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- राम मंदिर भूमि खरीद...
राम मंदिर भूमि खरीद घोटाला क्या है आसान शब्दो मे समझिए
गिरीश मालवीय
मान लीजिए कि आपके शहर में एक मंदिर का निर्माण होना है मंदिर निर्माण एक सार्वजनिक कार्य है इसलिए सबसे पहले एक ट्रस्ट का निर्माण किया जाता है (श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ) जो इस मंदिर को बनवाने की पूरी जिम्मेदारी लेता है ट्रस्ट सबसे पहले एक बैंक अकॉउंट खोलता है कोषाध्यक्ष , महामंत्री और अध्यक्ष का नियंत्रण इस बैंक अकॉउंट पर होता है ट्रस्ट एक चन्दा अभियान चलाता है जिसके अंदर जन सहयोग से बहुत बड़ी रकम आ जाती है , ( राम मंदिर निर्माण में ट्रस्ट के पास अब तक 5000 करोड़ की समर्पण निधि आ गयी है ) चूंकि कोर्ट के आदेश से मंदिर निर्माण की भूमि का आवंटन पहले ही हो चुका है इसलिए भूमि की कोई परेशानी नही है लेकिन ट्रस्ट यह प्रस्ताव पारित करता है कि हमे उससे भी ज्यादा भूमि की आवश्यकता है..... (राम जन्मभूमि के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मंदिर ट्रस्ट के पास 67 एकड़ जमीन पहले से ही है, लेकिन ट्रस्ट 41 एकड़ जमीन आसपास से अधिग्रहित किये जाने की बात करता है)
वह कुछ सदस्यों को मंदिर से लगी भूमि की खरीद के लिए नियुक्त करता है,....... अब यह सदस्य मंदिर की भूमि से सटी जमीन के कब्जेदारों के पास जाते हैं और एक डील करते हैं ( राम मंदिर वाले मामले में यह डील 12 हजार 80 वर्ग मीटर है )
इस भूमि का सौदा जमीन के मालिकों से 2 करोड़ रुपये में करते हैं, ( राम मंदिर मामले में संजय सिंह के अनुसार जमीन मालिक कुसुम पाठक और हरीश पाठक है पवन पांडे के अनुसार जमीन मालिक बाबा हरिदास है ) इस भूमि को सीधे ट्रस्ट को बेचा जाना चाहिए लेकिन यहाँ एक खेल होता है जमीन को सीधे ट्रस्ट न बेच कर किसी ओर को बैनामा कर दी जाती है ( राम मंदिर के मामले में सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी नामक व्यक्तियो को यह भूमि बैनामा हुई है ) और उसी भूमि को पिछले सौदे के बाद मात्र 5 मिनट में ट्रस्ट को 18 करोड़ में बेच दी जाती है ( रवि मोहन तिवारी नाम के एक साधु व सुल्तान अंसारी के नाम बैनामा हुई इस भूमि को ठीक पांच मिनट के बाद जन्मभूमि ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय साढ़े 18 करोड़ रुपए में खरीद लेते हैं जिसमें से 17 करोड़ रुपए आरटीजीएस के जरिए पेशगी के तौर पर दिए गए हैं )
यह है पूरा घोटाला जिसमे साफ साफ दिख रहा है कि दो करोड़ रुपए में खरीदी गई जमीन का दाम लगभग प्रति सेकंड साढ़े पांच लाख रुपए बढ़ गया ? सीधे 18 करोड़ हो गया ?.
मजे की बात यह है कि जो राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय बैनामा कराने में गवाह थे, वो ही इस जमीन को ट्रस्ट के नाम पर खरीदने में भी गवाह बन गए.
अब यह सीधा सीधा भ्रष्टाचार का मामला है या नही यह पाठक ही तय करे, वैसे यह तो बहुत छोटा सा मामला है जो सामने आ गया कुल पांच हजार करोड़ रुपये ट्रस्ट के बैंक एकाउंट में आ गए हैं अभी विदेशी दान दाताओं ओर भी दान देंगे यानी अभी।और भी।मामले सामने आ सकते हैं.