लखनऊ

कांग्रेस ने मुसलमानों को मुख्यमन्त्री की कुर्सी दी, सपा ने ई रिक्शा दिया- शाहनवाज़ आलम

Shiv Kumar Mishra
11 July 2021 1:39 PM GMT
कांग्रेस ने मुसलमानों को मुख्यमन्त्री की कुर्सी दी, सपा ने ई रिक्शा दिया- शाहनवाज़ आलम
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सपा ने 27 प्रतिशत आरक्षण में 10 प्रतिशत ओबीसी मुसलमानों के लिए कोटा बनाने के रंगनाथ मिश्रा कमिशन के सिफारिश का विरोध किया था

लखनऊ, 11 जुलाई 2021। अल्पसंख्यक कांग्रेस द्वारा स्पीक अप माइनोरिटी अभियान के छठे संस्करण के तहत आज मनमोहन सिहं सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए किये गए कार्यों के बारे में लोगों को जागरूक किया गया। हर रविवार को फेसबुक लाइव के ज़रिये होने वाले इस अभियान में आज क़रीब 2 हज़ार लोग शामिल हुए।

अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने बताया कि आज फेसबुक लाइव के ज़रिये बताया गया कि कांग्रेस ने मुसलमानों को सम्मान देते हुए उन्हें कश्मीर के बाहर 5 राज्यों में मुख्यमन्त्री की कुर्सी पर बैठाया। महाराष्ट्र में अब्दुर्रहमान अंतुले, बिहार में अब्दुल गफूर, राजस्थान में बरकतुल्ला खान, असम में सैयद अनवरा तैमूर और पॉन्डीचेरी में हसन फारूक साहब को मुख्यमन्त्री बनाया। लेकिन समाजवादी पार्टी ने 20 प्रतिशत आबादी वाले मुस्लिम समाज से सिर्फ़ वोट लिया।

कभी उपमुख्यमंत्री बनाने तक को भी नहीं सोचा। यहाँ तक कि रामगोपाल यादव को बचाने के लिए आज़म खान को बली का बकरा बना दिया। मुलायम सिंह यादव ने सिर्फ़ अपनी ही पांच प्रतिशत आबादी वाली जाति को हर बड़ी कुर्सी पर बैठाया और 20 प्रतिशत वाले मुसलमानों को ई रिक्शा थमा दिया। सपा ने रंगनाथ मिश्रा कमीशन की रिपोर्ट का विरोध किया क्योंकि उसमें पिछड़ों को मिलने वाले 27 प्रतिशत आरक्षण में पिछड़े मुस्लिमों को 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था करने की सिफारिश थी। शाहनवाज़ आलम ने आरोप लगाया कि मुलायम सिंह यादव नहीं चाहते थे कि 27 प्रतिशत आरक्षण पर उनकी 5 प्रतिशत वाली आबादी के एकाधिकार में कोई कटौती हो।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सच्चर कमेटी के कारण मुसलमानों में कांग्रेस की बढ़ती लोकप्रियता को रोकने के लिए सपा जैसी मुस्लिम विरोधी पार्टियों ने यह अफवाह फैलवाई की उसमें लिखा है कि मुसलमानों की स्थिति दलितों से बदतर है। जबकि क़रीब छः सौ पृष्ठों की रिपोर्ट में ऐसा या इससे मिलता जुलता भी कुछ नहीं लिखा है।

फेसबुक लाइव में आज अल्पसंख्यक कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने बताया कि मनमोहन सिंह सरकार ने अल्पसंख्यक मंत्रालय का गठन किया जिससे अल्पसंख्यक समुदायों का विशेष रूप से विकास किया जा सके। सच्चर कमेटी के 67 में से 63 सिफारिशों पर अमल किया गया। कक्षा 1 से पीएचडी तक स्कोलरशिप की योजना बनाई गयी। मदरसों का अधुनिकीकरण किया गया और मैथ, साइंस और कंप्यूटर की तालीम शुरू की गयी। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के 3 नये ब्रांच खुले। वक़्फ़ की संपत्तियों पर मार्केट रेट पर किराया लिए जाने की योजना बनी। जबकि सपा और बसपा की सरकारों ने अल्पसंख्यकों के शिक्षा पर खर्च करने के लिए आये फंड को बिना इस्तेमाल किये ही लौटा दिया था क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि मुसलमान पढ़े और जागरूक हो।

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