लखनऊ

यूपी और केंद्र सरकार की लापरवाही से बेघर हुए पढे लिखे पौने दो लाख परिवार, आज भी कोई बोलने को नहीं है तैयार

Shiv Kumar Mishra
1 Sep 2023 9:15 AM GMT
यूपी और केंद्र सरकार की लापरवाही से बेघर हुए पढे लिखे पौने दो लाख परिवार, आज भी कोई बोलने को नहीं है तैयार
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अभी 2022 में धामी सरकार ने 5000 हजार बढ़ाकर 20000 हजार रुपये कर दिया जबकि यूपी में आज भी 10000 हजार में काम करने के लिए शिक्षा मित्र मजबूर है।

उत्तर प्रदेश में यूपी सरकार और केंद्र सरकार की लापरवाही से सर्व शिक्षा अभियान के तहत काम कर रहे अनुदेशक और शिक्षा मित्र उच्च प्राथमिक विधालय और प्राथमिक विधालय में काम कर रहे है। शिक्षा मित्र का चयन 2000 में हुआ उस दौरान उत्तराखंड राज्य भी उत्तर प्रदेश का हिस्सा था। लेकिन जब 2003 में देश में तीन नए राज्यों झारखंड , छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड का गठन हो जाता है। और उत्तराखंड राज्य फिलहाल अपने शिक्षा मित्रों को अब 20000 हजार रुपये वेतन मिलता है जबकि इसके पहले भी उनको 15000 हजार रुपये मिलते थे। अभी 2022 में धामी सरकार ने 5000 हजार बढ़ाकर 20000 हजार रुपये कर दिया जबकि यूपी में आज भी 10000 हजार में काम करने के लिए शिक्षा मित्र मजबूर है।

वहीं उत्तर प्रदेश में कार्यरत अनुदेशक को 2013 में भारी शोर शराबे के बाद तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने चयन किया था। इनकी भर्ती इलाहाबाद हाईकोर्ट की देखरेख में पूरी पारदर्शिता से हुई। इनको अंशकालिक के पद विषय विशेषज्ञ के रूप में रखा गया और मानदेय इनका 7000 हजार नियत हुआ जो उस समय न्यूनतम था। उसके कुछ समय बाद अनुदेशकों की मांग के वावजूद अखिलेश सरकार ने 8470 रुपये कर दिया। जिसे सरकार बदलने पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने 1470 रुपये की वसूली भी की।

अब पिछले वर्ष भारी शोर शराबे के चलते इनका मानदेय 2000 हजार रुपये योगी आदित्यनाथ सरकार ने बढ़ाया है। साथ ही अनुदेशक अपने 17000 हजार मानदेय को लेकर हाईकोर्ट इलाहाबाद लखनऊ बैंच से सिंगल और डबल बैंच से जीत चुका है लेकिन सरकार ने एक वर्ष के आसपास समय गुजर जाने के बाद भी अभी तक भुगतान नहीं किया है। अब सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई लेकिन उससे पहले अनुदेशक भी सुप्रीमकोर्ट चले गए। सुप्रीमकोर्ट में अनुदेशकों की याचिका 3 मई को स्वीकार हो गई। जबकि सरकार के द्वारा दायर की गई अपील की सुनवाई 14 अगस्त को हुई। उसके बाद कोर्ट ने सरकार के वकील से सवाल किया कि आप इनका 17000 भुगतान करके आइए। अब उसके बाद अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है उम्मीद है कि 5 सितंबर को सुनवाई हो। इस लिहाज से 27500 परिवार भूखमरी के कगार पर खड़े हुए है।

वहीं शिक्षा मित्र की भर्ती 2500 रुपये के मानदेय पर हुई उसके बाद शिक्षा मित्र का मानदेय 3500 रुपये हो गया। अखिलेश सरकार में उठापटक के बाद सरकार ने शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक के रूप मे तैनात किया और उनका वेतन 40000 हजार रुपये कर दिया गया। उस दौरान कुछ शिक्षा मित्र इस समायोजन की परिधि से बाहर हो गए। कुछ लोग सरकार के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट चले गए जहां शिक्षा मित्रों का समायोजन निरस्त कर दिया गया। फिर सरकार संखयाबल को देखते हुए सुप्रीमकोर्ट गई वहाँ भी सरकार हार गई और 150000 हजार शिक्षा मित्र फिर से वहीं शिखर से शून्य पर आ गया। तत्कालीन योगी आदित्यनाथ सरकार ने तब शिक्षा मित्रों को 10000 हजार के मानदेय पर मूल पद शिक्षा मित्र पर तैनात कर दिया, बहुत शिक्षा मित्रों ने हंगामा किया यहाँ तक महिलाओं ने मुंडन कराया लेकिन सरकार ने अब तक इनकी कोई सुध नही ली है और ये डेढ़ लाख शिक्षा मित्र पढे लिखे होने के वावजूद आज भी बेघर बने हुए है।

बता दें कि इस दौरान बड़ी संख्या में अवसाद और बीमारी के चलते शिक्षा मित्रों की मौत हो गई अगर बात अगस्त माह की करें तो इस महीने में 22 शिक्षा मित्र मौत के मुंह में समा गए लेकिन सरकार की ओर से कोई एक शब्द नहीं कहा गया।

इस सबके वावजूद अब शिक्षा मित्र 3 सितंबर को सांसद का घर घेरो कार्यक्रम कर रहा है और उसके बाद 9 अक्टूबर को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आर पार की लड़ाई लड़ने की तैयारी कर चुका है। अब देखना यह होगा कि सांसदों को दिए गए मांग पत्र को सांसद पीएम और सीएम तक पहुंचा पाएंगे या फिर चुपचाप अपने बैग में रखे डेढ़ लाख परिवारों की मांग सफर करती रहेगी। फिलहाल शिक्षा मित्रों में अपने भविष्य को लेकर बहुत चिंता का सबब बना हुआ है।

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