लखनऊ

शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ाएं, हाईकोर्ट ने निर्देश किया जारी, 3 माह में निस्तारण का किया निर्देश जारी

Shiv Kumar Mishra
13 Jan 2024 7:00 AM GMT
शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ाएं, हाईकोर्ट ने निर्देश किया जारी,  3 माह में निस्तारण का किया निर्देश जारी
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1.42 लाख शिक्षामित्र और 27555 अनुदेशक कार्यरत है, शिक्षामित्रों को 10000 और अनुदेशकों को 9000 का मानदेय सरकार दे रही है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों को दिए जा रहे मानदेय को देश के वित्तीय इंडेक्स के अनुसार जीवन यापन के लिए जरूरी धनराशि से काफी कम माना है। शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने पर विचार कर निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार को चार हफ्ते में एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि उच्च स्तरीय कमेटी अगले तीन माह में सहानुभूतिपूर्वक विचार कर नियमानुसार शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने पर उचित निर्णय लेगी। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने जितेंद्र कुमार भारती सहित 10 याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है।

आपको बता दें कि योगी सरकार कक्षा 1 से 5 तक पढ़ाने वाले शिक्षामित्रों को 10000 और जूनियर हाईस्कूल में पढ़ाने वाले अनुदेशकों को मात्र 9000 का अल्प मानदेय देती है। कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि अगले 3 माह में सहानुभूति विचार कर नियमानुसार शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने पर उचित निर्णय लेगी।

यह आदेश जज सौरभ श्याम शमशेरी ने जितेन्द्र कुमार भारती सहित 10 याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया. हालांकि कोर्ट ने सामान कार्य समान वेतन की मांग मानने से इंकार कर दिया है, किन्तु कहा है कि कम से कम इतना मानदेय तो दिया जाना चाहिए कि वे अपना जीवन यापन कर सकें,

याची के अनुसार वे पिछले 18 सालों से सहायक अध्यापकों की तरह सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे है उन्हीं स्कूलों में सहायक अध्यापकों को 80 से 90 हजार वेतन और शिक्षामित्रों को मात्र 10000 का मानदेय दिया जाता है। इसलिए समान कार्य समान वेतन के स्थापित विधि सिद्धांत के तहत नियमित सहायक अध्यापक को मिल रहा न्यूनतम वेतन दिया जाय या मानदेय का पुनिरीक्षण करके बढ़ाया जाय।

हालांकि, कोर्ट ने समान कार्य समान वेतन की मांग मानने से इन्कार कर दिया है किन्तु कहा है कि इतना मानदेय दिया जाना चाहिए जिससे मंहगाई को देखते हुए गरिमामय जीवन यापन हो सके। याची का कहना था कि शिक्षामित्र विभिन्न स्कूलों में पिछले 18 वर्षों से सहायक अध्यापक की तरह पढ़ा रहे हैं और उन्हें काफी कम मानदेय दस हजार रुपये महीने दिया जा रहा है।

इसलिए समान कार्य समान वेतन के स्थापित विधि सिद्धांत के तहत नियमित सहायक अध्यापक को मिल रहा न्यूनतम वेतनमान दिया जाए अथवा मानदेय का पुनरीक्षण कर बढ़ाया जाए।

राज्य सरकार का तर्क

राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि याचीगण संविदा पर कार्यरत हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे लोगों को समान कार्य समान वेतन देने से अपने फैसलों में इन्कार किया है।

कोर्ट ने कहा

शिक्षामित्र संविदा पर कार्यरत हैं। कोर्ट यह तय नहीं कर सकती कि उन्हें समान कार्य समान वेतन का लाभ दिया जाए। यह तय करना विशेषज्ञ प्राधिकारी का काम है। इसलिए याचीगण सरकार से संपर्क करें। इस पर विचार के लिए कोर्ट ने उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है।

जबकि सही तथ्य

1.42 लाख शिक्षामित्र और 27555 अनुदेशक कार्यरत है, शिक्षामित्रों को 10000 और अनुदेशकों को 9000 का मानदेय सरकार दे रही है।

पहले भी इलाहबाद हाईकोर्ट की डबल बेंच अनुदेशकों के मामले में सरकार को आदेश दे चुकी है कि अनुदेशकों को 2017-18 वर्ष का 17 हजार के हिसाब से एरियर का भुगतान किया जाय जिसके खिलाफ योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट में लड़ रही है।

अभी सुप्रीमकोर्ट में भी अनुदेशकों की याचिका पड़ी हुई है और इलाहाबाद हाईकोर्ट में कोट ऑफ कंटेम्प्ट पड़ा हुआ है उसकी हियरिंग जल्द होने वाली है।

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