गाजियाबाद

IAS officer Mahendra Singh Tawar : गाज़ियाबाद में प्रदूषण के कहर को कम करने के लिए युवा आईएएस अधिकारी महेंद्र सिंह तवर जी जान से जुड़े

Shiv Kumar Mishra
29 March 2022 2:22 PM GMT
IAS officer Mahendra Singh Tawar : गाज़ियाबाद में प्रदूषण के कहर को कम करने के लिए युवा आईएएस अधिकारी महेंद्र सिंह तवर जी जान से जुड़े
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गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर में हवा में घुल रहा प्रदूषण का जहर लोगों के लिए कई महीनों से आफत बना हुआ है. हर साल तकरीबन चार महीने दिल्ली एनसीआर के लोगों को जहरीली हवा में सांस लेना पड़ता है. बात अगर हम मौजूदा समय की करें तो फिलहाल गाजियाबाद का प्रदूषण स्तर खराब श्रेणी में बरकरार है. प्रदूषण लोगों की सेहत का दुश्मन बना हुआ है.

गाज़ियाबाद में प्रदूषण के कहर को कम करने के लिए युवा आईएएस अधिकारी महेंद्र सिंह तवर लगातार कवायद कर रहे हैं. महेंद्र सिंह तवर गाजियाबाद के नगर आयुक्त हैं. महेंद्र सिंह तंवर ने गाजियाबाद में लंग्स ऑफ गाजियाबाद नाम से एक अभियान शुरू किया हुआ है. जिस तरह से इंसान के शरीर में लंग्स ऑक्सीजन पहुंचाते हैं ठीक उसी प्रकार से लंग्स ऑफ गाजियाबाद अभियान के तहत गाजियाबाद के लंग्स यानी कि पेड़ लगाए जा रहे हैं.

आमतौर पर आपने देखा होगा कि गड्ढा खोदा जाता है और उसमें पौधा लगा दिया जाता है जो कई सालों में पेड़ बन कर तैयार हो जाता है लेकिन गाजियाबाद के नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तवर काफी अलग विज़न के साथ काम कर रहे हैं. गाजियाबाद शहर में मियावाकी तकनीक से पौधारोपण किया जा रहा है. दरअसल मियावाकी तकनीक एक जापानी तकनीक है जिसके तहत एक साल में पौधे पेड़ का रूप ले लेते हैं. और दो साल के अंदर सघन वन तैयार हो जाता है.

नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर के विजन को जमीन पर उतार रही है नगर निगम के उद्यान प्रभारी डॉ अनुज. डॉ अनुज की देखरेख में गाजियाबाद के कई इलाकों में मियावकी तकनीक से पौधारोपण किया जा रहा है. हिंडन नदी के किनारे साईं उपवन में ही एक साल पहले मियावाकी तकनीक से पौधारोपण किया गया था. तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि एक साल में ही पौधे पेड़ का रूप ले चुके हैं. अधिकारियों की मानें तो कुल दो साल में ही घना वन बनकर तैयार हो जाएगा.

अरुण चंद्रा की रिपोर्ट

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