लखनऊ

बसपा को बड़ा झटका, मायावती के खासमखास गंगाराम आंबेडकर ने कांग्रेस का दामन थामा

Shiv Kumar Mishra
30 Nov 2021 8:28 AM GMT
बसपा को बड़ा झटका, मायावती के खासमखास गंगाराम आंबेडकर ने कांग्रेस का दामन थामा
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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक बिसात पर मायावती घिरती जा रही हैं. 2022 का यूपी चुनाव बसपा के भविष्य के साथ-साथ दलित राजनीति के लिए भी अहम माना जा रहा है. ऐसे में बसपा को एक के बाद एक सियासी झटके लगते जा रहे हैं. बसपा के तमाम दिग्गज नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद अब 14 सालों तक मायावती के ओएसडी रहे गंगाराम अंबेडकर ने कांग्रेस का दामन थाम लिया.

गंगाराम अंबेडकर मायावती के महत्वपूर्ण सलाहकार में से एक रहे हैं. मायावती के ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) गंगाराम अंबेडकर पिछले 14 सालों से काम कर रहे थे, लेकिन बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्र के चलते उन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया था. हाथी से उतरकर अब कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. वो चुनावी मैदान में बसपा के खिलाफ दलितों को कांग्रेस से जोड़ने के मिशन पर काम करेंगे.

मायावती से अलग होने के बाद गंगाराम अंबेडकर दलित को जोड़ने के लिए 'मिशन सुरक्षा परिषद नाम से संगठन चला रहे थे. इस मिशन संगठन के सहारे गंगाराम दलितों को देशभर में जोड़ने का अभियान पर काम कर रहे हैं. कांग्रेस सूबे में दलित राजनीति एजेंडा के तहत गंगाराम को अहम भूमिका 2022 के चुनाव में दी सकती है, क्योंकि वो मायावती के जाति जाटव समाज से आते हैं.

यूपी का 22 फीसदी दलित समाज जाटव और गैर-जाटव दलित के बीच बंटा हुआ है. मायावती एक समय भले ही दलितों की नेता रही हैं, लेकिन 2012 के बाद से सिर्फ जाटव नेता के तौर पर सीमित हो गई हैं. चंद्रशेखर आजाद भी जाटव हैं और मायावती की तरह पश्चिम यूपी से आते हैं. जाटव वोट बसपा का हार्डकोर वोटर माना जाता है, जिसे चंद्रशेखर साधने में जुटे हैं. वहीं, बीजेपी भी अब बेबीरानी मौर्य के जरिए जाटव समाज के बीच खुद को स्थापित करने में जुटी हैं.

वहीं, यूपी के चुनाव में कांग्रेस, सपा, बीजेपी से लेकर भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद तक बसपा के दलित वोटबैंक पर नजर गड़ाए बैठे हैं. वहीं, बसपा के पुराने और दिग्गज नेता लगातार मायावती का साथ छोड़ रहे हैं, जिनका सियासी ठिकाना सपा या फिर कांग्रेस बन रही है. इसके बावजूद मायावती अभी तक चुनावी अभियान का आगाज नहीं कर सकी हैं जबकि प्रियंका से लेकर अखिलेश तक चुनावी जनसभाएं कर रहे हैं.

यूपी का चुनाव बीजेपी बनाम सपा के बीच सिमटता जा रहा है और बसपा को राजनीति विशेषज्ञ लड़ाई से बाहर मानकर चल रहे हैं. गंगाराम अंबेडकर का कांग्रेस में जाना बीएसपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. ऐसे में आशंका जाहिर की जा रही है कि इस बार 2022 के चुनाव में बसपा के वोट शेयर में और गिरावट आ सकती है.

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