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पूरे दिल्ली एनसीआर में कहीं से भी गाड़ी चोरी होकर जाती कहां है, अगर आपके पास गाडी है तो ये खबर जरुर पढ़ें !

Shiv Kumar Mishra
20 Oct 2021 11:30 AM GMT
पूरे दिल्ली एनसीआर में कहीं से भी गाड़ी चोरी होकर जाती कहां है, अगर आपके पास गाडी है तो ये खबर जरुर पढ़ें !
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संजय विस्फोट

पूरे दिल्ली एनसीआर में कहीं से भी गाड़ी चोरी हो, उनमें से अधिकांश सीधे मेरठ के सोतीगंज मोहल्ले में पहुंचती है। यहां ऐसे ऐसे कबाड़ के कारीगर बैठे हैं जो कुछ ही घंटों में गाड़ी का पुर्जा पुर्जा अलग अलग कर देते हैं। फिर उन्हीं पुर्जों को कबाड़ बनाकर मेरठ से लेकर दिल्ली के जामा मस्जिद मार्केट तक में बेचा जाता है।

ये कोई बहुत गुप्त रहस्य नहीं बता रहा आपको। ये ऐसा ज्ञात सत्य है जिसे पुलिस प्रशासन से लेकर राजनीतिक बस्ती तक लगभग सभी जानते हैं कि सोतीगंज नाम का क्या मतलब है। लेकिन कभी किसी ने हाथ लगाने का प्रयास नहीं किया। कुछ राजनीतिक मजबूरी और कुछ घुसखोरी। सोतीगंज की ओर जिसने भी हाथ बढाया उसका हाथ रोक दिया गया। कभी पैसे के बल पर तो कभी पहुंच के बल पर।

आखिर पुलिस प्रशासन के हाथ सोतीगंज तक पहुंचते भी तो कैसे? वो तो मोमिन कबाड़ियों की बस्ती है। किसकी मजाल जो उन पर हाथ डाल दे? लेकिन सोतीगंज वालों के दुर्भाग्य से उत्तर प्रदेश में एक ऐसे योगी की सरकार आ गयी जिसने सोतीगंज को उजाड़ कर दिया। इस बस्ती का किंग कबाड़ी हाजी नईम उर्फ हाजी गल्ला पुलिस की गिरफ्त में आ गया। उस पर गाड़ी चोरी से लेकर अवैध कारोबार तक के कई मुकदमें है। लेकिन इतने से क्या होता है? भारत में मुकदमें तो होते ही रहते हैं। इससे चोरी डकैती और अपराध रुकते हैं क्या?

लेकिन योगी प्रशासन ने हाजी गल्ला की करोड़ों की संपत्ति कुर्क करके उसके कबाड़ के कारोबार की कमर तोड़ दी। अब हाजी गल्ला पुलिस रिमांड में है। पुलिस रिमांड से बचने के लिए उसने बेहोश होने का नाटक भी किया लेकिन बच नहीं पाया। उसके साथ ही सोतीगंज के जिन अवैध कबाड़ियों पर पुलिस कार्रवाई हुई है उनमें उसके दो बेटे बिलाल और इलाल भी शामिल हैं। इसके अलावा जीशान उर्फ पव्वा, शुएब, फुरकान, आलिम, बिलाल, खालिद और वसीम भी शामिल हैं।

हां, इस खबर का आपके लिए क्या मतलब है? अब अगर आप दिल्ली एनसीआर में रहते हैं तो आपके गाड़ी चोरी होने की संभावना कम हो गयी है। जहां तक राजनीतिक प्रभाव की बात है तो सोतीगंज में योगी प्रशासन की इस कार्रवाई का असर जाटलैण्ड में किसान आंदोलन से ज्यादा होगा।

Shiv Kumar Mishra

Shiv Kumar Mishra

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