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एससी/एसटी एक्ट के बावजूद जारी है भाजपा में दलित उत्पीड़न!

कठोर एससी/एसटी एक्ट के तहत किसी को भी बगैर विवेचना के गिरफ्तार किया जा सकता है। मगर इसके बावजूद यह दलित-हितैषी एक्ट नहीं है। यह एक काला कानून है जिसका मक़सद भाजपा के विरोधियों का उत्पीड़न करना है।
यह एक्ट दलितों के असली मुद्दे जैसे भूमि पुनर्वितरण, ग्रामीण इलाक़ों में उचित मजदूरी, सामंतशाही का समूल उन्मूलन और जीवनस्तर सुधारने से सम्भन्दित नही है। लेकिन क्या यह एक्ट दलितों को समाज में इज्ज़त दिलाने का एक माध्यम हो सकता है? नहीं, कदापि नहीं !
19 जुलाई, 2018 को 'टाइम्स ऑफ़ इंडिया' की एक रिपोर्ट बताती है. यह योगी सरकार को शर्मसार करने वाला प्रकरण है। बहराइच जिले की बाल्हा विधानसभा सीट से भाजपा के एक दलित विधायक अक्च्यावर लाल गोंड जिले के अधिकारियों को अपनी व्यथा- कथा सुनाने के लिए 'तहसील दिवस' पर एक आम आदमी की तरह लाइन में लगकर खड़े रहे..."
उनकी शिकायत थी कि उनके विधानसभा क्षेत्र के पुलिस अधिकारी उनके अनुरोध और अनुशंसाओं की जान-बूझकर अनदेखी करते हैं। विधायक ने बताया "पुलिस अधिकारी मेरा मखौल उड़ाते हैं . . . . . गरीबों के हित में की गई मेरी अनुशंसाओं पर ध्यान नहीं देते। मैं जब भी किसी ग़ैरकानूनी गतिविधि को उनके संज्ञान में लाता हूँ तो वे उसे अनदेखा कर देते हैं..."
10 अगस्त, 2018 को 'टाइम्स ऑफ़ इण्डिया' की एक और रिपोर्ट बताती है कि किस प्रकार एक दलित विधायक ने रोते हुए अपनी बेबसी की कहानी सुनाई। विधायक ने बताया कि जब समाज के कुछ 'रसूखदारों' ने उनके पिता पर हमला किया तो उनकी शिकायत पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई। "दुर्भाग्य से मैं एक दलित विधायक हूँ। शायद इसीलिए मेरे ऊपर यह अत्याचार हो रहा है। मेरे पूज्य पिताजी को भी मारा गया। मुझे भी धमकी दी गई। लेकिन मेरी ही भाजपा सरकार में कोई कार्यवाही नहीं हो रही है..."
बाबा गोरखनाथ, जो मिल्कीपुर आरक्षित विधानसभा सीट से विधायक हैं, ने उप्र विधानसभा में याचिका समिति की एक मीटिंग में शामिल होने और प्रधान सचिव अरविंद कुमार को अपनी व्यथा-कथा सुनाने के बाद यह बात बताई। गोरखनाथ ने यह भी बताया " . . . .कि मेरी योगी आदित्यनाथ और और मठ में इतनी गहरी आस्था है कि मैं अपना नाम 'योगी चरण सेवक' लिखा करता था और जब 2017 के चुनावों में मैं भाजपा का प्रत्याशी बना तो मैंने अपना नाम 'बाबा गोरखनाथ' लिखा..."
आज वही 'गोरखनाथ' अपनी ही सरकार में खुद को असहाय महसूस कर रहा है। उसका कहना है कि "अपने प्रतिपालक योगी आदित्यनाथ के प्रति मेरी गहरी निष्ठा है लेकिन दलित होना एक कलंक है और यही कारण है कि मेरी अपनी भाजपा सरकार मेरी हिफाज़त नहीं कर रही है . . . ."
अनुवाद: Sadhvi Meenu Jain