Top Stories

" मस्जिद का दरवाजा बड़ा क्यूं और मन्दिर का छोटा क्यूं..."

Shiv Kumar Mishra
18 April 2022 11:01 AM IST
 मस्जिद का दरवाजा बड़ा क्यूं और मन्दिर का छोटा क्यूं...
x

संजय रोकड़े

आखिर भारत में हिन्दू बाहुल्य होते हुए भी हिन्दू धर्म खतरें में क्यूं है आपने कभी सोचा है। नही सोचा तो जरुर सोचिये।

खैर।

आपने कभी इस बात पर प्रबलता से विचार किया है कि आखिर क्यूं सभी पुरानी मस्जिदों के दरवाज़े बड़े और खुले होते हैं और सारे प्राचीन मंदिरों के दरवाज़े तंग और छोटे होते हैं।

अपवाद के रुप में एक दो को छोड दें, पर जनरल नियम यही है कि मन्दिर के दरवाजे मस्जिद के दरवाजों से छोटे होते है।

आप माने या ना माने लेकिन स्थापत्य कला याने Architecture का भी अपना एक समाजशास्त्र होता है। इस पर कभी विस्तार से चर्चा करते है।

बहरहाल ये सोचे कि ऐसा क्यूं हुआ कि एक धर्म 50 से ज़्यादा देशों में फैल गया और दूसरा धर्म अपने मूल स्थान में भी हर दिन ख़तरे में ही रहता है।

जिस राज्य में मुसलमान मात्र 2 फीसदी हो वहां भी वह ख़तरे में ही रहता है।

असल में हिंदू धर्म का अपना आंतरिक ख़तरा है। यह धर्म इस बात के लिए भी आश्वस्ति नहीं देता है कि वास्तव में कभी खतरा आ भी जाए तो सब एकजुट होकर लड़ेंगे।

इस बात में कोई किन्तु परंतु कैसे हो सकता है कि जो धर्म अपने ही धर्म में लोगों को नीच बता व बना कर रोकता है उस धर्म में एकता कहाँ से आएगी?

खैर, मन्दिरों के दरवाजें तो हम कभी भी बड़े कर लेंगे लेकिन हिन्दू धर्म के ठेकेदारों को चाहिये कि दिल बड़ा करें।

धर्म के ठेकेदार धर्म के अंदर सबको साथ लेकर चलना सीखें उनको भी साथ ले जिनको नीच मान कर धिक्कार दिया है।

जाति भेद भूला कर और सबको इंसान मान कर समान धर्म के लोगों के साथ भाईचारा और समानता अपनाएं।

यकिन मानिए ऐसा किया तो धर्म पर छाया ख़तरा हट जाएगा। वरना डरते रहिये और डराते रहिए। सच से मुंह छुपाते रहिये।

Next Story