कानपुर

यूपी में चूहे मारने की दवा 10 नींद की गोली खाकर की सिपाही ने खुदकुशी, मौत की खबर सुनकर पत्नी छत से कूदी

Special Coverage News
6 Dec 2019 6:44 AM GMT
यूपी में चूहे मारने की दवा 10 नींद की गोली खाकर की सिपाही ने खुदकुशी, मौत की खबर सुनकर पत्नी छत से कूदी
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कानपुर के गोविंद नगर थाना क्षेत्र में दो दिन पहले जहरीला पदार्थ पीने वाले सिपाही की बुधवार सुबह इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई। पति का शव देखते ही पत्नी ने भी आत्महत्या का प्रयास कर दो मंजिला इमारत(सरकारी आवास) की छत से छलांग लगा दी।

प्राथमिकी उपचार के बाद उनको अस्पताल से छुट्टी मिल गई। इधर पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाने के बाद पुलिस लाइन में गार्ड ऑफ ऑनर दिया और फिर परिजनों को सौंप दिया।

पुलिस का दावा है कि पत्नी से झगड़कर सिपाही ने खुदकुशी की। हालांकि कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। कांसगंज के सहावर थाना क्षेत्र के चौबेनगला गांव निवासी जसवीर सिंह शाक्य (34) 2005 बैच के सिपाही थे। 2011 में हिमादपुर, अलीगंज एटा निवासी प्रिया से उनकी शादी हुई थी। वह पत्नी प्रिया व छह साल के दिव्यांग बेटे अभि के साथ कैनाल कालोनी स्थित आवास में रहते थे।

वर्तमान में उनकी तैनाती जूही थाने में थे। यहां से डेढ़ महीने के लिए जिला जेल में उनकी ड्यूटी लगाई गई थी। पुलिस के मुताबिक दो दिसंबर को शाम करीब साढ़े छह बजे जसवीर ने जहरीला पदार्थ पी लिया। उसके बाद परिजनों व स्थानीय लोगों ने पास के एक निजी अस्पताल में उनको भर्ती कराया। बुधवार सुबह करीब आठ बजे इलाज के दौरान जसवीर की मौत हो गई। कुछ ही देर बाद परिजन शव लेकर घर पहुंचे।

शव देखकर प्रिया दौड़कर छत पर पहुंची और वहां से छलांग लगा दी। आनन-फानन में उनको अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों के मुताबिक उनकी पसलियां टूट गई हैं। वह खतरे से बाहर हैं। इधर पोस्टमार्टम हाउस में एसएसपी अनंत देव, एसपी साउथ रवीना त्यागी समेत अन्य अधिकारी पहुंचे और जसवीर के पिता राम सिंह व मां राजकुमारी समेत अन्य परिजनो से मिलकर उनकों ढांढस बंधाई। पिता और दो बड़े भाई शैलेंद्र व मनोज खेती किसानी करते हैं।

जसवीर ने दस नींद की गोलियां खाने के साथ ही चूहे मारने की दवा खाई थी। इसका खुलासा इलाज करने वाले डॉक्टरों ने किया है। डॉक्टरों के मुताबिक जब जसवीर भर्ती हुए थे तब उनसे पूछा गया था कि उन्होंने क्या खाया है। इस पर उन्होंने एक कागज पर लिखकर दिया। पोस्टमार्टम में मौत का कारण स्पष्ट न होने से विसरा संरक्षित किया गया है।

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