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जब दर्शक प्रेमचंद की कहानी नशा में गए डूब ,आज मुंशी प्रेमचंद के रंग में रंगा इविवि

शशांक मिश्रा
आज इलाहाबाद विश्वविद्यालय का रंग कुछ बदला बदला सा नजर आया एक तरफ जहां छात्र कुलपति के खिलाफ विरोध को जारी रखते हुए गिरफ्तार हुए तो वही दूसरी तरफ इलाहाबाद विश्वविद्यालय आज मुंशी प्रेमचंद के रंग में रंग गया। अवसर था राजभाषा अनुभाग के तत्वावधान में आयोजित राजभाषा पखवाडे के समापन समारोह एवं गृह पत्रिका संकल्पना के विमोचन का।
इस कार्यक्रम का आरंभ संगीत विभाग की टीम द्वारा सरस्वती वंदना एवं कुलगीत से हुई। इसके बाद सुधीर सिन्हा(सदस्य रा.भा.का.समिति) के संचालन में प्रेमचंद की 6 कहानियों का एक एक करके मंचन हुआ। सीनेट हॉल में बैठे दर्शकों को अपने स्कूल के दिन की याद कहानी "बड़े भाई साहब" के मंचन ने दिला दी। प्रो. पंकज कुमार के संयोजन में फिल्म एंड थियेटर विभाग के छात्र/छात्राओं ने इस कहानी का मंचन महेश यादव के निर्देशन में किया।
स्कूल के दिनों के बाद दर्शक प्रेमचंद की कहानी नशा में डूब गए। इस कहानी का मंचन ईश्वर सरन डिग्री कालेज ने डॉ गायत्री सिंह के संयोजन में किया। इस कहानी का निर्देशन डॉ आलोक मिश्र ने किया।
इस मदहोशी के बाद जाति व्यवस्था की सच्चाई का बयान जगत तारन गर्ल्स डिग्री कालेज की प्रस्तुति "सदगति" ने किया। इस कहानी का निर्देशन सुकृति मिश्रा एवं डॉ विजय लक्ष्मी ने किया।
जाति व्यवस्था के बाद दर्शकों को आर्य कन्या ने हंसने का "निमंत्रण" दिया। इस कहानी का निर्देशन डॉ कल्पना वर्मा ने किया। आगे गांव के "ठाकुर का कुआं" हमें झकझोरता है। इस कहानी का मंचन के.पी. ट्रेनिंग कालेज ने निर्दशक विवेक सिंह के निर्देशन में एवं डॉ शक्ति शर्मा के संयोजन में किया।
रिश्तों की मर्यादा की याद एस.एस. के. स्नातकोत्तर महिला महाद्यिालय की प्रस्तुति "बूढी काकी" ने दिला दी। इस कहानी का मंचन डॉ रचना आनंद गौड के संयोजन में किया।
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए साथ ही राजभाषा पखवाडे 2018 के अवसर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी प्रमाण पत्र प्रदान किए गए । इस अवसर पर डीन कला संकाय एवं डीन विज्ञान संकाय एवं सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष मौजूद थे।
