लखनऊ

2022 विधानसभा चुनाव को लेकर शिवपाल यादव का बड़ा बयान, यूपी में हलचल तेज

Arun Mishra
22 Dec 2020 3:11 AM GMT
2022 विधानसभा चुनाव को लेकर शिवपाल यादव का बड़ा बयान, यूपी में हलचल तेज
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शिवपाल सिंह यादव और उनके भतीजे अखिलेश यादव के बीच अब पेंच फंसता नजर आ रहा है.

लखनऊ : यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव और उनके भतीजे अखिलेश यादव के बीच अब पेंच फंसता नजर आ रहा है. शिवपाल यादव के बेटे और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आदित्य यादव ने एक पत्र जारी किया है. इस पत्र में सभी विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ने के इच्छुक कार्यकर्ताओं से आवेदन मांगा गया है. आवेदन देने की अंतिम तिथि 31 जनवरी 2021 रखी गई है. जबकि संभावित प्रत्याशियों के नाम पर अंतिम मुहर पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव लगाएंगे.

गौरतलब है कि शिवपाल की पार्टी से गठबंधन पर अखिलेश का ने कहा था कि जसवंतनगर उनकी (शिवपाल यादव) सीट है. समाजवादी पार्टी ने वह सीट उनके लिए छोड़ दी है और आने वाले समय में उनके लोग मिलें, सरकार बनाएं. हम उनके नेता को कैबिनेट मंत्री भी बना देंगे. इससे ज्यादा और क्या एडजस्टमेंट चाहिए? इस पर शिवपाल यादव ने कहा था कि कैबिनेट मंत्री पद का प्रस्ताव या मुझे एक सीट देना एक मजाक है. उन्‍होंने कहा कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए प्रसपा लोहिया का सपा में विलय नहीं होगा और वो तमाम छोटी-छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ेंगे. शिवपाल यादव का दावा है कि अगली सरकार बिना प्रसपा के संभव नहीं है. हम अगली सरकार में शामिल होंगे तो किसानों की समस्या खत्म होगी. यही नहीं, शिवपाल यादव की पार्टी प्रसपा 23 दिसम्बर को चौधरी चरण सिंह की जयंती को किसान संघर्ष दिवस के रूप में मनाएगी.

यही नहीं, शिवपाल ने कहा कि कदम आगे बढ़ा दिया है तो अब पीछे मुड़ने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रसपा रहेगी और चाबी चुनाव चिन्ह रहेगा. शिवपाल ने आज मेरठ के सिवालखास विधानसभा सीट से पार्टी का पहला प्रत्याशी भी घोषित कर दिया. सिवालखास सीट से प्रसपा की तरफ से अमित जानी को प्रत्याशी बनाने की घोषणा करते हुए शिवपाल यादव ने 2022 का चुनावी बिगुल भी फूंक दिया है.

प्रसपा का गांव-गांव करेगी पदयात्रा

इसके अलावा 24 दिसम्बर से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में गांव-गांव पदयात्रा अभियान चलाएगी. इस पदयात्रा का उद्देश्य प्रदेश के हर गांव में पहुंचना और पार्टी व राष्ट्रीय अध्यक्ष के विचारों को जनता तक पहुंचाना है. पार्टी इस संकल्प को 'गांव-गांव पहुंचे प्रसपा जन के पांव' के नारे के साथ आगे बढ़ाएगी.

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