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अन्याय की जड़ों पर निरंतर प्रहार करने वाले ललई पर अन्याय की पराकास्ठा दिखा रही है प्रशासनिक कार्यवाही

अन्याय की जड़ों पर निरंतर प्रहार करने वाले ललई पर अन्याय की पराकास्ठा दिखा रही है प्रशासनिक कार्यवाही
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जेपी यादव
जौनपुर। खुटहन ब्लाक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास को लेकर मचे घमासान पर शासन को सफाई देनी पड़ रही है। पूर्व मंत्री ललई यादव समेत अन्य लोगो के खिलाफ दर्ज मामले को लेकर पुलिस सवालों के घेरे में है। खास यह कि मामला दर्ज करने वाली भी पुलिस है और विवेचना करने वाली भी। दरअसल मामले के वादी एसओ खुटहन राममूर्ति यादव है जबकि विवेचना एसओ शाहगंज नरेन्द्र वर्मा को दी गयी है। ऐसे में पुलिस अपने स्टैंड से कैसे पीछे हटेगी इसे लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका है। वारदात का एक पहलू यह भी है कि चौतरफा किरकिरी होते देख पुलिस ने प्रतापगढ़ के सांसद हरिवंश सिंह, उनके पुत्र और दो भतीजों के खिलाफ मुकदमा तो कायम कर लिया लेकिन उनकी गिरफ्तारी के लिए प्रयास तो दूर दबिश तक नहीं दी। अलबत्ता एक पक्ष की तलाश में छापेमारी ही नहीं बल्कि एक कदम आगे बढ़ते हुए कोर्ट से एनबीडब्ल्यू तक जारी करा लिया।

पूर्व मंत्री ललई यादव के समर्थकों ने इसे लेकर सोशल मीडिया पर अभियान चला रखा है। उनका कहना है कि पुलिस राजनेताओं के खिलाफ दबाव में किस तरह फर्जी मामले दर्ज करती है इसे सीएम योगी से बेहतर कोई नहीं जानता। इनके खिलाफ जिस तरह मुकदमे कायम किये गये थे संसद में बताते समय उनकी पीड़ा सामने आयी थी। देश की संंसद को उन्होंने बताया था कि हजारों बेकसूर कार्यकर्ताओं को पुलिस ने कैसे रातोरात मुजरिम बना दिया। सपा मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रही है। लेकिन देखना होगा न्याय कहा तक किसको मिलता है।

पंद्रह वर्षो से बरकरार थी सुरक्षा
गौरतलब है कि ललई यादव लंबे से समय से जौनपुर के कद्दावर नेता रहे हैं। उनकी सुरक्षा हटाने साजिश माना जा रहा है। पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप ने कहा कि समाजवादी पार्टी के ललई जैसे बेबाक और निष्ठावान मंत्री पर जो प्रशासन सत्ता के दबाव में आकर कार्रवाई कर रहा है, वह उचित नहीं है। इन अधिकारियों को यह समझना चाहिए कि सत्ता हमेशा किसी के पास रहने वाली नहीं है। अपनी सत्ता के दौरान हम लोगों ने इस तरह की कोई हरकत नहीं की। यह लोग जो कर रहे हैं, उसकी जितनी निंदा की जाए कम है। अन्याय की जड़ों पर निरंतर प्रहार करते रहते है। प्रशासन को अब भी अपनी गलती स्वीकार केस को वापस ले लेना चाहिए। ललई यादव ऐसे नेताओं में हैं, जो न गलत करते हैं और न गलत सुनना ही पसंद करते हैं ।

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