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- सीएम योगी ने दिया...
सीएम योगी ने दिया हनुमान जी का दलित होने का प्रमाण पत्र जारी, उन्होंने थामा नीला झंडा!
देश में राजनीत के मायने ही बदलते नजर आ रहे है. कभी जिस देश में एक नारा होता था हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई, आपस में है भाई भाई का असर अब समाप्त होता नजर आ रहा है. जिस देश की संस्क्रति और तहजीब की मिशाल विदेशों में पेश की जाती है. उस देश में अब राम किस जाती और धर्म के होंगें और बजरंग बली किस धर्म जाती के होंगे यह साबित करने की नौबत आ गई है. जिसकी हमारे समाज को कोई जरूरत नहीं है.
राम हमारे समाज के आराध्य देव थे और हैं और रहेंगे भी. हनुमान जी हमारे हिन्दू धर्म के आराध्य देव है और रहेंगे भी. फिर इस राजनितिक मंच पर इन्हें जाति और समाज में बांटने का अधिकार किसने दिया. पहले देश में हिंदू मुस्लिम खाई को चौड़ा किया गया. अब मुस्लिम और हिन्दू समझने लगा तो दलित बनाम सवर्ण मुद्दा बनाया जाने लगा. तो कभी पिछड़ा बनाम अगड़ा की बात होने लगती है. भाई जब आपका नारा सबका साथ सबका विकास है तो क्या दलित क्या सवर्ण और क्या हिंदू मुस्लिम करने की जरूरत है. बीजेपी को अन्य पार्टियों के नेताओं के बोलने पर टीवी की डिबेट महीनों चलती है जबकि उनके नेताओं के कुछ भी बोलने पर पाबंदी नहीं है. क्या देश वास्तव में अब बीजेपी की गुलामी में जी रहा है. जो जब चाहे सो तब बोलें जब चाहें विरासत में मिले देवी देवताओं की जाति और धर्म बदल दें. आखिर अब ये हो क्या रहा है.
इस बयान को एक अच्छे धर्म के ज्ञाता और उत्तर प्रदेश जैसे विशाल प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा दिया जाना उनके धर्म गुरु की जानकारी पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है. आज तक सभी यही जानते आये है कि हिन्दू धर्म के देवी और देवता है. उनमें प्रमुखतः रामजी , कृष्ण जी , हनुमान जी , शंकर जी , भगवान विष्णु समेत ३३ करोड़ देवी देवता है. लेकिन अब पता चला कि हनुमान जी तो दलित थे. लेकिन असहनीय तो तब हुआ जब एक ही पार्टी के नेता इस बात पर समहत नहीं हुए कि वो दलित थे या आदिवासी? इस पर भी सवालिया निशान खड़ा कर दिया गया. हालांकि इस बात सीएम योगी के खिलाफ यूपी के मुरादाबाद में एक परिवाद भी दायर कर दिया गया है. जिसमें कोर्ट ने अगली तारीख भी दी है.
क्या वास्तव में हिंदुत्व और धार्मिक लड़ाई झगड़े के अलावा बीजेपी पर कोई और मुद्दा बचा नहीं है. जिस पार बात करे. अरे भाई देश में किसान परेशान है युवा वेरोजगार है. उनकी तरफ भी थोडा सा ध्यान दे लो. उन्हें भी बताओं वो किस देवी देवता की शरण में जाएँ ताकि वो उनके समाज का हो. अब इस तरह की बात करने वालों को देश हित में क्या जबाब मिलना जरूरी है या नहीं यह आपको साबित करना है.
उधर सीएम योगी आदित्यनाथ ने जब से हनुमान जी को दलित समुदाय से बताया है. हनुमान जी ने नीला झंडा थाम लिया है. कहते है हमें बताने में इतनी देरी क्यों की. इसकी जिम्मेदारी किसकी है. हमें आज तक आरक्षण का भी लाभ नहीं मिला. इस गलती का दोष किसे दिया जायेगा. इस बात को लेकर संसद में विधेयक कब लाया जाएगा. इस गलती पर सीबीआई जाँच में इतनी देरी क्यों हो रही है जबकि लोकसभा चुनाव आने वाले है. क्योंकि जातीयता के खेल में हमें पहले से पता होना चहिये की आखिर हम किस जाति और मजहब के आदमी है ताकि हम भी खुलकर वोट कर सकें.