लखनऊ

अभी अभी अधिवेशन के बाद सपा ने बनाया लोकसभा चुनाव का प्लान, बीजेपी और बसपा को चटाएंगे एसे धूल

Shiv Kumar Mishra
21 March 2023 6:14 AM GMT
अभी अभी अधिवेशन के बाद सपा ने बनाया लोकसभा चुनाव का प्लान, बीजेपी और बसपा को चटाएंगे एसे धूल
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी तेज कर दी है। राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ बनाए गए प्लान पर काम भी शुरू कर दिया है। सपा यूपी में दलित वोट बैंक के सहारे चुनावी मैदान में साइकिल दौड़ाने की तैयारी कर रही है। इस वोट बैंक को हासिल करने के लिए पार्टी के पुराने चेहरे पुराने सपाई अवधेश प्रसाद और रामजी सुमन लाल को चेहरा बनाया गया।

सपा की रणनीति के अनुसार यदि दलित वोट बैंक उसके साथ जुड़ जाए तो 2024 की सियासी राह आसान हो सकती है। 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सपा ने लोहियावादियों का अंबेडकरवादियों को एक मंच पर लाने की शुरुआत की थी। पार्टी ने डॉ अंबेडकर के सिद्धांत और सपनों को पूरा करने की वकालत करते हुए अंबेडकर वाहिनी की घोषणा की। विधानसभा चुनाव में पार्टी का वोट बैंक करीब 32 फीसदी तक पहुंच गया।

अब यही रणनीति लोकसभा चुनाव में भी अपनाने की तैयारी चल रही है। सपा की कोलकाता में चली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मंच पर अखिलेश यादव के बगल में नौ बार के विधायक अवधेश प्रसाद और पूर्व सांसद राम जी लाल सुमन नजर आए। अयोध्या निवासी अवधेश प्रसाद पासी बिरादरी से और आगरा के रामजी लाल सुमन जाटव है। यह दोनों जातियां दलित राजनीति में प्रभावी मानी जाती हैं।

सपा एक तरफ पुरानी पीढ़ी के दलित नेताओं को साथ लेकर चल रही तो दूसरी तरफ युवा दलित नेताओं पर भी फोकस कर रही है। गोरखपुर से बृजेश कुमार गौतम को जिला अध्यक्ष बनाया है जो बसपा से आए हैं। इसके साथ युवा चेहरे के रूप में रामकरण निर्मल, चंद्र शेखर चौधरी और मनोज पासवान भी सक्रिय हैं। रामपुर उपचुनाव में मंच पर अखिलेश यादव के बगल में दलित नेता चंद्र शेखर आजाद बैठे नजर आए थे।

ध्यान देने वाली बात ये है कि बसपा को 2012 में करीब 26 फीसदी, 2017 में 22.4 फीसदी और 2022 में करीब 12.7 फीसदी वोट मिला था। जबकि प्रदेश में करीब 11 फीसदी जाटव, तीन फीसदी पासी और दो फीसदी अन्य दलित जातियां हैं। पार्टी के रणनीतिकारों का कहना कि उनकी नजर दलितों के पांच से छह फीसदी वोट बैंक पर है। इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। बसपा के तमाम पुराने नेता उससे अलग हो चुके हैं, इनमें से कुछ सपा के साथ हैं।

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