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आज थम जाएगा छठे चरण का चुनाव प्रचार, कई नेताओं की प्रतिष्ठा दाव पर लगी

सुजीत गुप्ता
1 March 2022 8:04 AM GMT
आज थम जाएगा छठे चरण का चुनाव प्रचार, कई नेताओं की प्रतिष्ठा दाव पर लगी
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छठे चरण का चुनाव प्रचार मंगलवार को थम जाएगा। इस चरण में 3 मार्च को 10 जिलों की 57 सीटों पर मतदान होगा। जिन जिलों में चुनाव होने हैं उनमें बलिया, गोरखपुर, बलरामपुर, देवरिया, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, महाराजगंज, बस्ती और अंबेडकरनगर शामिल हैं। इन जिलों के 2.14 करोड़ से अधिक मतदाता 676 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।

इस चरण में जिन प्रमुख प्रत्याशियों की किसमत दांव पर है उसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्य सरकार में मंत्री सतीश द्विवेदी, सूर्य प्रताप शाही, उपेंद्र तिवारी, श्रीराम चौहान व राम स्वरूप शुक्ला मुख्य हैं। इनके अलावा नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय, बसपा छोड़ सपा में आए लालजी वर्मा, राम अचल राजभर, पूर्व मंत्री राममूर्ति वर्मा, राज किशोर सिंह, स्वामी प्रसाद मौर्य, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत कई अन्य दिग्गज शामिल हैं।

फाजिलनगर सीट से भाजपा से सपा में आए स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव लड़ रहे हैं। इसके पहले वह दो बार 2012 व 2017 में पडरौना सीट से विधायक चुने गए। पहली बार बसपा तो दूसरी बार भाजपा से विधायक बने। फाजिलनगर सीट पर लगातार दो बार 2012 व 2017 में भाजपा का कब्जा रहा है। अब देखना होगा स्वामी प्रसाद भाजपा का विजय रथ रोकने में कितना कामयाब होते हैं।

सोहरतगढ़ की इटावा विधानसभा सीट सपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी है। माता प्रसाद पांडेय वर्ष 2002 से 2012 तक लगातार तीन बार जीते, लेकिन वर्ष 2017 में वह हार गए। माता प्रसाद पांडेय इस बार फिर सपा से और सतीश चंद्र द्विवेदी भाजपा से मैदान में हैं।

अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट बसपा की गढ़ मानी जाती रही है। यहां से पांच बार बसपा व एक बार 2012 में सपा के शंखलाल मांझी और वर्ष 1991 में भाजपा जीती। पिछला चुनाव बसपा से लालजी वर्मा जीते थे इस बार वह सपा से मैदान में हैं। जलालपुर अब तक केवल एक बार 1996 में भाजपा जीती है। इसके अलावा पांच बार बसपा और वर्ष 2012 में सपा जीती। टांडा में वर्ष 2017 में पहली बार भाजपा जीती है। इसके पहले चार बार बसपा 1993 से 2007 तक और 2012 में सपा जीती। अकबरपुर सीट भी बसपा के खाते में पांच बार जा चुकी है। इसलिए बसपा के लिए यह चारों सीटें अहम मानी जा रही हैं।

बलिया की रसड़ा विधानसभा सीट से लगातार दो बार से बसपा के उमा शंकर चुनाव जीत रहे हैं। उमाशंकर की प्रतिष्ठा का सवाल है, तो भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। बलिया की सिकंदरपुर सीट पर अब तक एक बार सिर्फ भाजपा 2017 में चुनाव जीती है। सपा इस सीट पर तीन बार चुनाव जीत चुकी है। भाजपा के सामने जीत बरकरार रखने की चुनौती है। बलिया की बांसडीह से सपा के राम गोविंद चौधरी लगातार दो बार से 2012 व 2017 से चुनाव जीतते आ रहे हैं। भाजपा वर्ष 1974 से आज तक एक भी चुनाव नहीं जीत पाई है।

सुजीत गुप्ता

सुजीत गुप्ता

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