कौशाम्बी

मरीजों का सरकारी अस्पताल से उठा विश्वास

Shiv Kumar Mishra
8 Aug 2021 10:37 AM GMT
मरीजों का सरकारी अस्पताल से उठा विश्वास
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चायल तहसील क्षेत्र के अमनी लोकीपुर ग्राम में स्थित सरकारी अस्पताल में नहीं आते चिकित्सक

कौशाम्बी सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों के गायब रहने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है सरकारी अस्पताल पहुंचने पर मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता जिससे कभी-कभी गंभीर मरीजों की मौत हो जाती है अस्पताल से चिकित्सकों के गायब रहने के चलते धीरे-धीरे अब मरीजों का सरकारी अस्पताल से विश्वास उठता जा रहा है और मरीज इस उम्मीद से सरकारी अस्पताल नहीं जाते कि वहां चिकित्सक नही मिलेंगे इसलिए प्राइवेट अस्पताल जाना पड़ेगा जिससे पहले ही प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने मरीज पहुंच जाते हैं.

जिले की चौपट स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने का जिम्मा शासन ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सौंपा है लेकिन पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी के भ्रस्ट कारनामे के चलते चौपट हुई चिकित्सा व्यवस्था को सुधारने में वर्तमान सीएमओ भी सफल होते नहीं दिख रहे हैं सरकारी चिकित्सक मनमानी पर उतारू है.

इसी तरह का एक ताजा मामला चायल तहसील क्षेत्र के अमनी लोकीपुर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का देखने को मिला है इस अस्पताल में मरीजों की देखरेख के लिए 3 चिकित्सकों सहित फार्मासिस्ट वार्ड ब्याय महिला नर्स स्वीपर की तैनाती की गई है लेकिन इस अस्पताल में कभी-कभी एक डॉक्टर एक 2 घंटे को पहुंच जाते हैं और अस्पताल के अन्य कर्मी भी मरीज और चिकित्सक के अनुपस्थिति के चलते खाली समय में अस्पताल के अंदर जुआ और गेम खेलते हैं इलाज के लिए बनाया गया यह अस्पताल जुआ का अड्डा घर बन चुका है लेकिन सरकारी अस्पताल में हो रहे जुआ के अड्डे पर पुलिस भी कार्यवाही नहीं करते हैं चौपट हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने की कोशिश के बाद भी वर्तमान मुख्य चिकित्सा अधिकारी सफल नहीं हो सके है.

आखिर कब तक डॉक्टरों की मनमानी चलती रहेंगी इलाज करने के बजाए चिकित्सक बैठ कर गेम खेलते हैं इस अस्पताल में गंदगी व्याप्त है सफाई व्यवस्था भी पूरी तरह चौपट हो चुकी है अस्पताल में मिलने वाली दवाइयों को रजिस्टर में फर्जी नाम दर्ज कर दवाइयों की कालाबाजारी फार्मासिस्ट द्वारा की जाती है यदि रजिस्टर में दर्ज मरीजों के नाम की जांच कराई गई तो दवाई को कालाबाजारी का भी भंडाफोड़ होगा आखिर जब अस्पताल में चिकित्सक नहीं मिलते हैं. तो इस अस्पताल को खोलने का योगी सरकार का क्या मतलब रह गया है.

इस तरह के अस्पतालों को हमेशा के लिए बंद कर सरकारी अस्पताल के भवन को दूसरे कार्यों के उपयोग में ले लेना चाहिए इस अस्पताल के अलावा भी मंझनपुर तहसील के बैश कांटी टिकरा गांव में सिराथू तहसील के सेलरहा गांव में चायल तहसील के कादिला पुर कसेन्दा महगाव पूरामुफ्ती सहित विभिन्न अस्पतालों की व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है जिन्हें बंद कर देना ही सरकार और जनता के हित में होगा.

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