलेज से एमए और एलएलबी की पढ़ाई की। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान से पहले वह संघ के शाखा कार्यवाह और मुख्य शिक्षक रहे। इसके बाद देवबंद तहसील प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली। तीन साल तक भाजपा के सहारनपुर जिलाध्यक्ष भी रहे।

सैनी का राजनीतिक सफर ऐसा रहा

1989 में संघ के शाखा कार्यवाह और मुख्य शिक्षक रहे।

1991 में देवबंद तहसील प्रमुख बने और एबीवीपी के जिला प्रमुख।

1997 में भाजयुमो महामंत्री बन सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया।

2001 में भाजयुमो के जिलाध्यक्ष बनाए गए।

2004 में भाजपा के जिला महामंत्री बनाए गए।

2007 से 2010 तक भाजपा जिलाध्यक्ष रहे।

2009 में सहारनपुर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा।

2010 से 2014 तक भाजपा प्रदेश मंत्री रहे।

2017 से 2020 तक प्रदेश उपाध्यक्ष रहे।

2019 में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष बने।

2021 में राज्य पिछड़ा वर्ग का अध्यक्ष बनाया गया।

3. दयाशंकर मिश्र दयालु : काशी ने बना दिया मंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी यानी काशी के रहने वाले दयाशंकर मिश्र 'दयालु' को भी योगी कैबिनेट में शामिल किया गया है। दयाशंकर को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार का पद मिला है। ये दूसरी बार है, जब दयाशंकर को भाजपा ने इनाम दिया है। 2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें पूर्वांचल विकास बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया था। ये भी राज्यमंत्री का पद होता है। माना जाता है कि पीएम मोदी के चुनावी टीम में दयाशंकर काफी अहम भूमिका निभाते हैं।

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