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शराब बेचने के मामले में कर्नाटक को पीछे छोड़ नबंर वन बना यूपी, जानिए एक साल में कितने रूपये की बिकी शराब

UP becomes number 1 in terms of selling liquor by defeating Karnataka
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शराब बेचने के मामले में कर्नाटक को पीछे छोड़ नबंर १ बना यूपी

शराब बेचने के मामले में यूपी ने कर्नाटक को पीछे छोड़कर नंबर 1 बन गया है।

Liquor Policy Of UP: उत्तर प्रदेश ने इस वित्त वर्ष में रिकॉर्ड 42,250 करोड़ रुपये का उत्पाद शुल्क राजस्व अर्जित किया है, जो 2017-18 में दर्ज 14,000 करोड़ रुपये से तीन गुना अधिक है, जिस वर्ष योगी आदित्यनाथ सत्ता में आए थे। शराब की बिक्री मामले में यूपी अब कर्नाटक को भी पीछे छोड़कर नबंर वन बन गया है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि कर्नाटक की तरह, यूपी में बेंगलुरु नहीं है, जो आईटी हब है और उच्च कमाई वाले युवाओं का घर है, जो नियमित पार्टियों की मेजबानी करते हैं।

यूपी बना नबंर 1

आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन ने कहा कि कर्नाटक अब दूसरे स्थान पर चला गया है पहले स्थान पर यूपी आ गया है। हमारी नीति ने उद्योग को एकाधिकार को तोड़ने के लिए लाइसेंस शुल्क-आधारित प्रणाली से उपभोग-आधारित प्रणाली में पूरी तरह से स्थानांतरित कर दिया। हमने दुकानों की संख्या भी प्रति व्यक्ति दो तक सीमित कर दी है। आवंटन पैटर्न को पहले नीलामी-आधारित मॉडल से ई-लॉटरी प्रणाली में बदल दिया गया था। हमने ट्रैक और ट्रेस सिस्टम स्थापित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया है।

उन्होंने आगे बताया कि यूपी सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क नीति में संशोधन ने बड़े खिलाड़ियों के एकाधिकार को खत्म कर दिया है और छोटे व्यवसायियों के लिए शराब क्षेत्र में प्रवेश करना संभव बना दिया है।

राज्य उत्पाद शुल्क विभाग ने पिछले वित्तीय वर्ष के पहले छह महीनों के दौरान 16 प्रतिशत की राजस्व वृद्धि दर्ज की है। ऐसा शराब की बढ़ती मांग और पड़ोसी राज्यों से अवैध शराब और तस्करी के खिलाफ मजबूत प्रवर्तन के कारण हुआ है।

दिल्ली सरकार की 2022-23 की विवादास्पद उत्पाद शुल्क नीति के विपरीत, जहां शराब व्यापारियों को खुली बोली के माध्यम से लाइसेंस दिए गए थे, यूपी में ई-लॉटरी प्रणाली है, जो छोटे खिलाड़ियों को उद्योग में प्रवेश करने की अनुमति देती है।

यूपी-एनसीआर जिलों के लिए अवसर

दिल्ली की उत्पाद शुल्क नीति पर विवाद और राष्ट्रीय राजधानी में पसंदीदा ब्रांडों की उपलब्धता की कमी ने यूपी-एनसीआर जिलों (नोएडा और गाजियाबाद) के लिए भी एक अच्छा मौका दिया। विभाग द्वारा की गई समीक्षा के मुताबिक इस साल 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक राजस्व संग्रह 18,562 करोड़ रुपये रहा है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 16,025 करोड़ रुपये था।

पूर्व अपर मुख्य सचिव, आबकारी, (अब सेवानिवृत्त) संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि हमारी टीम ने वित्तीय वर्ष के लिए तय की गई कार्ययोजना के अनुसार काम किया। हमने व्यापार करने में आसानी को बेहतर बनाने के लिए भी कदम उठाए हैं और इसलिए राज्य में अधिक ब्रांड उपलब्ध हैं।

इन जिलों में बिकी सबसे ज्यादा शराब

विभाग के लिए लखनऊ सबसे ज्यादा पैसा कमाने वाला रहा है, जबकि नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर और बरेली भी आगे रहे हैं। कुशीनगर, शाहजहाँपुर, सोनभद्र,देवरिया,लखीमपुर खीरी,हरदोई और चित्रकूट जैसे छोटे जिलों ने भी उच्च राजस्व की सूचना दी है। अधिकारियों ने कहा कि इस साल छह डिस्टिलरीज स्थापित की गई हैं और सात और इस वित्तीय वर्ष के अंत तक तैयार हो जाएंगी।

40 फीसदी बढ़ी बीयर की मांग

जहां भीषण गर्मी के कारण बीयर की मांग 40 फीसदी बढ़ गई है, वहीं विभाग आने वाले महीनों में रम और व्हिस्की की बिक्री पर भरोसा कर रहा है।

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उद् भव त्रिपाठी

उद् भव त्रिपाठी

इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज से स्नातक पूर्ण किया हूं। पढ़ाई के दौरान ही दैनिक जागरण प्रयागराज में बतौर रिपोर्टर दो माह के कार्य का अनुभव भी प्राप्त है। स्नातक पूर्ण होने के पश्चात् ही कैंपस प्लेसमेंट के द्वारा haribhoomi.com में एक्सप्लेनर राइटर के रूप में चार महीने का अनुभव प्राप्त है। वर्तमान में Special Coverage News में न्यूज राइटर के रूप में कार्यरत हूं। अध्ययन के साथ साथ ही कंटेंट राइटिंग और लप्रेक लिखने में विशेष रुचि है।

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