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योग हमारे भारत की प्राचीन भारतीय कला का एक उत्कृष्ट प्रतीक- स्वामी चिदानंद
ऋषिकेश। उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष श्री प्रेमचन्द अग्रवाल जी पहुंचे परमार्थ निकेतन। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और विधानसभा अध्यक्ष श्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने मार्च को परमार्थ निकेतन में आयोजित आगामी अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के आयोजन, उत्तराखंड के हरित विकास, नदियों के दोनों तटों पर वृक्षारोपण आदि विषयों पर हुई विस्तृत चर्चा की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि विगत वर्ष आनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से परमार्थ निकेतन द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन किया गया था परन्तु इस वर्ष वैश्विक योग परिवार के साथ माँ गंगा के पावन तट परमार्थ निकेतन में अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।
स्वामी जी ने कहा कि योग हमारे भारत की प्राचीन भारतीय कला का एक उत्कृष्ट प्रतीक है। जो जीवन को सकारात्मक और ऊर्जावान बनाये रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से संपूर्ण विश्व त्रस्त था, ऐसे समय में अनुलोम-विलोम, प्राणायाम जैसी योग-विधियों के माध्यम से अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में योग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
योग न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शक्तियों के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करता है। योग एक बहेतर विकल्प है, जिससे हम स्वयं के साथ पूरे समष्टि से जुड़ सकते है।
योग अर्थात 'एकत्व' व 'जुड़ना' और 'जोड़ना'। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है ''योगः कर्मसु कौशलम्'' अर्थात् योग से कर्मों में कुश्लाता आती है। व्यावाहरिक स्तर पर योग शरीर, मन और भावनाओं में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने का एक साधन है।
श्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के कारण ऋषिकेश को एक नयी पहचान प्राप्त हुयी है। मुझे प्रसन्नता है कि अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव पुनः अपने प्रारम्भिक स्वरूप में पूज्य स्वामी जी के मार्गदर्शन आयोजित हो रहा है जिसके लिये मेरी शुभकामनायें हैै। श्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने सहपरिवार परमार्थ निकेतन का भ्रमण किया और पूज्य स्वामी जी का आशीर्वाद लिया।