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ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी वैभव कृष्ण का गाजियाबाद से तबादला, सुनकर जनपद वासी हैरान
गाजियाबाद: एसएसपी वैभव कृष्ण मृदुभाषी और मिलनसार स्वभाव के कारण जनता और विभाग में लोकप्रिय रहे हैं। वैभव कृष्ण की छवि ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी की रही, लेकिन पुलिस कप्तान नेताओं से तालमेल नही बना सके और इसका खामियाज़ा उन्हें भुगतना पड़ा।
वैभव कृष्ण ने अपराधों के खात्मे और अपराधियों की धरपकड़ के लिए समय समय पर विभिन्न अभियान चलाये। ऑपरेशन आल आउट सबसे सफल प्रयोग रहा। परी दिवस , वादी दिवस ने भी जनपद में एक नई उम्मीद की किरण दी। सबसे सफल कार्य तो यह रहा जिसमें उनकी तारीफ़ डीजीपी ने भी की और जल्द ही यह बात पुरे यूपी में लागू होने की उम्मीद है। वो थी डायल 100 के पहुंचते ही आपकी रिपोर्ट दर्ज हो जाना। उनका कार्यकाल एक सफल में गिना जायेगा।
क्या जो जनता की समस्याओं को अच्छी तरह से सुन सके और अपने विभागीय दागी पुलिसकर्मियों व दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई कर सके। अगर यह गुनाह है तो एसएसपी वैभव कृष्ण को हटाना जायज है लेकिन सभी की बात सुनकर न्याय देना गलत है तो ट्रांसफर होना उचित है। ट्रांसफर पोस्टिंग एक प्रक्रिया है। लेकिन यह कार्य अगर कुछ दिन बाद होता तो कोई बात नहीं होती। जिस तरह सरिया गेंग की कमर तोडना और कई बड़े खुलासे करना उनके बड़े कार्य रहे। साथ कुछ वर्षों पुराने केस वर्क आउट हुए जो सालों से पड़े हुए थे। देखेंगे अब जनता के काम कितने प्रभावी ढंग से होंगे या फिर?
मेरा सिर्फ यही कहना है कि एसएसपी वैभव कृष्ण ने जितना गाजियाबाद की जनता का दिल जीता है। शायद ही अभी तक के कार्यकाल में किसी एसएसपी ने जीता हो। वैभव कृष्ण ने गाजियाबाद की जनता के दिलों में जगह बनाई है और एक इमानदार अधिकारी के रूप में उनका नाम हमेंशा हर जिला में लिखा जाता है। 2019 के लिए जमीन तैयार करने की इस तरह की कवायद एक नया नासूर न पैदा कर दे।
हाँ आज इस जिला के सभी सत्ताधारी पार्टी के नेता जरुर खुश होंगे जब यह खबर उनको मिलेगी। उन्होंने कभी किसी भी पीड़ित की समस्या को हमेशा प्राथमिकता पर रखा। गाजियाबाद का वैभव बचाते बचाते कृष्ण द्वारका चले गये।
हमेशा अपनी मुस्कराहट से हर मुसीबत का सामना करने वाले वैभव आज भी खुश थे। लेकिन उनके चाहने वाले उन गरीबों की आँखों में आंसू आ जायेंगे जो कल उनको उस जगह नहीं पायेंगे।