प्रयागराज

अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पर ये उम्मीदवार है मजबूत! उपाध्यक्ष पद के निर्दलीय प्रत्याशी ने निकाला लंबा काफिला

Special Coverage News
3 Oct 2018 5:41 PM GMT
अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पर ये उम्मीदवार है मजबूत! उपाध्यक्ष पद के निर्दलीय प्रत्याशी ने निकाला लंबा काफिला
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एशिया के सबसे पुराने छात्रसंघ इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव का अंतिम दौर शुरू हो गया है?

शशांक मिश्रा

इलाहबाद : एशिया के सबसे पुराने छात्रसंघ इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव का अंतिम दौर शुरू हो गया है। आज अध्यक्ष सहित कई पदों के प्रत्याशियों ने काफिले निकाले,प्रत्याशी पूरे दमखम के साथ प्रचार में जुटे हुए हैं। अभी शाम को वीमेंस हॉस्टल में अध्यक्ष पद के एक प्रत्याशी पर हॉस्टल में खाना बांटने को लेकर दूसरे प्रत्याशी के गुट को जानकारी मिलने पर जमकर हंगामा किया। खैर आज काफिलों का दिन था यदि आज काफिला दिवस कहा जाय तो अतिश्योक्ति नही होगी। चुनावी समीकरण बदलने में ये काफिले भी कुछ भूमिका अदा करते हैं।




राजनैतिक जानकारों के अनुसार अध्यक्ष पद पर समाजवादी छात्र सभा के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी उदय प्रकाश और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अतेंद्र सिंह के बीच सीधी टक्कर है। दोनों मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं। अध्यक्ष पद पर उदय प्रकाश यादव अपनी जाति के एकलौते उम्मीदवार हैं। वही अतेंद्र सिंह के अलावा उनकी जाति के कई उम्मीदवार मैदान में हैं। इसके अलावा विद्यार्थी परिषद विरोधी लहर भी अतेंद्र के लिए चुनौती बनकर उभरी है।




वहीं, आज उपाध्यक्ष पद के निर्दलीय प्रत्याशी सचिन शर्मा पंडित ने लग्जरी गाड़ियों का लंबा काफिला निकालकर मठाधीशो के चुनावी समीकरण को चुनौती देते हुए बदल दिए हैं। लगातार मजबूत स्थिति बनाये हुए इस प्रत्याशी को छात्रों का सपोर्ट भी मिल रहा है। छात्रसंघ चुनाव के जानकारों के मुताबिक वर्तमान समय मे ब्राह्मण को टिकट न मिलने से ABVP विरोधी लहर चल रही है।




इस विरोध लहर और इस पद पर एक ब्राह्मण उम्मीदवार होने से इसका सीधा फायदा सचिन पंडित को मिल रहा है। उपाध्यक्ष पद में निर्दलीय सचिन पंडित को सीधी टक्कर NSUI के अखिलेश यादव देते नजर आ रहे हैं। अखिलेश भी यादव जाति में एकलौते उमीदवार है उपाध्यक्ष पद के लिए।




इसके बावजूद छात्र राजनीति के राजनैतिक जानकारों का मानना है कि अभी तक संचिन पंडित की स्थिति अन्य प्रत्याशियों के मुकाबले काफी मजबूत है। अभी चुनावी समीकरण को बदलने और उसे वोट बैंक का रूप प्रदान करने की कोशिश पुराने मठाधीशो, नेताओ में जारी है। राजनीति में भविष्यवाणी तारो को गिनने के समान है। अब देखना होगा कि AUSU 2018 का विजेता कौन होता है।

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