गाजियाबाद

सुपरटेक एस्टेट पर पर गिर सकती है गाज, जीडीए पर बढ़ता जा रहा है दबाव

Shiv Kumar Mishra
16 Dec 2020 3:17 AM GMT
सुपरटेक एस्टेट पर पर गिर सकती है गाज, जीडीए पर बढ़ता जा रहा है दबाव
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अब मेरठ आयुक्त को की गई शिकायत के बाद यह उम्मीद जगी है कि सोसायटी में अवैध निर्माण करे लिए जीड़ीए बिल्डर पर कानूनी शिकंज़ा कसेगा।

स्पेशल कवरेज न्यूज़

ग़ाज़ियाबाद। वैशाली के सेरक्टर 9 स्थित सुपरटेक एस्टेट और इसके बिल्डर पर ग़ाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) की तरफ से जल्द ही गाज गिर सकती है। जीडीए के सूत्रों के मुताबिक़ उन्हें सुपरटेक कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के बनाए आवासीय कॉम्पलेक्स में गंभीर अनियमितताओं को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही हैं। जीडीए पर इन शिकायतों के आधार पर बिल्डर के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने और बिल्डिंग में हुए अवैध निर्माण को गिराने का लगातार दबाव बन रहा है।

भारतीय जनता पार्टी स्वच्छ भारत अभियान (पश्चिमी उत्तर प्रदेश) की कार्यकारिणी के सदस्य क़ाज़ी शादाब ने मेरठ की आयुक्त अनीता मेश्राम को लिखित शिकायत करके सुपरटेक एस्टेट के मालिक और बिल्डर से सांठगांठ रखने वाले जीडीए के अधिकारकियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करन की मांग की है। मंगलवार को आयुक्त को सौंपे अपने शिकायती पत्र में क़ाज़ी शादाब ने आरोप लगाया है कि बिल्डर ने सुपरटेक एस्टेट का निर्माण जीडीए से पास कराए गए नक्शे के विपरीत किया है। इस पत्र में कहा गया है कि नक्शे में पास कराए गए पार्किंग की जगह पर बिल्डर ने अवैध रूप से जिम, आफिस, स्पोर्ट्स क्लब, कम्युनिटी हॉल और स्वीमिंग पूल का निर्माण किया है।

पत्र में आगे कहा गया है कि बिल्डर ने सुपरटेक एस्टेट के सामने की जीडीए की ग्रीन बेल्ट वाली ज़मीन पर अवैध रूप से क़ब्ज़ा करके पार्किंग बना दी है। बिल्डिंग के फ्लैट ख़रीदारों को ये पार्किंग काफ़ी ऊंचे दामों में बेची गई है। काज़ी शादाब ने अस पत्र में आरोप लगाया है कि बिल्डर ने जीडीए के कर्मचारियों से मिलकर उपरोक्त ज़मीन पर कब्ज़ा किया है और उस पर अवैध निर्माण किया है। इससे सरकार तथा विभाग को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है तथा सरकार की छवि खराब हो रही है।

मेरठ में की गई इस शिकायत के बाद जीडीए और सुपरटेक एस्टेट और कंपनी में हड़कंप मच गया है। ग़ौरतलब है है कि सुपरटेक एस्टेट बिल्डिंग बनने के बाद से ही विवादों में रही है। जीडीए में यहां की घोर अनियमितताओं की शिकायतों का अंबार लगा हुआ है। लेकिन कंपनी के साथ जीडीए के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत की वजह से हर बार मामला दब जाता है। हालांकि कुछ साल पहले बिलिडिंग पहिसर में अवैध रूप से बनी 18 दुकानों को जीडीए ने बुल्डोज़र चलवाकर ध्वस्त करा दिया था। पिछले साल स्वीमिंग पूल, जिम और कंपनी का दफ्तर भी सील कर दिया गया। लेकिन अनियमितताएं यहीं ख़त्म नहीं हुईं।


जीडीए के सूत्रों के मुताबिक़ बिल्डर ने बिल्डिंग बनाते समय 247 फ्लैटों का नक़्शा पास कराया था। लेकिन बिल्डिंग में उसने 357 फ्लैट बनाए। यानि 110 फ्लैट अवैध हैं। अवैध रूप से बनाए गए इन 110 फ्लैट्स को रेग्युलेराइज़ करने के लिए जीडीए बिल्डर पर जुर्माना लगाने की बात तो करते है लेकिन जुर्माना वसूलने की कार्यवाही नहीं करता। फिलहाल यह मामला अदालत में चल रही है। जुर्माना नहीं मिलने पर इन फ्लैट्स को गिराए जाने या इन्हें सील करने की कार्रवाई हो सकती है। ये मामला पिछले दस साल से बिल्डर, जीडीए और फ्लैट मालिकों के बीच झूल रहा है।

110 अवैध फ्लैट्स के अलावा कई फ्लैट्स की बाल्कनी जीडीए से पास नक्शे से ज़्यादा बड़ी बनाई गई है। इन पर भी टूट का खतरा मंडरा रही है। बिल्डर ने बिल्डिंग के चारों तरफ इतनी संकरी जगह छोड़ी ई है कि फायर ब्रिगेड का गाड़ी घूम तक नहीं सकती। इसकी भी कई नपाई हो चुकी है। नपाई में इसे सही पाया गया है। हैरानी इस बात की है कि इतनी अनियमितताओं के बावजूद बिल्डिंग को कंपलीशन प्रमाण-पत्र जारी किया गया और फायर विभाग की तरफ से भी अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया।

ताज़ा हालात ये है कि सुपरटेक एस्टेट में आज भी ग्रीन बेल्ट की जगह पर पार्किंग बेची जा रही है। जीडीए के ओएसडी से बात करने के बाद मालूम हुआ के जीडीए ने सुपरटेक को नोटिस दिया गया है। लेकिन अभी तक बिल्डर ने नोटिस का को कोई जवाब नहीं दिया है। सोसायटी के रहने वाले लोगों का कहना है कि यहां पर आरडब्लूए एक साल से ज्यादा से रद्द है। उसके बावजूद मेंटेनेंस के नाम पर पैसा वसूला जा रहा है। जबकि सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। ना ही वाहनों की सुरक्षा है और न सोसाइटी में रहने वालों की।

यह भी ग़ौरतलब है कि सुपरटेक ने मेंटेनेंस का काम दूसरी कंपनी को दिया हुआ है। मेंटिनेंस कम्पनी की जिम्मेदारी सोसाइटी की समस्या को हल करना है जैसे कि बिजली, लिफ्ट, पार्किंग की है जो भी समस्या है बिल्डिंग से संबंधित उसका रखरखाव करने की जिम्मेदारी मेंटेनेंस कंपनी की है। लेकिन इसके विपरीत मेंटेनेंस कंपनी के कर्मचारी सोसाइटी में ग्रीन बेल्ट की जगह में पार्किंग बनाकर बेच रहे हैं।

सोसाइटी में रहने वाले लोगों का कहना है कि सोसाइटी में बहुत ज्यादा अतिक्रमण है और करोड़ों का घोटाला है जीडीए से पास नक्शे के अनुसार बिल्डिंग का निर्माण नहीं हुआ है। लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से सुपरटेक एस्टेट बनाया गया है। इसी वजह से सारी समस्याएं है। यहां के निवासियों ने कई बार जीडीए में बिल्डर के ख़िलाफ शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब मेरठ आयुक्त को की गई शिकायत के बाद यह उम्मीद जगी है कि सोसायटी में अवैध निर्माण करे लिए जीड़ीए बिल्डर पर कानूनी शिकंज़ा कसेगा।

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