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अब इलाहाबाद विश्वविद्यालय में सौर ऊर्जा से हर महीने होगी बीस लाख की बचत!
शशांक मिश्रा
भारत सौर ऊर्जा का सबसे बड़ा बाजार बन रहाहै. एक आंकड़े के मुताबिक अब भी देश के तीस करोड़ लोग बिजली से वंचित हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाया जा सके तो इससे जीडीपी दर भी बढ़ेगी और भारत सुपर पावर बनने की राह पर भी आगे बढ़ सकेगा।
आज इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.रतन लाल हांगलूं ने आज लॉ फैकल्टी की छत पर सौर ऊर्जा की इस परियोजना का उद्घाटन किया। विश्वविद्यालय ने आज वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में देशभर में एक बड़ा मुकाम हासिल किया है।बिजली की खपत को कम करने के लिए तथा स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सौर उर्जा प्लेट को स्थापित करने की यह परियोजना सोलर एनर्जी कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) भारत सरकार के निर्देशानुसार जून 2018 से विश्वविद्यालय में आरंभ हुई थी। मात्र पाँच महीने में ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने यह कार्य पूरा कर लिया। अब विश्वविद्यालय के हर विभाग की छत पर तथा महिला छात्रावास की छत पर पूरी तरह सौर प्लेट लग चुके हैं। विश्वविद्यालय के 23 भवनो की छत अब पूरी तरह सौर प्लेट से युक्त है।
पूरे विश्वविद्यालय में ऐसे 4426 सौर प्लेट लगाए गए हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल 17,000 वर्ग मीटर है। इस सौर परियोजना से इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रतिदिन 6000 यूनिट बिजली उत्पन्न होगी तथा विश्वविद्यालय को इससे हर माह लगभग बीस लाख रूपये का लाभ होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शनिवार और रविवार को जब विश्वविद्यालय बंद रहेगा तो विश्वविद्यालय द्वारा इलाहाबाद शहर को बिजली प्रदान की जायेगी। यानी विश्वविद्यालय में बनी हुई बिजली का लाभ शहरवासियों को भी मिलेगा।
महत्वपूर्ण है कि इस सौर ऊर्जा प्लांट के संचालन और रखरखाव में विश्वविद्यालय को एक रुपया भी खर्च नहीं करना पड़ेगा। एच एफ एम सोलर कंपनी के द्वारा ही अगले 25 वर्ष तक इन सौर प्लेट का रख रखाव किया जाएगा। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रतन लाल हंगलू और एच एफ एम सोलर पॉवर के मैनेजिंग डायरेक्टर धर्मेंद्र जैन की उपस्थित में आज इस परियोजना का उद्घाटन किया गया।
इस मौके पर जन संपर्क अधिकारी चित्तरंजन कुमार ने कहा कि "विश्वविद्यालय ने आज गैर पारंपरिक ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है।अब इससे विश्वविद्यालय को हर महीने लगभग बीस लाख रूपये की बचत होगी। हमने मात्र पाँच महीने की अवधि में ही यह परियोजना पूर्ण कर ली। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ऐसा करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय बन गया है। "