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योगी सरकार ने सरकारी खर्चे को कम करने के लिए उठाए ये पांच बड़े कदम

इतना ही नहीं अब यूपी सरकार में चतुर्थ वर्गीय श्रेणी में भी स्थायी नियुक्ति नहीं होगी और अलग-अलग विभागों में सपोर्टिंग स्टाफ की नियुक्ति भी आउट सोर्सिंग के जरिए होगी। नए साल पर अधिकारियों को सरकारी खर्चे पर मिलने वाले डायर, कलेंडर और गिफ्ट पर भी योगी सरकार ने रोक लगा दी है.
वहीं राज्य सरकार के इस फैसले को विपक्ष ने राजनीतिक स्टंट करार दिया है. विपक्ष ने आरोप लगाया कि नौकरियों और वेतन के लिए योगी सरकार के पास पैसा नहीं है इसलिए यह सब किया जा रहा है.
दूसरी तरफ बीते दिनों उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 68500 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति की मांग को लेकर लगातार अभ्यर्थियों का अनशन और धरना प्रदर्शन किया था. 68500 भर्ती में बीटीसी की टीईटी परीक्षा में 30% और 33% वाले अभ्यर्थियों को चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिये जाने की मांग को लेकर अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे हैं.
अभ्यर्थियों ने अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर लक्ष्मण मेला मैदान पहुंचकर प्रदर्शन किया लेकिन पुलिस ने अभ्यार्थियों को बलपूर्वक खदेड़ दिया.
आपको बता दें कि परिषदीय विद्यालयों में 68,500 सहायक अध्यापकों के सभी पदों पर नियुक्ति की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से ईको गार्डेन में धरने पर बैठे बीटीसी टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों धरना प्रदर्शन जारी है. अभ्यर्थी नरेंद्र कुमार ने बताया कि लक्ष्मण मेला मैदान के पास बैठने तक की अनुमति न देने पर गुस्सा भड़क उठा.
नरेंद्र के मुताबिक राज्य सरकार ने सहायक अध्यापक के 68 हजार 500 पदों के लिए लिखित परीक्षा करवाई थी. 9 जनवरी को जारी शासनादेश में सामान्य और ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को 45 प्रतिशत (150 में 67 अंक) और एससी-एसटी वर्ग के लिए 40 प्रतिशत (150 में 60 अंक) या अधिक अंक पर उत्तीर्ण होना माना गया.
हालांकि 21 मई को शासनादेश में संशोधन करते हुए उत्तीर्ण प्रतिशत क्रमश: 33 और 30 प्रतिशत करने के बाद 27 मई को लिखित परीक्षा करवाई गई. कटऑफ के अनुसार आंसर-की जारी हुई. इस दौरान एक अभ्यर्थी ने कोर्ट में रिट दायर कर दी. कोर्ट ने 24 जुलाई को 21 मई के शासनादेश पर रोक लगाते हुए 9 जनवरी वाले शासनादेश के अनुसार प्रक्रिया जारी रखने के आदेश दिए थे.