लखनऊ

असदुद्दीन ओवैसी की यूपी में राजनीतिक एंट्री से खलबली

Nidhi Mishra Jyotishacharya
12 Jan 2021 4:49 PM GMT
असदुद्दीन ओवैसी की यूपी में राजनीतिक एंट्री से खलबली
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राज्य मुख्यालय लखनऊ।उत्तर प्रदेश में वैसे तो विधानसभा चुनाव में एक साल से अधिक का समय है लेकिन यूपी की सियासत अभी से गर्म होने लगी हैं। उत्तर प्रदेश में जहाँ एक तरफ सपा कंपनी के सीईओ व पूर्व सीएम अखिलेश यादव कई जिलों का दौरा कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर अब AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की भी यूपी में राजनीतिक एंट्री हो गयी हैं जिसके बाद तथाकथित सेकुलर होने का लबाधा ओढ़े दलों की पेंट गीली हो रही हैं उनका कहना है कि ओवैसी सेकुलर वोटबैंक को बाँटने का काम कर रहे है अब सवाल उठता है कि अगर इन तथाकथित दलों की बात पर यक़ीन भी कर लिया जाए जबकि यक़ीन करने लायक़ हैं नहीं लेकिन चलों माना कि वह बँधवा मज़दूर मुसलमान को बाँट रहे है और तथाकथित सेकुलर दल बाँटने के ख़िलाफ़ हैं तो ओवैसी को अपने साथ लेकर चुनाव लड़ लीजिए न सेकुलर वोट बँटेगा न कोई सियासी नुक़सान होगा परन्तु यह फ़र्ज़ी सेकुलर दल ओवैसी को इस लिए टारगेट करते हैं क्योंकि जिस वोटबैंक पर वह सियासत कर रहे है जब उनको अपना सही नेतृत्व मिल जाएगा तब इनकी सियासत का एण्ड हो जाएगा इस लिए यह तथाकथित दल ओवैसी को पता नही क्या-क्या कहते है असल क़िस्सा मुसलमान है जिसके कंधों पर सवार होकर सांसद और विधायक या अन्य सियासी पद प्राप्त करते है उन दलों की दिक़्क़त बन रहे असदउद्दीन ओवैसी असल लड़ाई मुसलमान के वोटबैंक को लेकर हैं और कुछ नहीं।सियासी कंपनियों के सीईओ मुसलमान का वोट तो लेना चाहते है पर उसको देना कुछ नही चाहतें यह वजह बन रहा है असदउद्दीन ओवैसी का उदय।तीस साल से मुसलमान सपा कंपनी के साथ बँधवा मज़दूर की तरह लगा है सपा कंपनी बताती क्यों नही कि उसने मुसलमान की भलाई के लिए क्या किया है।मलाई यादवों ने खाईं बाक़ी जो बचा वह दूसरों ने खाईं मुसलमान को क्या मिला रिक्शा क्या मुसलमानों के बच्चे पीसीएस/पीसीएस जे के लायक़ नहीं है लेकिन नहीं वह यादव ही बनेंगे और वही यादव चुनाव के वक़्त मोदी की भाजपा में चले जाते हैं और इलज़ाम दलितों पर लगा देते है जबकि यह ग़लत है और बेबुनियाद आरोप है सही है यादवों ने ही गठबंधन को वोट नही किया जिसकी वजह से लोकसभा के चुनाव में गठबंधन को वह सफलता नहीं मिली जिसकी अपेक्षा की जा रही थी।

ख़ैर वाराणसी में असदउद्दीन ओवैसी का कार्यकर्ताओं ने जिस तरीक़े से जोरदार स्वागत किया उससे साफ़ कहा जा सकता है कि असदउद्दीन ओवैसी तथाकथित सेकुलर दलों पर भारी पड़ने जा रहे है सब ही सेकुलर दलों में खलबली है ख़ासतौर पर सपा कंपनी के सीईओ हमारे भरोसे के सूत्रों के अनुसार अखिलेश यादव अपने स्थानीय नेताओं से भीड़ और उत्साह को लेकर रिपोर्ट ले रहे थे उनकी रिपोर्ट के बाद सपा कंपनी के सीईओ की पेशानी पर चिंता की लकीरें साफ़ देखीं जा सकतीं थी।असदउद्दीन ओवैसी ने कहा कि चुनाव की तैयारी है और सभी कार्यकर्ता इसके लिए तैयार हैं। ओवैसी ने ये भी कहा कि सपा की सरकार ने यूपी आने के लिए उनका 28 बार परमिशन कैंसिल किया लेकिन अब उन्हें यूपी आने का मौका मिला हैं।ओवैसी उत्तर प्रदेश में राजभर वोटों में पैठ रखने वाली पार्टी सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर के आने वाले चुनाव में लड़ेंगे। पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ओवैसी पर बीजेपी की मदद का आरोप लगाते हुए कहते हैं, पहले महाराष्ट्र में ओवैसी ने बीजेपी की मदद की उसके बाद बिहार में वोट काट कर मदद की और अब यूपी आ रहे हैं। लेकिन यूपी नेहरू-गांधी का धर्मनिरपेक्ष प्रदेश है। वो ओवैसी के इरादों को समझता है।AIMIM प्रमुख ओवैसी की नजर यूपी में रहने वाली तकरीबन 20 प्रतिशत मुस्लिम आबादी पर हैं। मुस्लिमों के बीच ओवैसी की अच्छी पैठ है। यही कारण है कि वो यूपी में इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। ओवैसी की पार्टी बिहार में 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में अच्छा मत प्रतिशत हासिल करते हुए 5 सीटों पर चुनाव जीती थी। तो वहीं महाराष्ट्र में AIMIM के 2 और तेलंगाना में 7 विधायक हैं।यही चिंता यूपी में सियासत करने वालों को हो रही है कि कहीं मुसलमान असदउद्दीन ओवैसी के साथ न चला जाए जिसकी उम्मीद ज़्यादा मुसलमान अपनी उपेक्षाओं से हार चुका है अब वह सोच रहा है कि जब हमारी कोई बात ही नहीं करना चाहता तो फिर ओवैसी क्यों नहीं वह कम से कम हमारी आवाज़ तो बनेगा बस मिलना कुछ नही अपनी बात तो कह ही सकता है रही बात हारने के 2014 से हार ही रहे है एक बार और सही।

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