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सड़क पर भिड़ गए किन्नरों के दो गुट, निर्वस्त्र कर जूतों से की गई पिटाई,वायरल हुआ फिर

Shiv Kumar Mishra
9 Oct 2021 8:01 PM IST
सड़क पर भिड़ गए किन्नरों के दो गुट, निर्वस्त्र कर जूतों से की गई पिटाई,वायरल हुआ फिर
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दशहरा और दीपावली पर आपके घर लक्ष्मी आए या ना आए लेकिन किन्नर जरूर पहुंचेंगे। पिछले कुछ दशकों में एक अघोषित नियम या कहिये अलिखित संविधान तैयार कर लिया गया है इसके तहत हिन्दू पर्व से पहले अपने अपने ठिकानों पर किन्नरों की टोली पहुंच जाती है, जो घर और दुकानों में जा- जाकर दीपावली और नवरात्रि के नाम पर पैसों की मांग करते है। देखा यह गया है कि इन टोलियों के बीच की प्रतिस्पर्धा अक्सर खूनी रंजिश में बदल जाती है।

हर साल की तरह इस बार भी यह दोनों परंपरा कायम है। नवरात्र के साथ ही मुंगेली और आसपास के इलाकों में किन्नरों की टोलियां पहुंच चुकी है, जो रोज ढोलक के साथ दुकानों और घरों में जाकर बख्शीश मांग रहे हैं। इनके बीच गला काट प्रतिस्पर्धा हमेशा से रही है। यही कारण है कि पथरिया , लोरमी जरहागांव और मुंगेली के किन्नरों के बीच टकराव की खबरें लगातार आ रही है। इनके बीच ना सिर्फ पैसों की वसूली और इलाके को लेकर झगड़ा है बल्कि एक कभी ना खत्म होने वाला झगड़ा है असली और नकली किन्नर का। अक्सर एक गुट दूसरे गुट पर नकली किन्नर होने का आरोप लगाता रहा है। आरोप है कि कुछ लोग किन्नरों का भेष बनाकर अवैध वसूली कर रहे हैं। इससे असली किन्नरों में काफी रोष है। किन्नरों का कहना है कि यही फर्जी किन्नर ही अपराधिक गतिविधियों को भी अंजाम देते हैं, जिससे किन्नर समुदाय बदनाम होता है। इसी दौरान मुंगेली के पुल क्षेत्र में किन्नरों के दो समूह आपस में भिड़ गए, जिन्होंने एक दूसरे के साथ भरपूर गाली गलौज करते हुए जूतम पैजार की।

इस दौरान लोक लाज और मर्यादाओं को ताक पर रखकर एक दूसरे के कपड़े उतार कर सड़क पर ही बेशर्मी की सारी हदें पार की गई। किन्नरों की इस लड़ाई को देखने लोगों का मजमा लग गया और वे इसमें मनोरंजन तलाशते देखे गए। किन्नरों का आरोप है कि दूसरा समूह फर्जी किन्नर है। वैसे जानकार बताते हैं कि आज भी लाखों में कोई एक ही किन्नर जन्म लेता है। वर्तमान में जितने किन्नर नजर आते हैं वे सब कृत्रिम तरीके से किन्नर बनाए गए हैं। अधिकांश पहले पुरुष थे। किसी के साथ छल कर या फिर कोई लालच में आकर किन्नर बना है। इसलिए ऐसे आरोपों का खास आधार नहीं है । असल में किन्नरों के अलग-अलग गुट है जो अपने इलाके की कमाई पर एकाधिकार चाहते हैं। जब उनके इलाके में किसी और गुट की घुसपैठ होती है तो उसे लेकर स्वाभाविक तौर पर टकराव भी होता है और अपने हित के लिए किन्नर किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं। यही वजह है कि हर साल की तरह इस बार भी मुंगेली में किन्नरों का खूनी संघर्ष आरंभ हो गया है। इनकी उच्श्रृंखलता को देखकर पुलिस भी इनके मामलों में दखल नहीं देती, जिस कारण से इनके हौसले बढ़ते चले जा रहे हैं और अब तो यह लड़ाई स्थायी होता जा रहा है।



Shiv Kumar Mishra

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