लखनऊ

23 साल बाद भी शिक्षा मित्र बेहाल, क्या कमेटी बनने से होगा उद्धार?

Shiv Kumar Mishra
14 Nov 2023 4:07 AM GMT
23 साल बाद भी शिक्षा मित्र बेहाल, क्या कमेटी बनने से होगा उद्धार?
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Even after 23 years, Shiksha Mitra is in trouble, will there be salvation by forming a committee

उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन बीते 23 वर्ष से प्रदेश के सभी प्राथमिक विधालयों में शिक्षा मित्र कार्यरत है। इन्हे अब 2017 से 10000 हजार रुपये मानदेय मिलता है। जहां केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार शिक्षा के बारे में बड़ी बड़ी बातें करती हो तो वहीं देश के सबसे बड़े सूबे के प्राइमरी स्कूल में बच्चे को पहली कक्षा में शिक्षा देने वाले शिक्षक को मात्र दस हजार रुपये देकर शिक्षित करा कर देश के निर्माण का प्रथम पिलर तैयार कर रही है।

बीते दिनों शिक्षा मित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार शुक्ला से सरकार के अधिकारियों और मंत्री बेसिक शिक्षा संदीप सिंह ने मिलकर बात की। बातचीत सुखद बताई है और जल्द है एक प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा जिसमें कोई बात सरकार और शिक्षा मित्रों के बीच बन जाए। शिक्षा मित्र 10000 हजार मानदेय को लेकर बेहद परेशान है।

बात अगर शिक्षा की करें तो इस देश में बिडम्बना है कि जितना पैसा प्रचार प्रसार पर खर्च किया जाता है अगर उसका कुछ प्रतिशत ही सरकार शिक्षा जैसे महत्त्वपूर्ण विषय पर खर्च करे तो पूरे देश का भाग्य बदल सकता है लेकिन आप इस सब पर कब ध्यान देंगे ये बात बड़ी सोचने बाली है। आपको बता दें कि आपके बच्चे को पढ़ाने वाले व्यक्ति को सरकार अकुशल श्रमिक का वेतन भी नहीं दे रही है अर्थात इस देश को जनता और सिविल सोसाइटी का सवाल क्यों नहीं उठता है। जब हम रोड टेक्स से लेकर टोल टेक्स , खाने से लेकर पीने तक के सामान पर, कपड़े से लेकर मिठाई तक, दवा से लेकर दारू तक सब पट टेक्स पे करते है तब हमें हमारे बच्चे से अच्छे शिक्षकों से शिक्षा क्यों नहीं दिलाई जाती है।

मौजूदा वर्ष 2023 में शिक्षा मित्र लखनऊ में अपने तीन प्रदर्शन कर चुका है। लेकिन सरकार ने अब तक कोई बड़ी घोषणा नहीं की है। चूंकि सरकार खामोश होकर इनमें हुई गुटवाजी का फायदा उठा रही है शिक्षा मित्र चाहते है कि उन्हे उनका बढ़िया मानदेय मिले लेकिन उसी में कुछ एसे शिक्षा मित्र है जो सरकार से सवाल न करके मित्रवत रूप से मानदेय लेना चाहते है। इसी में शिक्षा मित्रों का भविष्य अंधकार मय होता चला जा रहा है।

बीते अक्टूबर में प्रदेश भर से आए शिक्षामित्रों ने लखनऊ के ईको गार्डेन में जोरदार धरना-प्रदर्शन किया। मानदेय वृद्धि समेत अपनी मांगों पर अड़े शिक्षामित्रों का प्रदर्शन देर रात प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से आश्वासन मिलने के बाद समाप्त हुआ। संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिव कुमार शुक्ला ने बताया कि बेसिक शिक्षा प्रमुख सचिव, सचिव और निदेशक से वार्ता हुई है। उन्होंने लिखित आश्वासन दिया है कि मांगों को लेकर जल्द ही शासन स्तर पर एक समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति नियमानुसार कार्यवाही करते हुए प्रस्ताव बना कर मुख्यमंत्री जी को सौंपेगी। उन्होंने बताया कि अधिकारियों ने एक माह के भीतर निर्णय लेने का भरोसा दिया है। इसके बाद धरना प्रदर्शन समाप्त कर दिया गया।

शिव कुमार शुक्ला ने कहा कि प्रदेश भर में करीब 1.5 लाख शिक्षा मित्र बीते 23 वर्षों से निष्ठा पूर्वक गांव के गरीब व किसानों के बच्चों को शिक्षित करने में जुटे हैं। इसके बावजूद शिक्षा मित्रों मात्र 10 हजार का मानदेय दिया जा रहा है। वहीं भी वर्ष में केवल 11 महीने। उन्होंने कहा कि शिक्षामित्रों की आर्थिक स्थित बहुत दयनीय हो चुकी है। आजीविका का संकट खड़ा हो गया है।

प्रदेश महामंत्री सुशील कुमार यादव ने कहा कि जनवरी को शिक्षा मित्रों के धरना-प्रदर्शन के बाद महानिदेशक स्कूल शिक्षा से हुई वार्ता में शिक्षा मित्रों को मूल विद्यालय वापसी, मृतक शिक्षा मित्रों के परिजनों को मुआवजा और शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ोत्तरी पर सहमति बनी थी। लेकिन 10 माह बीतने के बाद भी सरकार ने कोई आदेश जारी नहीं किया। जिससे सभी शिक्षामित्र निराश और हताश थे। धरने में गाजी इमाम आला, पुनीत चौधरी व श्याम लाल यादव समेत प्रदेश के सभी जिलों से आए शिक्षामित्र शामिल हुए।



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