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भारत यायावर का असमय जाना

Desk Editor
22 Oct 2021 1:15 PM GMT
भारत यायावर का असमय जाना
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भारत यायावर जी से उन्हीं दिनों मेरा परिचय हुआ क्योंकि तत्कालीन पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं छपती थीं।

विजय कुमार तिवारी

अभी-अभी बहुत दुखद समाचार मिला है। भारत यायावर का ऐसे असमय जाना हिन्दी साहित्य की अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे और शोक-सन्तप्त परिजनों को दुखद घड़ी में सहन करने की शक्ति दे।

कुछ घंटों पूर्व, कल ही उन्होंने अपने पोस्ट पर लिखा, "मेरी तबीयत ठीक नहीं है। कुछ देर पहले सांसें उखड़ रही थीं। अभी इलाज चल रहा है।" स्वाभाविक तौर पर उनके मित्रों,परिजनों और चाहने वालों ने चिन्ताएं जताई,स्वस्थ होने की बातें कीं और परमात्मा से दुआएं मांगी। आज उनकी ओर से संदेश मिला कि स्वस्थ महसूस कर रहे हैं तो सब ने चैन की सांस ली। अचानक उनके ही फेसबुक वाल से उनके सुपुत्र ने दुखद सूचना प्रसारित की। शोक की लहर फैल गयी।

1981-82 में अपने धनबाद प्रवास के समय श्री देव भूषण,अनवर शमीम,बोकारो से उमेश्वर दयाल और कुछ अन्य साथियों ने मिलकर "धनबाद जिला प्रगतिशील लेखक संघ" की शुरुआत की। भारत यायावर जी से उन्हीं दिनों मेरा परिचय हुआ क्योंकि तत्कालीन पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं छपती थीं। मेरा लेखन कार्य धीरे-धीरे बंद ही हो गया। लगभग 30-31 वर्षों बाद सेवा मुक्त होकर लेखन शुरु किया,फेसबुक और मोबाइल का जमाना आया,हम फिर मिले और खूब मिले। खुशी हुई उन्होंने मुझे याद रखा था और तब से हम फेसबुक और मोबाइल के माध्यम से सम्पर्क में रहे। फोन पर देर-देर तक बातें हुई हैं और काफी जीवन्त सम्बन्ध रहे हैं।

ऐसी सूचना ने स्तब्ध और दुखी कर दिया है। कुछ विशेष कहने की स्थिति नहीं है। उन्होंने श्रमसाध्य बड़ा-बड़ा काम किया है। शोधपूर्ण कार्य और अनवरत लेखन के चलते उन्हें साहित्य में सदैव याद किया जायेगा। रेणु पर उनके कार्यों की सराहना होती है। अभी उनकी बहुत सी योजनाएं थीं और बहुत कुछ लिखना था। ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। होता वही है जो ईश्वर चाहता है। विनम्र श्रद्धाञ्जलि।

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