लखनऊ

बसपा सुप्रीमों ने महंगाई के लिए मोदी सरकार को ललकारा, जबाब दो डीजल पेट्रोल इतना महंगा क्यों?

Special Coverage News
12 Sept 2018 8:17 AM IST
बसपा सुप्रीमों ने महंगाई के लिए मोदी सरकार को ललकारा, जबाब दो डीजल पेट्रोल इतना महंगा क्यों?
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लखनऊ:बसपा.सुप्रीमों मायावती ने आज मीडिया को सम्बोधित करते हुये कहा कि देश में आये दिन खासकर पेट्रोल एवं डीजल की लगातार बढ़ रही कीमतों के विरुद्ध कल भारत बन्द के तहत् जो विरोध प्रदर्शन किया गया है तो देश में ऐसी स्थिति पैदा होने के लिए हमारी पार्टी वास्तव में यहाँ मुख्य तौर से बीजेपी व कांग्रेस पार्टी को ही बराबर की जिम्मेवार मानकर चलती है, जिसकी पृष्ठभूमि व सच्चाई यह है कि वर्तमान बीजेपी के नेतृत्व वाली केन्द्र की एन.डी.ए. सरकार ने, दिनांक 18 अक्टूबर सन् 2014 को अपनी पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के केवल छः महीने के अन्दर ही पेट्रोल की क़ीमत की तरह ही डीज़ल को भी सरकारी नियन्त्रण से मुक्त कर दिया था और तब फिर उस समय अपने इस घोर ग़रीब, मज़दूर व किसान-विरोधी फैसले को भी इन्होंने एक बड़े आर्थिक सुधार के रुप में देश व दुनिया के सामने पेश किया था।

मायावती ने कहा कि परन्तु बीजेपी सरकार की उसी चार वर्ष पुरानी जनविरोधी नीति का ही आज परिणाम यह है कि देश में डीज़ल, पेट्रोल व रसोई गैस जैसी यह जन-आवश्यक वस्तुओं की कीमतें पूरी तरह से अनियंत्रित होकर आसमान छू रही है, जिससे हर वस्तु की क़ीमत लगातार बढ़ती ही चली जा रही है और इस महँगाई के असर से जनता की कमर टूट रही है और देश की लगभग सवा सौ करोड़ व मेहनतकश आमजनता में दिन-प्रतिदिन का संघर्ष काफी मुश्किल होकर अब इनमंे काफी त्राहि-त्राहि मची हुई है।

उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं बल्कि डीजल व पेट्रोल की कीमत हर दिन व रसोई गैस की कीमत लगातार कुछ अन्तराल के बाद जितना रिकार्ड स्तर पर बढ़कर जनता के जीवन में हाहाकार मचाये हुये है तो लगभग उतनी ही रिकार्ड तेज़ी से भारतीय रुपये की कीमत भी अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में गिर रही है, फिर भी केन्द्र की सरकार जनता की लगातार बढ़ती हुई इन परेशानियों से थोड़ी भी चिन्तित व विचलित नजर नहीं आती है जिससे इस सरकार के जनविरोधी व अहंकारी होने के साथ-साथ इनके बड़े-बड़े पूँजीपति व धन्नासेठ समर्थक होने का चेहरा भी बेनकाब होता है।

मायावती ने कहा कि इसके साथ ही डीजल व पेट्रोल आदि की बढ़ती हुई कीमतों के विरुद्ध कल दिनांक 10 सितम्बर के भारत बन्द की प्रतिक्रिया में केन्द्र सरकार का यह अड़ियल रवैया कि सरकार डीजल व पेट्रोल आदि की कीमतों को नियंत्रित नहीं कर सकती है तो इससे भी यह साबित होता है कि बीजेपी की सरकार इस चुनावी वर्ष व समय में भी अपने उन बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों को कतई भी नाराज करना नहीं चाहती है जिनके धनबल पर वह केन्द्र की सत्ता में आयी है और फिर उन्हीं के धनबल पर दोबारा भी सत्ता में आने का सपना देख रही है।

उन्होंने कहा कि वैसे इस बारे में यह भी सर्वविदित है कि कांग्रेस पार्टी ने यू.पी.ए.-एक में अर्थात् सन् 2004 से लेकर 2009 के बीच इनके सहयोगी पार्टियों के काफी कुछ नियन्त्रण में रहने के बाद फिर यू.पी.ए.-दो के शासनकाल के प्रारम्भ में ही काफी कुछ ऐसा ही रवैया अपनाकर जून सन् 2010 में पेट्रोल को सरकारी नियन्त्रण से मुक्त करने का फैसला किया गया था, किन्तु केन्द्र में बीजेपी की वर्तमान सरकार बनने के तुरन्त बाद फिर इन्होंने भी कांग्रेस पार्टी की ही आर्थिक नीति को ना केवल जारी रखते हुये बल्कि इसको और भी आगे बढ़ाते हुये डीज़ल को भी सरकारी नियन्त्रण से मुक्त कर दिया तो इससे स्वाभाविक तौर पर फिर महँगाई के बढ़ने के साथ-साथ खेती व किसानी भी काफी ज्यादा प्रभावित हुई और फिर किसान लोग भी काफी परेशान हो उठे।

मायावती ने कहा कि इतना ही नहीं बल्कि इन्होंने इस आग में घी डालते हुये घोर किसान-विरोधी नई भूमि अधिग्रहण नीति को भी जबर्दस्ती देश पर थोपने की कोशिश की और इसको लेकर ये लोग बार-बार एक ही अध्यादेश को जारी करते रहे। इससे पूरे देश के किसान लोग जबर्दस्त तौर पर आक्रोशित व आन्दोलित हुये और फिर बीजेपी सरकार को इनके आगे मुँह की खाते हुये अपने नये भूमि अधिग्रहण कानून को वापस भी लेना पड़ा, लेकिन इन्होंने डीजल की कीमत को सरकारी नियन्त्रण में दोबारा वापस नहीं लिया, क्योंकि तब तक कई इनकी चुनिन्दा निजी कम्पनियाँ पेट्रोल व डीजल कारोबार में आ चुकी थीं और वे पेट्रोल व डीजल आदि की कीमतों को सरकारी नियन्त्रण से मुक्त बनाये रखना चाहती थीं ताकि उनका मुनाफा हमेशा हर हाल में बरकरार बना रहे।

उन्होंने कहा कि इस तरह बीजेपी की वर्तमान केन्द्र की सरकार ने भी अपनी उसी ग़लत आर्थिक नीति को अपनाया हुआ है जिसके लिये कांग्रेस पार्टी की सरकार आलोकप्रिय हुई थी और जिसकी सजा जनता ने फिर उसे सन् 2014 में देश की सत्ता से बाहर करके दिया। लेकिन बीजेपी यहीं नहीं रुकी बल्कि इनकी केन्द्र की सरकार ने अपने अड़ियल व जनविरोधी रवैये को और भी आगे बढ़ाते हुये बिना पूरी सूझबूझ व बिना पूरी तैयारी के ही काफी अपरिपक्व तरीके से नोटबन्दी की आर्थिक इमरजेन्सी देश की आमजनता पर थोप दी और फिर सत्ता के उसी नशे में चूर होकर जी.एस.टी. की नई कर व्यवस्था को भी काफी आपाधापी में देश में लागू कर दिया।

मायावती ने कहा कि इस प्रकार से कुल मिलाकर केन्द्र की वर्तमान बीजेपी सरकार अब अपना पाँच वर्ष का कार्यकाल पूरा करते-करते लगभग उसी प्रकार के गलत आर्थिक व जनविरोधी फैसलों, गलत कार्यप्रणाली एवं भ्रष्टाचार आदि से घिरी हुई नज़र आती है जिस प्रकार के आरोपों से कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली यू.पी.ए.-दो सरकार अपने कार्यकाल के आखिरी वर्ष में घिरी हुई नज़र आती थी और फिर जिसके फलस्वरूप उसे सत्ता से बुरी तरह से हाथ धोना पड़ा था।

उन्होंने कहा कि जहाँ तक बीजेपी सरकार की इन जनविरोधी नीतियों के खिलाफ कल दिनांक 10 सितम्बर 2018 को हुये भारत बन्द का सवाल है तो इसको लेकर सबसे पहले यहाँ मैं यह कहना चाहूँगी कि बी.एस.पी. सर्वसमाज के ग़रीबों, मज़दूरों, ग़रीब किसानों व अन्य मेहनतकश एवं मध्यम वर्गीय लोगों की हितैषी पार्टी है और इसी लिये हमारी पार्टी द्वारा केन्द्र एवं राज्य सरकारों की जनविरोधी नीतियों व सरकारी आतंक आदि के विरुद्ध, विरोध दर्ज करने का तरीका भी अन्य पार्टियों से अलग होता है अर्थात् पूर्ण तौर से संवैधानिक सम्मत व आमजनता को किसी भी प्रकार से कोई भी दुःख-तकलीफ नहीं देने वाला ही रहता है। परन्तु कल हुये भारत बन्द के दौरान कुछ राज्यों में हुई हिंसा से हमारी पार्टी कतई भी सहमत नहीं है और इसकी कड़े शब्दों में निन्दा भी करती है। किन्तु इसके साथ ही ख़ासकर बीजेपी शासित कुछ राज्यों में भारत बन्द के आन्दोलनकारियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई की भी हमारी पार्टी सख्त निन्दा करती है।

मायावती ने कहा कि अब अन्त में बी.एस.पी. का यही कहना है कि देश में बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों के समर्थन में बिग टिकट रिफार्म ;इपह जपबामज तमवितउद्ध अर्थात् बड़े आर्थिक सुधार के नाम से प्रचारित करके जनता पर थोपी जाने वाली खासकर ग़रीब, मज़दूर, किसान व जनविरोधी नीतियों व फैसलों को वापस लेने के मामले में कांग्रेस और बीजेपी दोनों एक ही थैली के चट्टे-बट्टे लगते हैं।इसके साथ ही केन्द्र की वर्तमान भाजपा सरकार का यह तर्क भी अनुचित लगता है कि वह पेट्रोल व डीज़ल के मूल्य को नियंत्रित नहीं कर सकती है क्योंकि यह उसके नियंत्रण के बाहर है। इससे हमारी पार्टी कतई भी सहमत नहीं है जबकि इस बारे में हमारी पार्टी का यह कहना है कि यदि केन्द्र की सरकार चाहे तो देश में मौजूदा जबर्दस्त महंगाई के चल रहे इमरजेन्सी हालात को देखते हुये खासकर पेट्रोल व डीज़ल की कीमतों को दोबारा सरकारी नियन्त्रण में तुरन्त वापस ले सकती है, या फिर इनकी कीमतों को नियन्त्रण में रखने के लिए कुछ सख्त नीति भी बनाकर तेल कम्पनियों की वर्तमान में चल रही मनमानी को भी काफी हद तक रोक सकती है ताकि देश की आमजनता को हर प्रकार की बढ़ती हुई गरीबी, महँगाई व बेरोजगारी आदि की भारी मुसीबत से थोड़ी राहत मिल सके।

उन्होंने कहा कि वैसे भी भारत जैसे गरीबों, किसानों, कमजोर तबकों, मजलूमों व मेहनतकश लोगों के देश में ख़ासकर डीजल, पेट्रोल व रसोई गैस आदि जैसी बुनियादी जरूरतों के मामले में सरकारी नियंत्रण व समय-समय पर सरकारी हस्तक्षेप करना इसलिये भी ज़रूरी है, ताकि भारत अपने संविधान के हिसाब से एक सच्चा कल्याणकारी लोकतांत्रिक देश बने, ना कि यहाँ की सरकारें बड़े-बड़े पंूजीपतियों व धन्नासेठों की ही हितैषी व समर्थक के रूप में कार्य करें जिस कारण यहाँ के सवासौ करोड़ आमजनता का जीवन फिर से लाचार व गुलाम बनकर रह जाये।

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