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पुलिस की लापरवाही से जेल से छूटा 22 करोड़ के घोटाले का मास्टरमाइंड
गाजियाबाद। 22 करोड़ के मुआवजा घोटाले का मास्टरमाइंड गोल्डी गुप्ता पुलिस की बड़ी लापरवाही से जेल से छूट गया। उस पर दर्ज 12 में से सिर्फ दो केस में ही पुलिस ने वारंट तामील कराए। इन दोनों में जमानत हो जाने के बाद पुलिस अन्य में वारंट तामील कराने के लिए जेल पहुंची तो पता चला कि वह एक दिन पहले ही जा चुका है। इतना ही नहीं, इसी केस में जेल गया सुधाकर मिश्रा, गोल्डी से पहले जमानत पर छूट चुका था, तब भी पुलिस की आंख नहीं खुली। अब दोनों की फिर से तलाश की जा रही है जबकि इन दो के अलावा पुलिस ने किसी और को गिरफ्तार ही नहीं किया।
अब गोल्डी और सुधाकर के घर पुलिस ने दबिश दी तो यह लापरवाही सामने आई है। दोनों को एसटीएफ ने 21 मई को गिरफ्तार किया था। उन्हें दो केस में जेल भेजा गया। इसके बाद 10 और दर्ज हो गए लेकिन इनमें उनके वारंट लेने की पुलिस को सुध नहीं आई। बड़ी चूक यह भी रही कि दोनों ने जमानत के लिए अर्जी दी, इसका भी पुलिस को पता नहीं चला। पुलिस ने वारंट तब लिए जब दोनों जेल से बाहर जा चुके थे। गोल्डी 29 जून को छूट गया जबकि पुलिस उसकी तलबी का आदेश लेकर जेल पहुंची 30 जून को।
40 दिन में नहीं दी रिमांड के लिए अर्जी
पुलिस ने गोल्डी गुप्ता की रिमांड लेने के लिए 40 दिन में कोर्ट में अर्जी ही नहीं दी। इससे पहले उसे तलब कराना होता है। इसी में इतनी देरी कर दी कि वह जमानत पर छूट गया। पुलिस तलबी के बाद उसकी रिमांड लेकर पूछताछ करती तो कई राज खुलते। इस मामले में अधिकारियों की भूमिका सवालों के घेरे में है। इस पर उससे पूछताछ की जानी थी लेकिन अब उसका कुछ पता नहीं चल रहा है ।
एसआईटी बनाई फिर भी जांच में ढिलाई
घोटाले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया फिर भी जांच में बड़ी ढिलाई बरती गई। अब तक यही साफ नहीं हो पाया है कि गोल्डी और उसके साथियों ने किन अफसर और किन कर्मचारियों के साथ मिलकर यह घोटाला किया। एफआईआर में लिखा है कि तत्कालीन अफसर और कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है लेकिन एसआईटी उनके नाम तक नहीं खोल पाई है। इस मामले में कोई आरोपी अब जेल में नहीं है।
विदेश भागने की आशंका
गोल्डी गुप्ता के पास पासपोर्ट है। उसका एक रिश्तेदार अमेरिका में रहता है। ऐसे में पुलिस को आशंका है कि वह विदेश भाग सकता है। इसीलिए उसका लुकआउट नोटिस जारी कराया गया है। सुधाकर मिश्रा एक अधिकारी का रिश्तेदार बताया जाता है। उसके भी कई परिचित विदेश में है।
फिर से चल रही तलाश
सीओ क्राइम अंशु जैन का कहना है कि गोल्डी और सुधाकर जमानत पर छूटे हैं। उनकी गिरफ्तारी के लिए प्रयास किया जा रहा है। जल्द ही उनकी संपत्ति की कुर्की की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। गोल्डी के बाहर जाने की आशंका पर लुक आउट नोटिस जारी कराया गया है।
ऐसे हुआ घोटाला
गोल्डी गुप्ता और उसके साथियों ने अधिकारियों और कर्मचारियों की सांठगांठ से दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस में लिए अधिग्रहण में जमीन देकर मोटा मुआवजा लिया। जमीन अशोक सहकारी समिति के नाम से दी गई। समिति फर्जी थी। जमीन की खरीद-फरोख्त पर रोक लग जाने के बाद भी बैनामे किए गए। इतना ही नहीं, ग्राम सभा की बंजर जमीन को अपनी बताकर मुआवजा ले लिया गया।