लखनऊ

शिक्षा मित्र के मामले न्यायालय ने भी अपनाया दोहरा रवैया, दो साल समायोजन का नहीं मिला लाभ जबकि 69000 हजार भर्ती में दिया डायरेक्शन

Shiv Kumar Mishra
16 March 2023 5:42 AM GMT
शिक्षा मित्र के मामले न्यायालय ने भी अपनाया दोहरा रवैया, दो साल समायोजन का नहीं मिला लाभ जबकि 69000 हजार भर्ती में दिया डायरेक्शन
x
इन पदों पर जो शिक्षक दो वर्ष से कार्य कर रहे है उनके साथ कोई भी गलती नहीं होनी चाहिए उन्हे यथावत रखते हुए नई सूची तीन माह के भीतर कोर्ट में प्रस्तुत करें।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्रों के साथ सरकार ही नहीं माननिय सुप्रीम कोर्ट ने भी दोहरा रवैया अपनाया। जैसे के अभी बीते दो दिन पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69000 हजार भर्ती प्र अपना फैसला सुनाया जिसमें कहा गया है कि 6800 पदों पर भर्ती प्रक्रिया में कानून का पूरी तरह प्रयोग नहीं किया गया है। इन पदों पर जो शिक्षक दो वर्ष से कार्य कर रहे है उनके साथ कोई भी गलती नहीं होनी चाहिए उन्हे यथावत रखते हुए नई सूची तीन माह के भीतर कोर्ट में प्रस्तुत करें।

अब आइए शिक्षा मित्र के मामले में भी तो शिक्षा मित्र दो वर्ष समायोजित होकर शिक्षण कार्य कर चुका था। भर्ती किए गए शिक्षक केवल योग्यता रखते है ट्रैंड नहीं है जबकि शिक्षा मित्र के पास तब 11 वर्ष का अनुभव था। 11 वर्ष किसी काम के लिए बहुत ज्यादा होते है। इस अनुभव के तहत तो इनका समायोजन स्वत भी बनता है। जबकि उनको अनुभव का लाभ तब मिला न आज 20 वर्ष बाद अनुभव का लाभ मिल रहा है। इस पर कोर्ट ने दो वर्ष के अनुभव को वरीयता दी जबकि 11 साल की अनुभव को भी नकार दिया। सरकार ने अगर शिक्षा मित्र का समायोजन किया और बीटीसी/टीईटी पास कैंडिडेटों ने याचिका दाखिल की तो कोर्ट को नई भर्ती करने के लिए भी तो कहा जा सकता था। लेकिन 150000 हजार शिक्षा मित्रों के खिलाफ आदेश आया और उन्हे अयोग्य मानते हुए सरकार को लिख दिया।

सवाल -1- अगर ये अनुभव हीन और अयोग्य थे सरकार ने गाँव के गरीबों के बच्चों को इन अयोग्यों से 20 वर्ष तक शिक्षित क्यों कराया।

सवाल - 2- यदि ये पढ़ाने में सरकार योग्य मानती रही और इनसे शिक्षा गृहण कराती रही तो इनका वेतन बढ़ा क्यों नहीं?

सवाल - 3- क्या इस भीषण महंगाई में 10000 हजार में कोई परिवार का खर्च चल सकता है।

सवाल - 4- शिक्षा मित्रों का वेतन 333 रुपये प्रतिदिन है जो अकुशल श्रमिक से भी कम है यदि इन अकुशल श्रमिक से भी कम वेतन देकर देश के प्राथमिक शिक्षा का बेढ़ा गर्क करने का काम कब तक करेगी जब कहा जाता हो नौनिहाल बचके देश का भविष्य होता है।

सवाल - 5- पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था जिस देश को विकास में सबसे आगे ले जाना हो उस देश की प्राइमरी एजुकेशन बहुत शक्तिशाली होनी चाहिए। तो क्या 10000 हजार में शिक्षा मित्र और 9000 हजार में अनुदेशक प्राइमरी और जूनियर शिक्षा को चार चाँद लगा पाएंगे।

उत्तर सिर्फ एक शिक्षा मित्र अनुदेशक का वेतन बढ़ाकर प्राइमरी और जूनियर शिक्षा को पंख लगाएं ताकि देश का विकास और ज्यादा हो सके। शिक्षा का व्यवसाईकरण भी रुके गाँव का गरीब कॉनवेंट स्कूल में अपने बच्चे को नहीं पढ़ा सकता है।

शिक्षा मित्रों के साथ हुआ था ये पूरा खेल

बेसिक शिक्षा परिषद ने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों के समायोजन के संबंध में गुरुवार को शासनादेश जारी कर दिया है। अब प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त किया जाएगा। वहीं, हाईकोर्ट ने बीटीसी और टीईटी कैंडिडेट्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। मामले पर अगली सुनवाई 14 जुलाई 2014 को हुई थी।

ऐसे हालात में अब यूपी सरकार और हाईकोर्ट आमने-सामने आ गए हैं। सरकार ने जहां शासनादेश जारी करते हुए शिक्षामित्रों की नियुक्ति का रास्ता साफ कर दिया है। वहीं, गुरुवार को पारित आदेश में कोर्ट ने कहा कि शिक्षामित्रों के समायोजन का आदेश अब उसके अंतिम निर्णय पर आधारित होगा।

बताते चलें कि राज्य सरकार ने निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (प्रथम संशोधन) गाइडलाइन में कुछ बदलाव किए हैं। इसके तहत प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों के लिए टीईटी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है। राज्य सरकार ने 30 मई 2014 को इस संबंध में निर्देश भी पारित कर दिए थे। इसका हजारों बीटीसी/टीईटी पास कैंडिडेटों ने विरोध करते हुए उनके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

शिक्षामित्रों को सरकार से मिली थी हरी झंडी

सचिव बेसिक शिक्षा नीतीश्वर ने बताया कि सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त होने वाले शिक्षामित्रों की अधिकतम आयु सीमा 60 वर्ष होनी चाहिए। साथ ही उन्हें स्नातक या उसके समकक्ष होना चाहिए या फिर राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद यूपी द्वारा डिस्टेन्स से द्विवर्षीय बीटीसी, बीटीसी उर्दू, विशिष्ट बीटीसी सफलतापूर्वक पास किया हो। उन्होंने बताया कि इनकी नियुक्तियां निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार गाइडलाइन-2011 के तहत की जाएंगी। पहले चरण में 58 हजार 826 शिक्षामित्रों को सहायक टीचर बनाया जाएगा।

हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से मांगा था जवाब

प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों को समायोजित करने के खिलाफ दायर याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सूबे की सरकार को तीन हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा है। इस याचिका पर 14 जुलाई को सुनवाई की गई थी। गुरुवार को पारित इस आदेश में कोर्ट ने कहा कि शिक्षामित्रों का समायोजन का आदेश अब हाईकोर्ट के अंतिम निर्णय पर आधारित होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल ने शिवराजन और तीन अन्य बीटीसी/टीईटी पास कैंडिडेटों की याचिका पर दिया है।

इन्हें भी पढ़ें



Next Story