
- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- लखनऊ
- /
- विकास की कसौटी पर...
विकास की कसौटी पर मोदी-योगी नीत भाजपा सरकारों और अखिलेश नीत सपा सरकार की तुलना में सपा भारी, जानिए क्यों?

अगर उत्तर प्रदेश में विकास की कसौटी पर मोदी-योगी नीत भाजपा सरकारों और अखिलेश नीत सपा सरकार की तुलना की जाए तो भाजपा कहीं से भी अखिलेश के सामने ठहर नहीं सकती। अखिलेश की झोली में जहां राज्य के विकास की सफल योजनाओं का अंबार है, वहीं मोदी और योगी विकास योजनाओं की केवल घोषणाओं या आधी-अधूरी योजनाओं को ही अपनी उपलब्धियों में गिना पाएंगे।
डायल 100, 1098, एम्बुलेंस 108, 102, जिला मुख्यालयों तक बेहतरीन सड़कें, आगरा एक्सप्रेसवे, लखनऊ में मेट्रो, अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम, जनेश्वर मिश्र पार्क, गोमती रिवर फ़्रंट, लोहिया चिकित्सा अनुसंधान अस्पताल समेत कई नए व बड़े अस्पताल...मतलब कि हर तरफ अखिलेश के किये हुए कामों की छाप नजर आ रही है। जबकि भाजपा में चाहे मोदी हों या योगी, अब तक केवल घोषणाओं में ही अखिलेश से बाजी मारी है। धरातल पर इनका कोई काम कहीं नजर ही नहीं आ रहा। मिसाल के तौर पर आउटर रिंग रोड को ही ले लीजिए। खुद गृह मंत्री राजनाथ सिंह इस पर लगे हैं और तब यह आलम है कि पांच बरस में भी यह लगभग 100 किलोमीटर की सड़क नहीं बन पा रही। अब जबकि पांच बरस बाद चुनाव सर पर आ गए हैं तो इस रोड का एक छोटा सा हिस्सा यानी 10-15 किलोमीटर बनवा कर भाजपा सरकार जनता को यह दिखाना चाहती है कि वह भी काम कर रही है।
दूसरी तरफ अखिलेश ने विपरीत परिस्थितियों में अर्थात केंद्र में विरोधी भाजपा सरकार के रहने के बावजूद महज डेढ़-दो बरस में ही आउटर रिंग रोड से कहीं ज़्यादा लम्बाई वाला आगरा एक्सप्रेस वे तैयार करके जनता को सौंप भी दिया था।
मुझे लगता है कि यूपी की जनता अब भाजपा सरकार की हकीकत को बहुत अच्छी तरह से समझने भी लगी है और अब तो तकरीबन हर कहीं लोग यह मानते भी हैं कि अखिलेश ही यूपी के लिए बेहतर थे। मैंने खुद व्यक्तिगत तौर पर यह पाया था कि पुलिस व्यवस्था में डायल 100 से और राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था में डायल 108 और 102 से क्रांतिकारी बदलाव आ गया था। राज्य के उन इलाकों में जहां से राजधानी लखनऊ पहुंचने में अच्छा खासा समय लग जाता था, वहां भी अखिलेश सरकार ने बेहतरीन सड़कें, डायल करने पर मिनटों में ही एम्बुलेंस व पुलिस पहुंचने का चमत्कार कर दिखाया था।
इससे साबित होता है कि राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के अन्य शहरों में भले ही अखिलेश ने ताबड़तोड़ विकास के काम कराए हों लेकिन सुदूर इलाकों में बसे गांव-कस्बे या जिले भी अखिलेश के विकास एजेंडे की लिस्ट में थे।
जब अखिलेश ने पिछली बार चुनाव में अपने इन्हीं कामों को केंद्र में रखकर पूरे आत्मविश्वास के साथ विकास को अपना मुद्दा बनाया था तो मुझे लगा था कि शायद जनता अखिलेश को उनके किये हुए कामों का पुरस्कार उनकी वापसी करवा कर देगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और जनता ने महज धार्मिक आधार पर वोटिंग करके विकास को खुद ही मुद्दा मानने से इनकार कर दिया।
शायद यह जनता की उसी गलती का खामियाजा है, जो आज यूपी में विकास कार्यों के ठप होने या डायल 100, 1098 और एम्बुलेंस 108, 102 आदि जैसी बेहतरीन व्यवस्थाओं के भी अब महज नाम के लिए रह जाने के रूप में सामने आया है।
