इटावा

सैफई में 26 साल बाद अपने ही गढ़ में मुलायम परिवार हुआ आउट

Shiv Kumar Mishra
3 March 2021 11:29 AM GMT
सैफई में 26 साल बाद अपने ही गढ़ में मुलायम परिवार हुआ आउट
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इटावा. यूपी पंचायत चुनाव की आरक्षण प्रकिया की वजह से समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के गांव सैफई में 26 साल बाद अब उनके परिवार का कोई सदस्य ब्लॉक प्रमुख नहीं बन सकेगा. असल में ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि 1995 से आरक्षण प्रकिया लागू होने के बाद सैफई में दलित आरक्षण की प्रकिया नहीं अपनाई गई थी.

इसी कारण योगी सरकार की ओर से आरक्षण प्रकिया को सख्ती से अपनाने के निर्देश दिये गए थे और इसी वजह से सैफई में ब्लॉक प्रमुख पद अनसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया है. सैफई ब्लॉक बनने के बाद से अब तक यहां की कुर्सी मुलायम सिंह यादव के भतीजों, नाती पूर्व सांसद और बिहार के मुख्यमंत्री लालू यादव के दामाद तेज प्रताप और उनके माता-पिता, चाचा के ही पास रही है. फिलहाल यहां से लालू की समधन और तेज प्रताप की मां मृदुला यादव ब्लॉक प्रमुख हैं.

इस बार ब्लॉक प्रमुख पद एससी महिला को आरक्षित हो जाने के चलते सपा को कैंडिडेट ढूंढना पड़ेगा, वो भी ऐसा जो कि परिवार के बेहद करीब हो. साल 1995 में पहली बार सैफई ब्लॉक बना था और तभी ये सीट सिर्फ सामान्य या फिर ओबीसी के लिए ही आरक्षित रही है.

पहली बार 1995 में मुलायम सिंह यादव के भतीजे रणवीर सिंह यादव ब्लॉक प्रमुख चुने गए थे. साल 2000 में हुए चुनाव में भी रणवीर सिंह ही फिर से जीते थे. हालांकि 2002 में उनके निधन के बाद मुलायम सिंह के दूसरे भतीजे धर्मेंद्र यादव यहां से ब्लॉक प्रमुख बने. साल 2005 में रणवीर सिंह के बेटे तेज प्रताप सिंह यादव को ब्लॉक प्रमुख चुनावों में जीत मिली. 2010 में भी तेजप्रताप ही जीते, लेकिन 2014 के चुनाव में तेज प्रताप को मैनपुरी लोकसभा से सांसद चुन लिया गया जिसके बाद 2015 में उनकी मां मृदुला यादव ब्लॉक प्रमुख का चुनाव जीती थीं.

इस बार प्रदेश सरकार ने नए सिरे से आरक्षण लागू किया और जो सीटें कभी एससी के लिए आरक्षित नहीं रहीं हैं उनको प्राथमिकता पर एससी के लिए आरक्षित कराने का फरमान जारी किया था. इसी फरमान के चलते सैफई सीट पहली बार एससी महिला के लिए आरक्षित हुई है.

सैफई गांव में प्रधान पद भी आरक्षित

सपा विरोधी राजनेता ऐसा मानते हैं कि सपा सरकारों में कभी भी आरक्षण की प्रकिया का सही ढंग से निस्तारण ना करना मुसीबत खड़ा कर गया. इसी वजह से अब दलित आरक्षण को लागू करने के लिए शासन सख्त हुआ है. साफ है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की आरक्षण सूची ने समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के गांव सैफई की पंचायत पर सबसे बड़ा प्रभाव डाला है, जहां पर 26 साल बाद ब्लॉक प्रमुख पद मुलायम परिवार के इतर अब कोई बनेगा.

इस सीट पर यादव परिवार का करीबी काबिज होता आया है लेकिन इस बार यह सीट एससी महिला के लिए आरक्षित हुई है. समझा जाता है कि किसी दलित महिला के ब्लॉक प्रमुख चुने जाने पर इस सीट पर मुलायम परिवार की बादशाहत खत्म हो जाएगी. इसके अलावा सैफई गांव में प्रधान का पद भी आरक्षित घोषित हुआ है.

बता दें कि यूपी पंचायत चुनाव में आरक्षण प्रक्रिया की अंतिम सूची जारी की गई तो सैफई ब्लॉक प्रमुख पद के आरक्षण को लेकर सभी की निगाहें टिकी हुई थीं. आरक्षण की अंतिम सूची सैफई ब्लॉक नंबर एक पर पाया गया जिसमें 1995 से 2015 की स्थिति दर्शाकर 2021 एसी वर्ग की महिला के लिए आरक्षित किया गया है.

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