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- हापुड़ पुलिस कस्टडी में...
हापुड़ पुलिस कस्टडी में मौत, मानवाधिकार आयोग ने किया डीजीपी से सवाल, मासूम रो रोकर कह रहा पापा को पीट पीट कर मार डाला
उत्तर प्रदेश पुलिस की वर्दी लगातार दागदार हो रही है. योगी जी ने अपराधियों को ठोकने का फ़रमान पहले ही दिया हुआ है. लेकिन यूपी पुलिस बार-बार एनकाउंटर और हिरासत में हुई मौतों पर सवालों के घेरे में आ ही जाती है. अब हापुड़ में पुलिस हिरासत में मौत का मामला सामने आया है. मामला पिलखुवा थाना क्षेत्र का है. यहां दो महीने पहले एक महिला की मौत का मामला सामने आया था. इस मामले में पूछताछ के दौरान 13 अक्टूबर की रात पुलिस कस्टडी में एक युवक की मौत हो गई. आरोप है कि पुलिस ने उसके साथ थर्ड डिग्री का प्रयोग किया. अब युवक की मौत पर गांव वालों ने मेरठ तक हंगामा और प्रदर्शन किया है.
अभी पिलखुवा में रोज सभी राजनैतिक पार्टियों के लोग भी जा रहे है. बुधवार को जहाँ कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल मिला था तो आज स्थानीय बसपा विधायक असलम चौधरी पहुंचे है. क्षत्रिय समाज के लोग भी परिवार को सांत्वना देना पहुंचे.
आज मिली जानकारी के मुताबिक मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक और राज्य के प्रमुख सचिव को नोटिस देकर इस मामले में जानकारी मांगी है कि पुलिस हिरासत में मौत क्यों हुई और इस व्यक्ति को किस जुर्म के आधार पर थर्ड डिग्री का प्रयोग किया गया. मृतक को किस केस के आधार पर हिरासत में लिया गया था.
पूरा मामला क्या है
पिलखुवा थाना क्षेत्र के राजकुमार तोमर किसान हैं. उनका बेटा प्रदीप खेती में पिता का साथ देने के अलावा गार्ड की भी नौकरी करता था. रविवार 13 अक्टूबर की रात राजकुमार का छोटा बेटा कुलदीप अपनी भाभी और भतीजों को लेकर बाइक से घर लौट रहा था. परिवार के लोग के लोग बता रहे हैं कि पिलखुवा की छिजारसी चौकी के पास पुलिस वालों ने बाइक रोक ली और फोन कर के प्रदीप को चौकी पर बुलवाया. परिवारवालों का कहना है कि पुलिस ने प्रदीप के भाई, पत्नी और बच्चों को दूसरे कमरे में बैठाया और प्रदीप से 30 अगस्त को हुई महिला की हत्या के मामले में पूछताछ शुरू की. जिस महिला के बारे में पूछताछ की जा रही थी वो गौतमबुद्ध नगर की रहने वाली थी. और रिश्ते में प्रदीप के साले की पत्नी थी. पुलिस को शक था की प्रदीप का इस महिला की हत्या से कोई न कोई लेना देना है. आरोप है कि पूछताछ के नाम पर पुलिसवाले देर रात तक प्रदीप तोमर को पीटते रहे. जिससे उसकी हालत खराब हो गई. इसके बाद पुलिस प्रदीप को लेकर पिलखुवा के जीएस मेडिकल कॉलेज गई जहां से उसे मेरठ मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया गया. जहां देर रात डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हुआ है जिसमें प्रदीप तोमर के मृत शरीर पर कई जगह ढेरों निशान दिखाई दे रहे हैं.उस वायरल वीडियो का स्क्रीन ग्रैब जिसमें प्रदीप तोमर के मृत शरीर पर निशान दिखाए गए हैं.
पता चलते ही गांव वालों ने चौकी घेर ली
सोमवार सुबह गांव में प्रदीप की मौत की सूचना मिली. परिवार के लोग गांव वालों के साथ पहले पुलिस चौकी और फिर थाने पहुंचे. यहां पर प्रदर्शन और घेराव किया. इसके बाद ये लोग मेरठ पहुंच गए. प्रदर्शन कर रहे लोगों की मांग है कि आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए.
मृतक प्रदीप तोमर का बेटा क्या कहता है?
प्रदीप तोमर का 12 साल का बेटा बता रहा है कि पिता के साथ पहले पुलिसवालों ने गाली गलौज की. फिर उन्हें पीटना शुरू कर दिया. पिता बार-बार पूछते रहे कि उनका कुसूर क्या है? लेकिन पुलिस वाले नशे में धुत्त थे और लगातार प्रदीप को लात घूंसों से पीटते रहे. मृतक प्रदीप का बेटा ये भी बता रहा है कि जब उनके पिता को अस्पताल ले जाया गया तो भी वहां उनका इलाज नहीं किया गया बल्कि उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया गया था. प्रदीप तोमर का बेटा ये भी बता रहा है कि पुलिस वालों ने चार पांच बोतल शराब तो उसके सामने ही पी थी.
प्रदीप के पिता और पत्नी क्या कह रहे हैं?
प्रदीप के पिता पुलिस चौकी पर तैनात बाक़ी पुलिस वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. प्रदीप के पिता राजकुमार तोमर ने कमिश्नर को दी तहरीर में कहा है कि पिलखुवा पुलिस ने उनके बेटे प्रदीप को पूछताछ के नाम पर यातनाएं दी हैं जिससे उसकी मौत हो गई. तहरीर में मांग की गई कि इस मामले में सीओ, थाना प्रभारी और चौकी इंचार्ज पर हत्या का केस दर्ज कर के कार्रवाई की जाए. मृतक प्रदीप तोमर की पत्नी भी कमोबेश वही कह रही हैं जो प्रदीप के पिता कह रहे हैं. दोषी पुलिस वालों पर कार्रवाई और सरकार से आर्थिक मदद मांग रही हैं.
पुलिस क्या कह रही है?
हापुड़ के पुलिस अधीक्षक यशवीर सिंह ने स्थानीय मीडिया को बताया
30 अगस्त को लाखन गांव के जंगलों से एक महिला की अधजली लाश मिली थी. वो प्रदीप तोमर के साले की पत्नी थी. जांच के दौरान वह प्रदीप तोमर शक के घेरे में आया. पूछताछ के दौरान उसकी तबीयत बिगड़ी, जिसके बाद उसे स्थानीय अस्पताल ले जाया गया. इसके बाद उसे मेरठ मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. क्योंकि पुलिसकर्मियों ने इस पूरी प्रक्रिया के दौरान किसी तरह के नियमों का पालन नहीं किया और प्रदीप को कस्टडी में लेते समय अपने सीनियर्स को इसकी जानकारी नहीं दी, इसलिए इंस्पेक्टर योगेश बालियान, चौकी प्रभारी अजब सिंह और कॉन्स्टेबल मनोज को सस्पेंड कर दिया गया है. मामले की विभागीय और मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं.
इस मामले में मेरठ जोन के आईजी ने कहा है कि पुलिस हिरासत में किसी की भी मौत मानवाधिकारों का उल्लंघन है और इसकी पूरी जिम्मेदारी पुलिस की है. पुलिस कस्टडी में आरोपी के साथ मारपीट गैरकानूनी है, यह अमानवीय है. इस घटना में जो भी पुलिसवाले लिप्त हैं उन्हें इसकी सजा मिलेगी.
फ़िलहाल किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए पिलखुवा और आसपास के गांवों में पीएसी और पुलिस को तैनात कर किया गया है. लेकिन बड़ा सवाल अब भी यही है कि क्यों उत्तर प्रदेश पुलिस पर बार-बार इनकाउंटर और हिरासत में मौत के मामलों में सवाल उठ ही जाते हैं?
इस खबर को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने कहा कि हापुड़ में एक किसान के बेटे को पुलिस ने टॉर्चर किया और उसकी जान चली गयी.उसके बेटे को पुलिस ने चिप्स का लालच देकर चुप रहने को कहा. शर्मनाक है ये.भाजपा सरकार अपराध रोक पाने में तो पूरी तरह नाकाम है. लेकिन पुलिस ज्यादती की घटनाएँ हर रोज आ रही हैं.