कुशीनगर

इस बजह से यूपी के इस थाने मे नही मनाया जाता जन्माष्टमी का पर्व, जानकर आपको भी होगी हैरानी

Desk Editor
18 Aug 2022 9:54 AM GMT
इस बजह से यूपी के इस थाने मे नही मनाया जाता जन्माष्टमी का पर्व, जानकर आपको भी होगी हैरानी
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कुशीनगर पुलिस 30 अगस्त, 1994 की तारीख को कभी नहीं भूलती। चाहे बड़े अफसर हों या, थानेदार, दरोगा अथवा सिपाही। जन्माष्टमी उस रात वर्दी की आन और लोगों की सुरक्षा के लिए पचरुखिया में जंगल डकैतों से मुठभेड़ के दौरान तरयासुजान थाने के तत्कालीन एसओ अनिल पांडेय और कुबेरस्थान के एसओ राजेंद्र यादव सहित छह पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। यही वजह है कि उस घटना के बाद से कुशीनगर के किसी भी थाने में जन्माष्टमी नहीं मनाई जाती है।

पडरौना कोतवाली का स्मृति द्वार और यहां का शिलापट्ट उन जांबाज पुलिसकर्मियों की गवाही देता है। इस बार भी पुलिस जन्माष्टमी शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने में जुटी है, लेकिन परंपरा को कायम रखते हुए जन्माष्टमी किसी भी थाने में न मनाने का इस बार भी निर्णय लिया गया है। नब्बे के दशक में गंडक नदी और बिहार से लगे जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में जंगल डकैतों वर्चस्व था। डकैत अपहरण, लूट, हत्या जैसी वारदातों के बाद वापस लौट जाते थे। इन वारदातों को रोकने के लिए ही शासन ने सीमावर्ती क्षेत्र में हनुमानगंज, जटहां बाजार व बरवापट्टी थाना खोला था।

इसी दौरान सब इंस्पेक्टर अनिल पांडेय की जिले में तैनाती हुई। 13 मई 1994 को देवरिया से अलग होकर कुशीनगर जिला अस्तित्व में आया, तो अनिल पांडेय को बिहार बॉर्डर से सटे तरयासुजान थाने पर तैनाती मिली। 30 अगस्त 1994 की रात में कुबेरस्थान थानाक्षेत्र के पचरुखिया घाट के दूसरी तरफ बांसी नदी के किनारे डकैतों के आने की सूचना पुलिस को मिली थी। उस दिन जन्माष्टमी था।

कुशीनगर के पहले एसपी के रूप में कार्य संभालने वाले तत्कालीन एसपी बुद्धचंद ने पडरौना के कोतवाल योगेंद्र प्रताप, तरयासुजान थाने के तत्कालीन एसओ अनिल और कुबेरस्थान थाने के तत्कालीन एसओ राजेंद्र यादव को वहां भेजा था। रात के करीब साढ़े नौ बजे वहां जाने पर पता चला कि डकैत पचरुखिया गांव में हैं, तो पुलिसकर्मियों ने नाविक भुखल को बुलाकर डेंगी (छोटी नाव) को उस पार ले गए। भुखल ने दो बार में डेंगी से पुलिसकर्मियों को बांसी नदी के उस पार पहुंचा दिया, लेकिन डकैतों का सुराग नहीं लगा। पहली खेप के पुलिसकर्मी वापस हो गए,

लेकिन दूसरी टीम के डेंगी में सवार होकर आगे बढ़ते ही बदमाशों ने पुलिस टीम पर बम से हमला कर दिया था और ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगे। इसमें पहले तो नाविक भुखल व सिपाही विश्वनाथ यादव को गोली लगी, जिससे डेंगी अनियंत्रित हो गई। इसी डेंगी में एसओ अनिल पांडेय और अन्य पुलिसकर्मी थे। पुलिसकर्मी जवाबी फायरिंग करते रहे।

मुठभेड़ थमने के बाद डेंगी सवार पुलिसकर्मियों की खोजबीन की गई। जहां तरयासुजान एसओ अनिल पांडेय, कुबेरस्थान के एसओ राजेंद्र यादव, तरयासुजान थाने के आरक्षी नागेंद्र पांडेय, पडरौना कोतवाली में तैनात आरक्षी खेदन सिंह, विश्वनाथ यादव व परशुराम गुप्त मृत पाए गए थे।

नाविक भुखल भी मारा गया था, जबकि दरोगा अंगद राय, आरक्षी लालजी यादव, श्यामा शंकर राय और अनिल सिंह सुरक्षित बच गए थे। इस घटना में कोतवाल योगेंद्र सिंह ने कुबेरस्थान थाने में अज्ञात बदमाशों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया था। तब से आज तक यहां जन्माष्टमी नहीं मनाया जाता है।

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