लखनऊ

यूपी में गन्ना किसानों को बड़ा झटका, तीसरे साल भी नहीं बढ़ा गन्ना मूल्य

Arun Mishra
15 Feb 2021 4:21 AM GMT
यूपी में गन्ना किसानों को बड़ा झटका, तीसरे साल भी नहीं बढ़ा गन्ना मूल्य
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यह लगातार तीसरा पेराई सत्र है जब गन्ने का राज्य परामर्शी मूल्य नहीं बढ़ाया गया है.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गन्ने के मूल्य इस बार भी नहीं बढ़ाया है. यूपी में गन्ना की खेती करने वाले किसानों को बड़ा झटका लगा है. यूपी में तीसरे साल भी गन्ना मूल्य नहीं बढ़ा है. योगी सरकार ने पिछले 3 साल से गन्ना मूल्य में कोई वृद्धि नहीं की है. सरकार ने इस बार भी SAP में कोई वृद्धि नहीं की है जिससे किसानों को बड़ा झटका लगा है. आपको बतादें यूपी में गन्ना की खेती ज्यादा मात्रा में पश्चिमी यूपी में की जाती है.

कैबिनेट बाई सर्कुलेशन से सरकार ने घोषणा की है जिसमें गन्ना मूल्य में कोइ बढ़ोत्तरी नहीं हुई है. सामान्य प्रजाति गन्ना के लिए SAP 315 रुपए है वहीँ अगेती, अस्वीकृत प्रजाति का मूल्य 325,310 रुपए है. किसानों को इस बार उम्मीद थी की इस बार गन्ना मूल्य बढ़ेगा लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया. जिससे कहीं न कहीं किसानों के लिए बड़ा झटका लगा है.

यह लगातार तीसरा पेराई सत्र है जब गन्ने का राज्य परामर्शी मूल्य नहीं बढ़ाया गया है. अब मौजूदा पेराई सत्र समाप्ति की ओर है और ज्यादातर मिलों में गन्ने की अधिकांश पेराई हो चुकी है, इस बार किसानों को अब तक पुरानी दर पर ही भुगतान होता रहा है अगर मौजूदा पेराई सत्र में गन्ने का राज्य परामर्शी मूल्य बढ़ता तो फिर मिलों को किसानों को बढ़े हुए गन्ना मूल्य के हिसाब से एरियर भी देना पड़ता.

ऐसा माना जा रहा है कि भले ही इस सत्र में सरकार की तरफ से किसानों को निराशा हाथ लगी हो लेकिन अगले सत्र में गन्ने का भाव निश्चित रूप से बढ़ाया जा सकता है. यूपी में अगले साल विधान सभा चुनाव होने हैं इसलिए प्रदेश सरकार आगामी अक्टूबर माह से शुरू होने वाले अगले पेराई सत्र में तो गन्ने के राज्य परामर्शी मूल्य में इजाफा होना तय माना जा रहा है. प्रदेश की मौजूदा भाजपा सरकार ने सत्ता संभालने के तत्काल बाद 2017-18 के पेराई सत्र में गन्ने के राज्य परामर्शी मूल्य में दस रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा किया था. इससे पहले सपा सरकार ने पांच साल के कार्यकाल में दो बार में कुल 65 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने का राज्य परामर्शी मूल्य बढ़ा था. 2012-13 के पेराई सत्र में सत्ता संभालने के पहले साल 40 रुपये और अंतिम वर्ष में 25 रुपये, और इसके पहले तत्कालीन बसपा सरकार ने अपने पूरे कार्यकाल में 125 रुपये प्रति क्विंटल का भाव बढ़ाया था.

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