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गोरखपुर में बनेगा इको टूरिज्म केंद्र, पर्यटक उठा सकेंगे जंगल सफारी का लुत्फ

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश इको टूरिज्म बोर्ड का गठन किया गया, इसके साथ ही गोरखपुर वन प्रभाग ने कुस्मही जंगल को इको टूरिज्म का केंद्र बनाने को लेकर शासन को प्रस्ताव भेजा है। जल्द ही स्वीविकृति भी मिल जाएगी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कुसम्ही जंगल जो समुद्र तल से 84 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। गोरखपुर वन प्रभाग कुसम्ही जंगल के तिनकोनिया जंगल में इको टूरिज्म सेंटर का निर्माण करा रहा है। डीएफओ विकास यादव के कहने के अनुसार विनोद वन और उसके आसपास शहर की बाउंड्री वाल से सटे शहर वासियों एवं पर्यटकों को नेचर कैंपिंग, बर्ड वाचिंग एवं वॉच टॉवर, एडवेंचर एक्टिविटी, आरोग्य ईको टूरिज्म सेंटर, नेचर इंटरपटेशन सेंटर, नेचर रेल एवं हाथी, घोड़ा, ऊंट, और खुली जीप से शहर की सुविधा उपलब्ध कराएंगे। इन सभी सुविधाओं के लिए पर्यटकों को शुल्क भी देना होगा। डॉ अनीता अग्रवाल का कहना है कि यह रामगढ़झील के बाद गोरखपुर वासियों की दूसरी सबसे पसंदीदा स्थल बनेगा।
ये सुविधाएं उपलब्ध होंगी
आपको बता दें कि नेचर कैंपिंग के अंतर्गत प्लेटफार्म एवं टॉयलेट की सुविधा से युक्त स्विस टेंट पर्यटकों को मिलेंगे। वही इसके अंतर्गत ट्री हाउस, सोलर लाइट, किचन और पीने के लिए पानी की व्यवस्था की जाएगी। बर्डवाचिंग के लिए माता चौरा मंदिर और बुढ़िया माता मंदिर के पास वाच टावर निर्मित किए जाएंगे।
पर्यटकों को यहां पर मनोरंजन के साथ-साथ उन्हें एडवेंचर स्पोर्ट्स से भी जोड़ने की योजना है, बता दें कि यहां सुरक्षित परिवेश एवं ट्रेनर की मदद के साथ बर्मा ब्रिज, काम्बिंग, रोपवे क्रॉसिंग सहित कई अन्य प्रकार के एडवेंचर गतिविधियों से जोड़ा जाएगा। वही आरोग्य इको टूरिज्म सेंटर में प्रशिक्षित योग शिक्षक योगा कॉटेज से योगाभ्यास कराए जाएंगे।
खुली जीप में जंगल सफारी का लुत्फ उठाएंगे पर्यटक
यहां इस केंद्र में नेचर इंटरप्रिटेशन सेंटर का निर्माण किया जाएगा, इसमें गोरखपुर के इतिहास, वन आवरण, वन संपदा, इको टूरिज्म स्पॉट, वन विभाग एवं प्राणी उद्यान की उपलब्धियां, फॉरेस्ट पॉलिसी की प्रदर्शित होगी। इसके अलावा दो रूट पर नेचर ट्रेल की सुविधा भी मिलेगी यहां पर साइकिल या पैदल सुरक्षा उपकरणों के साथ पर्यटक 3 किलोमीटर और 6 किलोमीटर लंबे रूट पर नेचर ट्रेल कर सकें। यही नहीं इस रूट पर हाथी, घोड़ा, ऊंट की सवारी की सैर भी कर पाएंगे। खुली जीप में भी पर्यटक इस रूट पर आनंद उठा सकेंगे।
20 स्तनधारी जीव और 60 प्रजाति के वृक्ष है विनोद वन में
जान ले किं विनोद वन एवं उसके आस पास के जंगल में जैकाल, बेट, भेड़िया, चितल, जंगली सूअर, शाही, खरगोश, स्क्रिप्टड हाइना, लोमड़ी, लैमर्ड, हनुमान मंकी, रीसस मकॉक, जंगली बिल्ली, जंगली कुत्ते सहित 20 प्रकार के स्तनधारी वन्य जीव हैं।
आपको बता दें कि विनोद वन एवं उसके आसपास के क्षेत्र में इमली, कचनार, कटहल, आम, अमरूद, शागौन, साल, अर्जुन, अंजीर, अमलतास, आवला, कदंब। बरगद, जामुन, मदार, नीम, पलास, पीपल, बबूल, महुआ, शीशम, बेल, चिरौजी, पाकड़, गूलर, गुटेल, बड़हल, पनियाला, चितवन सहित 60 प्रजाति के वृक्ष संरक्षित हैं।
सरीसृप के आठ और पक्षी के भी 47 प्रजाति हैं
विनोद वन एवं आसपास गोह,पायथन, गिरगिट, छिपकली, कोबरा, रैन स्नेक, रसल वाइपर, करैत,रैपटाइल बहुतायत में पाए जाते हैं।
हरे-भरे जंगल में स्टॉक बिल्ड किंगफिशर, ग्रीन बी ईटर, जंगली उल्लू, कोयल, जकाना, हुदहुद, तोता, ग्रेहार्नबिल, बटर, सीही, मोर, गिद्ध, कठफोड़वा, बगुला, बसंता, जंगली मुर्गी, धनेश, सारस, कबूतर शहीद 47 प्रजाति के पक्षी चिन्हित किए गए हैं।
Satyapal Singh Kaushik
न्यूज लेखन, कंटेंट लेखन, स्क्रिप्ट और आर्टिकल लेखन में लंबा अनुभव है। दैनिक जागरण, अवधनामा, तरुणमित्र जैसे देश के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में लेख प्रकाशित होते रहते हैं। वर्तमान में Special Coverage News में बतौर कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।




