
- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- लखनऊ
- /
- यूपी के सीएम योगी...
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता का उत्तराखंड में हुआ अंतिम संस्कार, इस वजह से शामिल नहीं हो पाए योगी

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के पिता आनंद सिंह बिष्ट (Anand Singh Bisght) का अंतिम संस्कार मंगलवार को ऋषिकेश (Rishikesh) के फूल चट्टी घाट पर हुआ. उनका पार्थिव देह पंचतत्व में विलीन हो गया. इस दौरान उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) के अलावा बाबा रामदेव (Baba Ramdev) सहित उनके परिजन भी मौजूद रहे. लेकिन इस समय कमी केवल सीएम योगी आदित्यनाथ की खल रही थी.
दरअसल, जब सीएम योगी को उनके पिता के निधन की जानकारी मिली तब वो कोरोना और अन्य मुद्दों पर अधिकारियों के साथ लखनऊ में बैठक कर रहे थे. उसके बाद उन्होंने अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया. इसका कारण उन्होंने कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन और प्रदेश के आम जनों के प्रति जवाबदेही बताया. उन्होंने अपने ट्वीट में यह जानकारी साझा की. बता दें, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता दिल्ली एम्स में इलाज चल रहा था. इलाज के दौरान सोमवार को उनका निधन हो गया था.
'अंतिम संस्कार में नहीं आ सकता'
सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्वीट में पिता को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की. साथ ही कहा कि लॉकडाउन के बाद दर्शनार्थ जाऊंगा. इसके अलावा उन्होंने 21अप्रैल को अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में भाग नहीं लेने की बात भी कही. अपने एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लॉकडाउन की सफलता तथा महामारी कोरोना को परास्त करने की रणनीति के कारण इसमें भाग नहीं लेने की बात कही. इसके साथ ही उन्होंने अंतिम संस्कार में कम से कम लोग अंतिम संस्कार में रहें इसकी अपील अपनी मां और अपने परिजनों से की. साथ ही लॉकडाउन का पालन करने को भी कहा.
'पिता के निधन पर जताया शोक, लेकिन कर्तव्य को किया याद'
सीएम योगी आदित्यनाथ ने पिता के निधन की जानकारी मिलने के बाद शोक जताया. अपने एक ट्वीट में उन्होंने बताया कि अंतिम क्षणों में पिता के दर्शन की इच्छा थी. साथ ही कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को उत्तर प्रदेश की जनता के हित में आगे बढ़ाने के कर्तव्यबोध के कारण नहीं पहुंच सका. सीएम ने कहा कि वह मेरे पूर्वाश्रम के जन्मदाता हैं. उन्होंने जीवन में ईमानदारी, कठोर परिश्रम एवं नि:स्वार्थ भाव से लोक मंगल के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करने का संस्कार पिता से बचपन में मिलने की बात कही.