लखनऊ

जब अपने जन्मदिन पर कल्याण सिंह ने बना ली थी अलग पार्टी और जब एक बार मुस्लिम उम्मीदवार से चुनाव भी हारे थे

Shiv Kumar Mishra
22 Aug 2021 9:20 AM GMT
जब अपने जन्मदिन पर कल्याण सिंह ने बना ली थी अलग पार्टी और जब एक बार मुस्लिम उम्मीदवार से चुनाव भी हारे थे
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अवनीश विद्यार्थी

कल्याण सिंह ने अपने 77वें जन्मदिवस पर उत्तर प्रदेश को नयी पार्टी का बिल्कुल नया तोहफा दिया था। उन्होंने राष्ट्रवादी जनक्रांति के गठन की घोषणा की और उसका अध्यक्ष अपने बेटे राजवीर सिंह को बनाया था। लखनऊ के माल एवेन्यू स्थित आवास पर उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर इस बात की मीडिया को जानकारी दी थी।

वर्ष 1999 में कल्याण सिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से झगड़ा करके नई पार्टी बनाई थी, तब उन्होंने राम मंदिर मुद्दे को तिलांजलि दे दी थी। इस बीच वह एक बार भारतीय जनता पार्टी में वापस गए थे और दो बार उन्होंने मुलायम सिंह यादव की पार्टी से हाथ मिलाया था। भाजपा से नाता तोड़ने के बाद कल्याण सिंह ने राष्ट्रीय क्रांति पार्टी की स्थापना की थी। फिर कल्याण सिंह के भाजपा में वापसी के बाद सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज ने पार्टी की कमान संभाली।

इसी दौरान फिर कल्याण सिंह भाजपा से अलग हुए और राष्ट्रवादी जनक्रांति पार्टी का गठन किया। पिछले दिनों साक्षी महाराज के भाजपा में जाने के बाद राष्ट्रीय क्रांति पार्टी में फिर नेतृत्व का संकट उत्पन्न हो गया। ऐसे में माना जा रहा था कि अब पार्टी का भाजपा में विलय हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

बुलंदशहर के वरिष्ठ अधिवक्ता देवेंद्र सिंह लोधी को राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत कर लिया गया था। बाद में राजबीर सिंह ने कहा कि प्रखर हिंदुत्ववाद और प्रखर राष्ट्रवाद जन क्रांति पार्टी की विचारधारा होगा। गांव, गरीब किसान और झुग्गी-झोपड़ी का उत्थान उनका मुख्य कार्यक्रम होगा। मुलायम सिंह का साथ छोड़ने के बारे में राजबीर सिंह ने कहा था कि लव मैरेज हुई थी, तलाक हो गया। वर्ष 2007 का विधान सभा चुनाव भाजपा उनके नेतृत्व में लड़ी। फिर उन्होंने मुलायम सिंह से हाथ मिलाया और समाजवादी पार्टी के समर्थन से 2009 में एटा से लोकसभा चुनाव जीते।

एक बार जब मुस्लिम उम्मीदवार से चुनाव हार गये

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह अतरौली विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 1980 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवार अनवर खां से हार गए थे। इससे पूर्व कल्याण सिंह अतरौली विधान सभा क्षेत्र से 1967 से 1980 तक लगातार 8 बार विधायक रहे। लेकिन भाजपा की टिकट पर कल्याण सिंह ने 1985 के विधानसभा चुनाव में फिर कामयाबी हासिल की। तब से लेकर 2004 के विधानसभा चुनाव तक कल्याण सिंह ही अतरौली से विधायक रहे।

गौरतलब है कि आपातकाल के बाद जनसंघ भाजपा में तब्दील हो गई। वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में उसे केवल दो सीटें मिलीं। अटल बिहारी वाजपेयी खुद चुनाव हार गए थे। इसके बाद भाजपा को उत्तर प्रदेश में अयोध्या मंदिर का मुद्दा मिल गया था। शाह बानो प्रकरण में मुस्लिम समाज के दबाव में कांग्रेस नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने संविधान में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया। फिर इसी सरकार ने हिन्दुओं के तुष्टीकरण के लिए विवादित अयोध्या मंदिर का ताला खुलवा दिया। भाजपा को राम मंदिर का मोहरा मिल गया था।

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