फर्रुखाबाद

सलमान खुर्शीद की पत्नी और सचिव के खिलाफ गैर जमानती वारंट, 16 अगस्त को होगी अगली सुनवाई

सुजीत गुप्ता
21 July 2021 5:28 AM GMT
सलमान खुर्शीद की पत्नी और सचिव के खिलाफ गैर जमानती वारंट, 16 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
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मंगलवार को फर्रुखाबाद के मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेअ प्रवीण कुमार त्‍यागी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद समेत दो

पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्‍नी लुईस खुर्शीद और सचिव अतहर फारूखी के खिलाफ यूपी के फर्रुखाबाद की एक अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। वर्ष 2009-10 में दिव्यांगों के उपकरण वितरण का कैंप दिखाकर लाखों रुपये हड़पने के आरोप में पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी पूर्व विधायक लुईस खुर्शीद व डा. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट के सचिव के खिलाफ सीबीसीआइडी ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप पत्र दाखिल होने के बाद न्यायालय ने आरोपितों को उपस्थित होने के आदेश दिए थे

इस मामले में मंगलवार को फर्रुखाबाद के मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेअ प्रवीण कुमार त्‍यागी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद समेत दो लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया। मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्‍त को होगी। जून 2017 में आर्थिक अपराध शाखा ने इस मामले की जांच शुरू की थी।

सीबीसीआइडी के इंसपेक्टर रामशंकर यादव ने कायमगंज कोतवाली में 29 मई 2010 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें कहा गया था कि फर्रुखाबाद मऊदरवाजा थाने के निकट स्थित डा. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट को 71.50 लाख रुपया आवंटित किया गया था। बताया जा रहा है कि लुईस खुर्शीद इस खरीद से सम्‍बन्धित परियोजना की निदेशक थीं। 30 दिसंबर 2019 को इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया गया था। अभी तक सामने आई जानकारी के मुताबिक मार्च 2010 में डॉक्टर जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट को यूपी के 17 जिलों में दिव्यांगों को व्हीलचेयर, ट्राई साइकिल और सुनने के यंत्र वितरित करने के लिए केंद्र सरकार से 71.50 लाख रुपए का अनुदान मिला था। बाद में ट्रस्ट के पदाधिकारियों पर इस रकम में गबन का आरोप लगा था।

आरोप में कहा गया कि केंद्र सरकार से वह अनुदान यूपी के वरिष्ठ अधिकारियों के फर्जी हस्‍ताक्षर करके और मोहर लगाकर हासिल किया गया था। हालांकि ट्रस्ट का दावा था कि उसने एटा, मैनपुरी, अलीगढ़, शाहजहांपुर, इटावा, फर्रुखाबाद, कासगंज, बरेली और मेरठ समेत प्रदेश कई अन्‍य जिलों में शिविर लगाकर दिव्यांग बच्चों को उपकरण बांटे गए थे लेकिन आरोपों में कहा गया कि ऐसे शिविर कभी लगाए ही नहीं गए थे।

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