अयोध्या

अयोध्या में बोले योगी, 'दलितों के पूर्वज थे महर्षि वाल्मीकि'

Arun Mishra
15 Dec 2018 11:27 AM GMT
अयोध्या में बोले योगी, दलितों के पूर्वज थे महर्षि वाल्मीकि
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हम सब का भगवान राम से साक्षात्कार कराने वाले महर्षि वाल्मीकि ही है, वाल्मीकि समुदाय के लोगों से छुआछूत करते हैं. यह दोहरा चरित्र जब तक रहेगा तब तक कल्याण नहीं होने वाला है

संदीप श्रीवास्तव की रिपोर्ट

अयोध्या : अयोध्या में आयोजित समरसता कुम्भ के मंच से सीएम योगी ने बड़ा बयान दिया है. सीएम योगी ने सवाल उठाया कि वेद की अधिकतर ऋचाएं किसने रची. आज आप कहते हैं कि महिला वेद नहीं पढ़ सकती, दलित वेद नहीं पढ़ सकता, वेद की अधिकतम रिचाओं को रचने वाले वे ऋषि हैं जिन्हें आज हम दलित कहते हैं उनके पूर्वज हैं. दुनिया के अंदर कोई ऐसी भाषा नहीं जिसमे रामायण ना हो इसका आधार कौन है.

महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण दुनिया के अंदर जितने रामायण है उनका आधार बनी है. महर्षि वाल्मीकि कौन थे, महर्षि वाल्मीकि हमारी मुक्ति के आधार राम है हमारे आदर्श राम है और हम सब का भगवान राम से साक्षात्कार कराने वाले महर्षि वाल्मीकि ही है और हम उन्हीं की परंपरा को भूल जाते हैं. वाल्मीकि समुदाय के लोगों से छुआछूत करते हैं. यह दोहरा चरित्र जब तक रहेगा तब तक कल्याण नहीं होने वाला है. विचार आचार में समानता से ही व्यक्ति की सफलता उसकी मुक्ति और उसके नाश का कारण बनता है. जब चरित्र में दोहरापन है. तब व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकता. इसलिए आचार और विचार में सौम्यता बेहद आवश्यक है.




अयोध्या में सीएम ने कहा वाल्मीकि समुदाय के लोगों के साथ छुआछूत की भावना है. यह दोहरा चरित्र जब तक रहेगा तब तक कल्याण नहीं होने वाला है. जिन्होंने वेदों से हम सब का साक्षात्कार कराया उन महर्षियों को हम भूल गए हमने उस परंपरा को भुला दिया. हम आज राहुल गांधी की तरह अपना नया गोत्र बनाने लगे तो दुर्गति तो होनी ही होनी है. इसीलिए मैं आपसे कहने आया हूं कि विदेशी जो चाहते थे वह हमने आसानी से स्वीकार कर लिया.




जो भारत की परंपरा के दुश्मन चाहते थे उसे हमने अंगीकार कर लिया. रामायण और महाभारत से पुरातन ग्रंथ और क्या हो सकता है हमने उसे सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ मानकर एक स्थान पर रख दिया जिसे सिर्फ कथावाचक ही पढ़ सकते हैं और कथा में ज्ञान बाँटते हैं बाकी सब सुनते हैं. इतिहास लिखने का जिम्मा हमने उनको दे दिया जिनका खुद का इतिहास 2000 साल पुराना भी नहीं है. जिनका स्वयं का अस्तित्व नहीं है वह आज हमारे अस्तित्व पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. ऐसे लोग बताते हैं कि फलाने जगह शिलालेख में यह लिखा मिला है इसलिए इस स्थान पर यह था. हम अपने शाश्त्रों पर ग्रंथों पर विश्वास करें या पत्थरों पर लिखी बातों पर. अनुमान के आधार पर लिखी बातों पर हमने विश्वास किया.

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