लखनऊ

अनुदेशकों के द्वारा दाखिल विशेष अनुमति याचिका की तारीख आगे बढ़ी, तीन जुलाई के स्थान पर 14 जुलाई को होगी सुनवाई

Shiv Kumar Mishra
23 Jun 2023 1:01 PM GMT
अनुदेशकों के द्वारा दाखिल विशेष अनुमति याचिका की तारीख आगे बढ़ी, तीन जुलाई के स्थान पर 14 जुलाई को होगी सुनवाई
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Date of special permission petition filed by instructors extended

अनुदेशकों के द्वारा सरकार से 17000 हजार मानदेय लगातार दिए जाने की याचिका की दूसरी सुनवाई 3 जुलाई को नहीं अब 14 जुलाई को होगी। इससे पहले मई में एक बार सुनवाई हो चुकी है और केस फ़ाइल किया जा चुका है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।

यह तारीख बेंच में शामिल चीफ जस्टिस के सेवानिवृत होने के कारण हुई है। बेंच में शामिल जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम के 29 जून को सेवानिवृत्त होने के परिणामस्वरूप नवीन बेंच में मामले की सुनवाई होगी।

यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपडेट कर दी गई है। जिसमें लिखा है परिषदीय अनुदेशक कल्याण एशोसिएशन द्वारा दाखिल विशेष अनुमति याचिका की डेट तीन जुलाई के स्थान पर 14 जुलाई को होगी। चूंकि जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम के 29 जून को सेवानिवृत्त होने के परिणामस्वरूप नवीन बेंच में मामले की सुनवाई होगी। पहले नई बेंच को केस ट्रांसफर किया जाएगा फिर सुनवाई होगी।

इस सुनवाई में मिली जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार को 17000 हजार मानदेय दिए जाने के लिए आदेश भी जारी कलर सकता है। इसीलिए अनुदेशक लगातार इस केस को लेकर कोर्ट की और निगाह गड़ाए हुए है। सुप्रीम कोर्ट के जज ने याचिका स्वीकार किए जाने से पहले कहा था कि अगर कोई जज गलत निर्णय कर दे तो सब थोड़े ही कर देंगे यह बात उन्होंने सिंगल बेंच के द्वारा दिए गए आदेश पर कही थी। एलकीं अनुदेशकों के विद्वान अधिवक्ता ने उनकी बात का जबाब दिया तब जाकर याचिका बमुश्किल स्वीकार कोर्ट को करनी पड़ी।

सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम आदेश जो कि इस केस के दूसरा पक्ष है उसे नोटिस जारी करते हुए इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए तीन जुलाई कि तिथि नियत की है। अब तीन जुलाई आने वाली है अनुदेशक इस के को लेकर बेहद चिंतित है कि काश जज साहब पहली ही तारीख में सरकार को 27000 हजार अनुदेशकों को 17000 हजार मानदेय देने का आदेश जारी कर दे और सरकार से लागू करने कि बात कहे।

वहीं एक अपील सरकार के द्वारा अनुदेशकों के आदेश के खिलाफ डाली गई है जिसे अभी एप्रूवल नहीं मिल पाया है अभी भी एक दर्जन के आसपास डिफ़ेक्ट लगे हुए है। सरकार ने इस केस में अनुदेशक और केंद्र कि मोदी सरकार को पार्टी बनाया है। बड़ी सोचने वाली बात है जब वोट लेने की बात हो तो डबल इंजन कि सरकार और मानदेय न देना हो कोर्ट में दोनों सरकारे आमने सामने खड़ी है। क्योंकि डबल बैंच के आदेश में केंद्र ने कहा है कि हम अपने शेयर का पूरा हिस्सा पे कर रहे है। जबकि राज्य सरकार अपने हिस्से का पे नहीं कर रही है।

17000 हजार मानदेय सरकार केंद्र की सर्व शिक्षा अभियान के तहत इस योजना में भर्ती किए शिक्षकों को 60 प्रतिशत मानदेय केंद्र सरकार को देना है जबकि 40 प्रतिशत भाग राज्य सरकार को देना है। यदि 17000 मानदेय का 60 प्रतिशत भाग निकालें तो 10200 रुपये होता है। जबकि राज्य सरकार उसमें से 1200 रुपये बचा लेती है और अपना कोई योगदान नहीं करती है। यह जानकारी डबल बैंच में केस के अधिवक्ता रहे एपी सिंह ने कोर्ट में सवाल किया था। इसका मतलब सर्व शिक्षा अभियान में तो करोड़ों रुपये का घोटाला निकलेगा।


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