फिरोजाबाद

10 दलितों की हत्या में 42 साल बाद जज ने सुनाई उम्रकैद की सजा, घटना के समय इंदिरा गांधी और अटल बिहारी गए थे गाँव

Shiv Kumar Mishra
1 Jun 2023 4:16 PM GMT
10 दलितों की हत्या में 42 साल बाद जज ने सुनाई उम्रकैद की सजा, घटना के समय इंदिरा गांधी और अटल बिहारी गए थे गाँव
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थाना मक्खनपुर के गांव साढ़ूपुर में सन् 1981 में ताबड़तोड़ फायरिंग कर 10 हरिजनों की हत्या कर दी गई थी। फायरिंग में तीन लोग घायल भी हुए थे।

10 दलितों के सामूहिक नरसंहार में 42 साल बाद फैसला आया। उसमें फिरोजाबाद कोर्ट ने बुधवार को दोषी को उम्र कैद की सजा सुनाई। 10 आरोपियों में से अकेले बचे दोषी की उम्र अब 90 साल है और उसे अंतिम सांस तक जेल में सजा काटनी होगी। यही नहीं उस पर अर्थदंड भी लगाया गया है। ये न चुका पाने पर अतिरिक्त सजा भी काटनी होगी।

फिरोजाबाद जिला न्यायालय के सेशन जज, हरवीर सिंह ने कहा कि ये मामला विरल से विरलतम श्रेणी का है। ऐसी स्थिति में अभियुक्त के प्रति उदारता बरतना न्यायोचित नहीं है।

थाना मक्खनपुर के गांव साढ़ूपुर में सन् 1981 में ताबड़तोड़ फायरिंग कर 10 हरिजनों की हत्या कर दी गई थी। फायरिंग में तीन लोग घायल भी हुए थे। मक्खनपुर उस समय थाना शिकोहाबाद क्षेत्र में आता था और शिकोहाबाद, मैनपुरी का थाना था। शाम करीब 6.30 बजे हुई घटना की सूचना रेलवे स्टेशन के चीफ क्लर्क डीसी गौतम ने रात 9.15 बजे दी थी। उन्होंने ही अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया ता।

इस मामले में जांच के बाद 10 लोगों के खिलाफ पुलिस ने कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था। तारीख दर तारीख सुनवाई होती रही। इस दौरान नौ आरोपियों की मौत हो गई। वहीं फिरोजाबाद के रूप में नया जिला बनने के बाद शिकोहाबाद, मैनपुरी से हटाकर इसका हिस्सा बना दिया गया। इस पर मुकदमा एक अक्टूबर 2021 को मैनपुरी से स्थानांतरित होकर फिरोजाबाद सेशन जज हरवीर सिंह की अदालत में आ गया।

तत्कालीन पीएम इंदिरा व अटल बिहारी गए थे गांव

सामूहिक हत्याकांड को एक बागी गिरोह ने अंजाम दिया था। उस समय इस नरसंहार से पूरा देश हतप्रभ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी साढूपुर आई थीं। तब अटल बिहारी वाजपेयी ने मक्खनपुर से गांव साढ़ूपुर तक मार्च किया था। पीड़ित परिवारों को मक्खनपुर में 13 दुकानें बनवाकर दी गई थीं। शस्त्रत्त् लाइसेंस बनवाए गए थे।

चलने की हालत में नहीं था 90 वर्षीय दोषी

मामले में दोषी करार गंगादयाल की उम्र काफी अधिक हो चुकी है। ऐसे में उसका चल पाना भी मुश्किल हो रहा था। वो जमानत पर चल रहा था और केस की तारीख होने पर घर से ही कोर्ट आता था। सजा सुनाए जाने पर उनकी जमानत निरस्त कर दी गई और पुलिसकर्मी उन्हें पकड़कर कोर्ट के बाहर तक ले गए।

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