बाराबंकी

यूं ही नहीं बढ़ गई बाराबंकी में शराब के बहाने जहर बेचने वालों की जुर्रत!

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28 May 2019 11:48 AM GMT
बाराबंकी शराब काण्ड में मृत लोंगों की तस्वीर
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बाराबंकी शराब काण्ड में मृत लोंगों की तस्वीर
पहले भी हुआ है मौतों का तांडव, रुपये बांटे बदलवा दिए बयान, कहा गया ठंड लगने से गई जान, जनवरी 2018 में स्प्रिट पीने से मारे गए थे 12 लोग

बाराबंकी ।

जहरीली शराब से आज जिन मौतों पर हंगामा बरपा है, यही तांडव 2018 की सर्दियों में भी हुआ था। तब इसी निजाम में जिले में बैठे अफसरों ने मौसम की आड़ में मौत की वजह दिल का दौरा पड़ना, ठंड लगना तथा बीमारी बताते हुए अपनी गर्दन बचा ली थी।

शराब के ठेकेदारों ने भी मौत की वजह ठंड बताने के लिए गांव में रुपये बांटे थे। नतीजा उसी जहरीले कारोबार की कोख से 17 महीने बाद इस दर्दनाक मंजर ने जन्म ले लिया। साल 2018 की 10 जनवरी को एक के बाद एक देवा के कई गांव और रामनगर के थालखुर्द निवासी कुल 12 लोगों ने शराब व स्प्रिट के सेवन से दम तोड़ दिया।

इन मौतों की वजह देवा के सलारपुर गांव में अर्जुन के घर हुई दावत से जुड़ी थी। इसमें शामिल हुए रीवा रतनपुर के उमेश, जसनवारा के माता प्रसाद, ढिंधौरा के राकेश, नौमीलाल देवगांव और रामनगर के थालखुर्द गांव के अवनीश और काशीराम आदि की मौत हो गई थी। हुआ यूं कि अर्जुन बीमार था उसकी खैरियत लेने रिश्तेदार आये थे।

बेटे रामनरेश ने मीट बनाया। इसी के साथ शराब व स्प्रिट खूब पी गई। उस समय जिले में तैनात डीएम अखिलेश तिवारी, एसपी अनिल सिंह और आबकारी विभाग ने एक शातिर गिरोह की तरह काम किया। देवा के स्प्रिट विक्रेता मदन व अजीत जायसवाल पर मुकदमा दर्ज किया। जिला प्रशासन ने कुल 12 मौतों में छह का ही विवरण दिया।

अफसरों ने बताया कि रामफल गौतम खेत मे ठंड लगने से, नौमीलाल हार्ट अटैक से, कमलेश ठंड से सत्यनाम की तबियत खराब हो गई और मजदूर राकेश की मजदूरी कर घर वापस लौटने पर मौत हो गई।

मौतों की वजह बीमारी और ठंड बता दी थी अफसरों ने

प्रशासनिक साजिश का आलम यह था कि आबकारी विभाग ने शराब के ठेकेदारों को ही गांव वालों को समझाने में लगा दिया। यही नहीं गांव वालों को नगद रुपये भी बाटे गए। समझाया ये गया कि अगर मौत का कारण शराब बताया तो पैसा नहीं मिलेगा। ठंड लगना बताओगे तो सरकार से पैसा मिलेगा।

इसी का नतीजा था ग्राम ढिंधौरा निवासी अर्चना के मुंह से कहलवाया गया कि पिता राकेश रात में ठीक थे, सुबह तबियत खराब होने के बाद मौत हो गई। इस मामले में जसनवारा निवासी अनिल की आंखों की रोशनी भी चली गई थी। अफसरों ने खुद ये कहा था कि 70 रुपये में 7 बोतल स्प्रिट खरीदी गई थी। जिन लोगों के शव का पोस्टमार्टम हुआ उसमे अल्कोहल न मिलने की बात कही गई।

उस समय सीएमओ ने ये भी कहा था कि जो लोग मरे हैं वो ठंड लगने से नहीं मर सकते। उसी निजाम में आज जुर्रत इतनी बढ़ गई कि सरकार और प्रशासन को ठेंगे पर रखकर सरकारी दुकान से मौत बाटी जाने लगी। रानीगंज की दुकान में बिक्री के लिए आई शराब में मिलावट की गई, क्या मिलाया गया ये तो जांच में पता चलेगा।

जिस मौसम का बहाना लेकर जनवरी 2018 में अफसरों ने अपनी गर्दन बचा ली वही मौसम आज दुश्मन बन गया। आसमान से बरसती आग में पीड़ितों के हौसले और भी तोड़ दिए। तेज गर्मी में उल्टी और पेटदर्द ने उन्हें बेदम कर दिया फिर सांसे रुक गईं।

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