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लखनऊ मे ट्रिपल मर्डर में फांसी की सजा, 2009 में की थी सास और दो बच्चों की हत्या
ससुराल में सास व दो बच्चों की निर्मम हत्या करने के आरोपी बुद्धा को अपर सत्र न्यायाधीश दुर्ग नारायण सिंह ने मृत्युदंड और चालीस हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। अदालत ने हत्या के प्रयास में दस वर्ष कारावास एवं दस हजार रुपये जुर्माना, मारपीट में सात वर्ष कारावास एवं पांच हजार रुपये जुर्माना तथा वादी को चोट पहुंचाने में एक वर्ष कारावास की सजा सुनाई है। अर्थदंड की आधी राशि वादी राकेश कुमार को तथा आधी मृतक सूरज एवं शिवांकी के पिता रामचंद्र को दी जाएगी।
तिहरे हत्याकांड की पैरवी जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज कुमार त्रिपाठी के निर्देशन में सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अशोक कुमार त्रिपाठी ने की थी। वादी राकेश कुमार ने थाना मलिहाबाद में 12 दिसंबर 2009 को घटना की रिपोर्ट लिखाई थी। रिपोर्ट में कहा गया कि बीती रात दो बजे वह एवं उसकी मां सुरसती तथा 10 वर्षीय भतीजा सूरज एवं आठ वर्षीय भतीजी शिवांकी घर में लेटे थे। उसी समय उसका बहनोई आरोपी बुद्धा आ गया। बुद्धा से वादी की बहन देशपती का विवाह 10 वर्ष पूर्व हुआ था। बुद्धा द्वारा मारपीट करने से परेशान होकर वादी ने देशपती की शादी बाराबंकी के रहने वाले पंचाराम से कर दी थी।
घटना के दिन देशपती अपनी मां से मिलने आई थी तथा वापस चली गई। बुद्धा को आशंका थी कि देशपती घर में है। जिसे मारने के लिए रात्रि करीब दो बजे वो दो साथियों के साथ घर में घुसा। जहां पर पत्नी को न पाकर बांके से सुरसती एवं सूरज की हत्या कर दी तथा शिवांकी को घायल कर दिया। जिसकी इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी। घटना में वादी को भी चोटें आईं थी। पुलिस ने बुद्धा को 15 दिसंबर को गिरफ्तार किया था।बचाव पक्ष की ओर से कहा गया कि लूटपाट में तीनों की मृत्यु हुई है।
आरोपी गरीब है, लिहाजा कम से कम दंड दिया जाए। अभियोजन की ओर से कहा गया कि गरीब होने के बावजूद उसने अपना वकील किया है। एक ही घर के तीन लोगों की नृशंस हत्या की गई है, लिहाजा यह मामला विरलतम अपराध की श्रेणी में आता है। बुद्धा की रंजिश उसकी पत्नी देशपती व उसके भाइयों से थी। किंतु बुद्धा तीनों निरीह प्राणियों की हत्या की। उसके कृत्य से स्पष्ट है कि उसने अपराध सोच विचार कर किया गया है। अदालत ने कहा कि इस आधार पर दोष सिद्ध बुद्धा को मृत्युदंड दिया जाना न्यायोचित होगा।