
सोशल मीडिया की अफवाह ने जिंदा राहुल उपाध्याय को मारकर कासगंज में माहौल बिगाड़ा, इन दोषियों पर कार्यवाही पर देरी क्यों?

यूपी के कासगंज में भड़की सांप्रदायिक हिंसा में 22 साल के अभिषेक (चंदन) गुप्ता की मौत के साथ-साथ राहुल उपाध्याय नाम के शख्स की मौत की खबरें भी आ रही थीं. इन खबरों को सुनने के बाद खुद राहुल उपाध्याय ने सामने आकर स्पष्ट किया है कि वह जिंदा हैं.
दरअसल, कुछ शरारती तत्वों ने सोशल मीडिया पर 24 वर्षीय राहुल उपाध्याय की मौत की अफवाह उड़ा दी थी, जिसके बाद नोएडा से मीडिया में ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर चुके राहुल को कई फोन कॉल्स आने लगे. एक न्यूज आउटलेट चलाने वाले राहुल ने मीडिया को बताया, 'शनिवार को मुझे फोन आया और मुझसे पूछा गया कि मैं जिंदा हूं या मेरी मौत हो गई. पहले मुझे काफी हैरानी हुई और मुझे लगा कि यह कोई मजाक होगा, लेकिन बाद में एक अन्य फोन कॉल आया, उसके बाद में और भी कई कॉल्स आए, सबने यही सवाल पूछा, तब मुझे समझ में आया कि कुछ तो गड़बड़ है.
कासगंज दंगे के दौरान कई बार यह अफवाह फैली कि हिंसा में घायल राहुल उपाध्याय की मौत हो गई. क्या गुजरेगी उस शख्स पर जिसे इस सोशल मीडिया ने जिन्दा होते हुए मार डाला सिर्फ राजनैतिक रोटियां सेकने के लिए. वोट की खातिर इतना माहौल बिगाड़ना ठीक नहीं होता है. लेकिन इस देश की जनता को आखिर हो क्या गया है जो बिना सुने है और जाने परिणाम का प्रचार करना शुरू कर देती है. कासगंज में माहौल शांत करने में जो जिलाधिकारी और पूर्व एसपी सुनील कुमार ने जो भूमिका निभाई वो वाकई काबिले तारीफ है. लेकिन उनका ट्रांसफर कर योगी सरकार ने अपना कलंक धो लिया.